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9 अजीब पाबंदियां, जो सऊदी औरतों पर लागू हैं

    • धीरेंद्र राय
    • Updated: 29 अप्रिल, 2015 11:45 AM
  • 29 अप्रिल, 2015 11:45 AM
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सऊदी अरब के नए किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज के सामने पहली चुनौती देश की आधी आबादी यानी महिलाओं को उनका हक देने की होगी. जो दुनिया में सबसे कड़ी पाबंदियां झेल रही हैं.

सऊदी अरब के किंग अब्दुल्ला की मौत के बाद अब प्रिंस सलमान को नया किंग घोषित कर दिया गया है. उनके सामने पहली चुनौती देश की आधी आबादी यानी महिलाओं को उनका हक देने की होगी. जो दुनिया में सबसे कड़ी पाबंदियां झेल रही हैं. पिछले साल हुए एशियाई खेलों में सऊदी अरब सरकार ने ये कहते हुए एक भी महिला खिलाड़ी को अपनी टीम में नहीं रखा कि उनमें प्रतियोगिता में शामिल होने की क्षमता नहीं है. महिलाओं को दोयम दर्जे का समझने के मामले में सऊदी अरब एशिया ही नहीं, दुनिया में बदनाम है. एक नजर वहां महिलाओं पर लागू अजीब-अजीब पाबंदियों पर-

1. पति की इजाजत के बिना बैंक अकाउंट नहीं

देश के किसी भी बैंक में महिलाओं के बैंक अकाउंट उनके पति की इजाजत के बाद ही खोले जाते हैं. अविवाहित महिलाओं के लिए तो इसकी मनाही ही है. कट्टरपंथियों का मानना है कि अकेली महिला के पास पैसा होगा, तो वह गुनाह करेगी.

2. पुरुष रिश्तेदार के बिना कहीं आ जा नहीं सकती

सऊदी अरब में महिला यदि घर से बाहर निकल रही है, तो उसके साथ एक मेहरम (पुरुष रिश्तेदार) का होना जरूरी है. वरना उसे हिरासत में ले लिया जाएगा. वहां के कट्टरपंथियों और धार्मिक रिवाजों में मान्यता है कि यदि महिला अकेले कहीं जाती है तो उसके बदचलन होने की संभावना रहती है. इस पाबंदी की इंतेहा को एक उदाहरण से समझा जा सकता है. वहां एक किशोरी के साथ गैंगरेप हुआ. लेकिन वह उस समय अपने मेहरम के साथ नहीं थी, इसलिए सजा भी उसे ही मिली. कोर्ट ने रेप करने वालों से ज्यादा कोड़े उस किशोरी को लगवाए.

3. ड्राइविंग नहीं कर सकतीं

इस बारे में कोई ऑफिशियल कानून तो नहीं है, लेकिन कट्टरपंथी रिवाज महिलाओं को ड्राइविंग से रोकते हैं. माना जाता है कि ड्राइव करने वाली महिला सामाजिक मूल्यों की कद्र नहीं करती. हालांकि, 2011 में सऊदी अरब में कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों...

सऊदी अरब के किंग अब्दुल्ला की मौत के बाद अब प्रिंस सलमान को नया किंग घोषित कर दिया गया है. उनके सामने पहली चुनौती देश की आधी आबादी यानी महिलाओं को उनका हक देने की होगी. जो दुनिया में सबसे कड़ी पाबंदियां झेल रही हैं. पिछले साल हुए एशियाई खेलों में सऊदी अरब सरकार ने ये कहते हुए एक भी महिला खिलाड़ी को अपनी टीम में नहीं रखा कि उनमें प्रतियोगिता में शामिल होने की क्षमता नहीं है. महिलाओं को दोयम दर्जे का समझने के मामले में सऊदी अरब एशिया ही नहीं, दुनिया में बदनाम है. एक नजर वहां महिलाओं पर लागू अजीब-अजीब पाबंदियों पर-

1. पति की इजाजत के बिना बैंक अकाउंट नहीं

देश के किसी भी बैंक में महिलाओं के बैंक अकाउंट उनके पति की इजाजत के बाद ही खोले जाते हैं. अविवाहित महिलाओं के लिए तो इसकी मनाही ही है. कट्टरपंथियों का मानना है कि अकेली महिला के पास पैसा होगा, तो वह गुनाह करेगी.

2. पुरुष रिश्तेदार के बिना कहीं आ जा नहीं सकती

सऊदी अरब में महिला यदि घर से बाहर निकल रही है, तो उसके साथ एक मेहरम (पुरुष रिश्तेदार) का होना जरूरी है. वरना उसे हिरासत में ले लिया जाएगा. वहां के कट्टरपंथियों और धार्मिक रिवाजों में मान्यता है कि यदि महिला अकेले कहीं जाती है तो उसके बदचलन होने की संभावना रहती है. इस पाबंदी की इंतेहा को एक उदाहरण से समझा जा सकता है. वहां एक किशोरी के साथ गैंगरेप हुआ. लेकिन वह उस समय अपने मेहरम के साथ नहीं थी, इसलिए सजा भी उसे ही मिली. कोर्ट ने रेप करने वालों से ज्यादा कोड़े उस किशोरी को लगवाए.

3. ड्राइविंग नहीं कर सकतीं

इस बारे में कोई ऑफिशियल कानून तो नहीं है, लेकिन कट्टरपंथी रिवाज महिलाओं को ड्राइविंग से रोकते हैं. माना जाता है कि ड्राइव करने वाली महिला सामाजिक मूल्यों की कद्र नहीं करती. हालांकि, 2011 में सऊदी अरब में कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने मिलकर  'वुमेल2ड्राइव' कैंपेन चलाया, जिसमें महिलाओं से कहा गया कि वे पिछड़ी मान्यताओं की परवाह न करते हुए कार ड्राइव करें और उसके फोटो और वीडियो इंटरनेट पर अपलोड करें. लेकिन इस अभियान को कुछ खास सफलता नहीं मिली.

4. वोट नहीं डाल सकतीं

दुनिया में सऊदी अरब ही ऐसा देश है, जहां महिलाओं ने कभी वोट नहीं दिया है.

5. स्विमिंग नहीं कर सकतीं

सऊदी अरब में महिलाओं के स्विमिंग करने पर भी पाबंदी है. इतना ही नहीं, वे पूल में नहाते पुरुषों की ओर देख भी नहीं सकतीं.

6. शॉपिंग के दौरान कपड़ों का ट्रायल नहीं ले सकतीं

क्योंकि धर्म उन्हें अपने घर से बाहर निर्वस्त्र होने की इजाजत नहीं देता. लेकिन पत्रिका वेनिटी फेयर की पत्रकार मौरीन डॉड तर्क देती हैं कि ऐसा सिर्फ इसीलिए है क्योंकि ट्रायल रूम में महिला की नग्नता के बारे में सोचकर शॉपिंग स्टोर में मौजूद पुरुषों के लिए कंट्रोल रख पाना मुश्किल हो जाएगा.

7. किसी अंडर गारमेंट्स की शॉप पर काम नहीं कर सकतीं

सऊदी अरब में अब भी अंडरगारमेंट्स की शॉप पर पुरुष ही काम करते हैं.

8. अन-सेंसर्ड फैशन मैगजीन नहीं पढ़ सकतीं

क्योंकि उसमें छपे फोटो इस्लाम की मान्यताओं से मेल नहीं खाते. लेकिन पुरुष उन्हें पढ़ सकते हैं.

9. बार्बी नहीं खरीद सकतीं

सऊदी अरब में बार्बी को यहूदी खिलौना बताकर उसके कपड़ों को गैर-इस्लामी करार दिया गया है.

महिलाएं यदि इनमें से किसी भी हिदायत का उल्लंघन करती हैं, तो वहां का विशेष पुलिस बल कार्रवाई करता है. इसे इस्लामी कानूनों का पालन करने के लिए ही बनाया गया है. इसमें लंबी दाढ़ी वाले पुरुष और पूरे हिजाब में महिला सुरक्षाकर्मी होते हैं. मामूली पड़ताल के बाद यदि इन्होंने किसी को गुनाहगार पाया तो वे उसे मौके पर ही कोड़े लगा देते हैं. कोर्ट की कार्रवाई बाद में होती है. इन सब चीजों के बावजूद सऊदी अरब में महिलाएं काफी पढ़ी-लिखी हैं. और अब हुकूमत पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वे इन्हें और आजादी दें.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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