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पता ही नहीं था इतनी 'काबिल' है यूपी पुलिस...

    • ऑनलाइन एडिक्ट
    • Updated: 24 मार्च, 2017 02:59 PM
  • 24 मार्च, 2017 02:59 PM
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यूपी पुलिस इतनी सजग है कि उसे लड़के की आंखों में देखकर ही ये पता चल जाता है कि लड़का रोमियो है या नहीं. कैसे घर का है, उसकी मंशा क्या है ये सब पता लगा लेती है पुलिस.

उत्तर प्रदेश की पुलिस बड़ी ही कुशल है. या यूं कहूं कि काबिल है. सिर्फ आंखें देखकर मन की बात जान लेने की कला जो है इनमें. तभी तो देखिए न लड़कों की आंखों में देखकर वो पता लगा लेते हैं कि वो रोमियो है. ये हम नहीं कह रहे ये कह रही है खुद यूपी पुलिस. रिपोर्ट के अनुसार पुलिस वाले कहते हैं कि, "किसी के चेहरे पर नहीं लिखा होता कि वो रोमियो हैं, लेकिन हमारे इतने साल का एक्सपीरियंस है हम आंखें देखकर, खड़े होने के अंदाज से पहचान लेते हैं कि कौन शरीफ घर का है और कौन रोमियो है."

दरअसल, एंटीरोमियो स्क्वॉड का गठन हुए अभी एक हफ्ता भी ठीक से नहीं हुआ है, लेकिन यूपी सरकार के कई दावों के बाद भी यूपी में छेड़छाड़ के लिए बनाई गई ये टीम युवाओं को शिक्षा देने या यूं कहूं मॉरल पुलिसिंग का काम कर रही है. इतना ही नहीं, पुलिस वाले अनोखे दावे भी कर रहे हैं जैसे ये कि उन्हें लड़कों की आंखों में देखकर पता चल जाता है कि वो रोमियो है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस वाले तो ये भी कह रहे हैं कि हमारी संस्कृति में लड़के और लड़की के बीच कोई दोस्ती नहीं हो सकती है.

जी हां, यूपी पुलिस अपने कर्तव्य का पालन कुछ इस तरह से कर रही है कि गर्ल्स कॉलेज के बाहर खड़े लड़के को पकड़ लिया गया और जब उसने अपनी पैरवी में कहा कि वो सिर्फ अपनी दोस्त से मिलने आया है तो उसे जवाब मिला कि लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते हैं.

इतना ही नहीं अकेले खड़ी महिलाओं और लड़कियों से भी पूछा जा रहा है कि वो अकेले क्यों खड़ी हैं, क्या उन्हें कोई परेशान कर रहा है? एक स्कूल जाने वाला लड़का जब पार्किंग लॉट में खड़ा था तो उसे कहा गया उसे घर जाना चाहिए अकेले नहीं खड़े होना चाहिए.

तो कुल मिलाकर सरकार ने भले ही कोई भी दावा किया हो कि ये स्क्वॉड लोगों को कोई पाठ नहीं पढ़ाएगी और सिर्फ छेड़खानी...

उत्तर प्रदेश की पुलिस बड़ी ही कुशल है. या यूं कहूं कि काबिल है. सिर्फ आंखें देखकर मन की बात जान लेने की कला जो है इनमें. तभी तो देखिए न लड़कों की आंखों में देखकर वो पता लगा लेते हैं कि वो रोमियो है. ये हम नहीं कह रहे ये कह रही है खुद यूपी पुलिस. रिपोर्ट के अनुसार पुलिस वाले कहते हैं कि, "किसी के चेहरे पर नहीं लिखा होता कि वो रोमियो हैं, लेकिन हमारे इतने साल का एक्सपीरियंस है हम आंखें देखकर, खड़े होने के अंदाज से पहचान लेते हैं कि कौन शरीफ घर का है और कौन रोमियो है."

दरअसल, एंटीरोमियो स्क्वॉड का गठन हुए अभी एक हफ्ता भी ठीक से नहीं हुआ है, लेकिन यूपी सरकार के कई दावों के बाद भी यूपी में छेड़छाड़ के लिए बनाई गई ये टीम युवाओं को शिक्षा देने या यूं कहूं मॉरल पुलिसिंग का काम कर रही है. इतना ही नहीं, पुलिस वाले अनोखे दावे भी कर रहे हैं जैसे ये कि उन्हें लड़कों की आंखों में देखकर पता चल जाता है कि वो रोमियो है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस वाले तो ये भी कह रहे हैं कि हमारी संस्कृति में लड़के और लड़की के बीच कोई दोस्ती नहीं हो सकती है.

जी हां, यूपी पुलिस अपने कर्तव्य का पालन कुछ इस तरह से कर रही है कि गर्ल्स कॉलेज के बाहर खड़े लड़के को पकड़ लिया गया और जब उसने अपनी पैरवी में कहा कि वो सिर्फ अपनी दोस्त से मिलने आया है तो उसे जवाब मिला कि लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते हैं.

इतना ही नहीं अकेले खड़ी महिलाओं और लड़कियों से भी पूछा जा रहा है कि वो अकेले क्यों खड़ी हैं, क्या उन्हें कोई परेशान कर रहा है? एक स्कूल जाने वाला लड़का जब पार्किंग लॉट में खड़ा था तो उसे कहा गया उसे घर जाना चाहिए अकेले नहीं खड़े होना चाहिए.

तो कुल मिलाकर सरकार ने भले ही कोई भी दावा किया हो कि ये स्क्वॉड लोगों को कोई पाठ नहीं पढ़ाएगी और सिर्फ छेड़खानी करने वालों पर लगाम लगाएगी, पर ऐसा कुछ हुआ नहीं. एंटी रोमियो स्क्वॉड में भर्ती किए गए सिपाहियों को रोमियो के बारे में तो पता ही नहीं है. उनके अनुसार या तो रोमियो ब्रिटिश था या ग्रीक, लेकिन जो भी था भारत में उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.

तो आखिर क्या है ये एंटी रोमियो स्क्वॉड? क्या ये टीम अपना काम सही तरह से कर रही है? आपको क्या लगता है?

इसी बीच, ट्विटर पर इसी मुद्दे पर बहुत से लोगों ने अपनी राय दी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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