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काश ! बैंगलोर की ये महिलाएं भी सोशल मीडिया पर कह देतीं #MeToo

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 22 अक्टूबर, 2017 01:38 PM
  • 22 अक्टूबर, 2017 01:38 PM
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सोशल मीडिया के इस दौर में मुद्दों के नाम पर तमाम तरह के हैशटैग और कैम्पेन चल रहे हैं. ऐसे में अगर रोज शोषण का शिकार होने वाली महिलाओं के लिए भी कोई कैम्पेन या हैशटैग चलता तो शायद उन्हें इंसाफ मिल जाता.

सोशल मीडिया के इस टॉयलेट युग में सभी की अपनी अलग मांगे और एजेंडा है. यहां कब किसी मुद्दे को हैशटैग बनाकर वायरल करा दिया जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. सोशल मीडिया पर मुद्दे हैश टैग के रूप में बनते हैं, कुछ दिन इनको लेकर क्रांति होती है फिर ये वापस ठंडे बस्ते में चले जाते हैं. फेसबुक हो या ट्विटर इन दिनों पूरे सोशल मीडिया पर #Metoo छाया हुआ है. इस मुद्दे पर महिलाएं खुल कर अपने मन की बात कर रही हैं और बता रही है कि कैसे अपने जीवन में वो कभी न कभी किसी जान पहचान के या फिर अनजान व्यक्ति द्वारा यौन शोषण का शिकार हुई हैं. मुद्दा उठाना अच्छी बात है और उससे अच्छी बात तब होगी जब इन मुद्दों पर कार्यवाही हो.

आज मुद्दे सोशल मीडिया पर ही बनते हैं और वहीं दम तोड़ देते हैं

फेसबुक या ट्विटर उन महिलाओं के लिए है जिनका पेट भरा है, जो तमाम संसाधनों के बीच अपनी जिंदगी जी रही हैं. फेसबुक के इतर, वास्तविक जीवन में, ऐसी महिलाएं भरी पड़ी हैं जिनके पास परेशानियों का अंबार है. इन महिलाओं के लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि ये अपनी परेशानियां किसी से साझा नहीं कर पाती हैं. इन बेचारियों ने अगर अपनी परेशानी किसी से साझा कर भी ली तो आज किसी के पास कहां वक्त जो इनके लिए सोशल मीडिया पर हैशटैग बनाए और इन्हें इनके अधिकार दिलाए. उपरोक्त बात को समझने के लिए आपको एक खबर समझनी होगी. खबर कर्नाटक के बैंगलोर से है. बैंगलोर के केआर पुरम में एक ठेकेदार ने न सिर्फ महिला सफाई कर्मियों को बीते कई महीनों से वेतन दिया बल्कि पैसा मांगने पर उनका रेप करने तक की बात कह दी.

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. बैंगलोर के केआर में एक ठेकेदार द्वारा तीन महिना पहले (बीबीएमपी ) के एक प्रोजेक्ट के तहत कुछ महिला सफाई कर्मियों को नियुक्त किया गया था. पर इस तीन महीनों में उसने सफाई और कूड़ा उठाने...

सोशल मीडिया के इस टॉयलेट युग में सभी की अपनी अलग मांगे और एजेंडा है. यहां कब किसी मुद्दे को हैशटैग बनाकर वायरल करा दिया जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. सोशल मीडिया पर मुद्दे हैश टैग के रूप में बनते हैं, कुछ दिन इनको लेकर क्रांति होती है फिर ये वापस ठंडे बस्ते में चले जाते हैं. फेसबुक हो या ट्विटर इन दिनों पूरे सोशल मीडिया पर #Metoo छाया हुआ है. इस मुद्दे पर महिलाएं खुल कर अपने मन की बात कर रही हैं और बता रही है कि कैसे अपने जीवन में वो कभी न कभी किसी जान पहचान के या फिर अनजान व्यक्ति द्वारा यौन शोषण का शिकार हुई हैं. मुद्दा उठाना अच्छी बात है और उससे अच्छी बात तब होगी जब इन मुद्दों पर कार्यवाही हो.

आज मुद्दे सोशल मीडिया पर ही बनते हैं और वहीं दम तोड़ देते हैं

फेसबुक या ट्विटर उन महिलाओं के लिए है जिनका पेट भरा है, जो तमाम संसाधनों के बीच अपनी जिंदगी जी रही हैं. फेसबुक के इतर, वास्तविक जीवन में, ऐसी महिलाएं भरी पड़ी हैं जिनके पास परेशानियों का अंबार है. इन महिलाओं के लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि ये अपनी परेशानियां किसी से साझा नहीं कर पाती हैं. इन बेचारियों ने अगर अपनी परेशानी किसी से साझा कर भी ली तो आज किसी के पास कहां वक्त जो इनके लिए सोशल मीडिया पर हैशटैग बनाए और इन्हें इनके अधिकार दिलाए. उपरोक्त बात को समझने के लिए आपको एक खबर समझनी होगी. खबर कर्नाटक के बैंगलोर से है. बैंगलोर के केआर पुरम में एक ठेकेदार ने न सिर्फ महिला सफाई कर्मियों को बीते कई महीनों से वेतन दिया बल्कि पैसा मांगने पर उनका रेप करने तक की बात कह दी.

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. बैंगलोर के केआर में एक ठेकेदार द्वारा तीन महिना पहले (बीबीएमपी ) के एक प्रोजेक्ट के तहत कुछ महिला सफाई कर्मियों को नियुक्त किया गया था. पर इस तीन महीनों में उसने सफाई और कूड़ा उठाने वाली महिलाओं को बतौर वेतन एक रुपया भी नहीं दिया. भुक्तभोगी महिलाओं ने जब इसकी पड़ताल ठेकेदार से की तो उनके होश तब उड़ गए जब ठेकेदार ने उन्हें पैसा देने से साफ मना कर दिया. साथ ही ठेकेदार ने मौके पर अपनी पैंट उतारते हुए महिलाओं से ये भी कहा कि यदि इस मामले को उन्होंने जल्द ही नहीं दबाया तो इसके उन्हें भयानक परिणाम भुगतने होंगे और उन सबका रेप कर दिया जाएगा.

सोशल मीडिया के इस दौर में आज भी आम महिलाओं को न्याय के मिलने का इंतेजार हैबताया ये भी जा रहा है कि ठेकेदार ने कुछ स्थानीय गुंडों की मदद से महिलाओं संग मारपीट की है और उनसे यहां तक कह दिया कि 'तुम्हारा वेतन मेरी पैंट के अन्दर है, आओ और ले लो.' गौरतलब है कि सफाई कर्मी महिलाओं ने इसकी शिकायत बीबीएमपी यौन उत्पीड़न समिति और कर्नाटक सामाजिक कल्याण विभाग से की है जिन्होंने भुक्तभोगी महिलाओं को आश्वासन दिया है कि उन्हें जल्द से जल्द इंसाफ मिलेगा.

देखा जाए तो ये इस देश में होने वाले तमाम मामलों में से एक मामला है बस अफसोस इस बात का रहेगा कि इस पर कोई हैश टैग नहीं चलेगा न ही कोई इस पर बात करेगा.ऐसा इसलिए क्योंकि ये वो महिलाएं हैं जो शायद फेसबुक नहीं चलाती, वो महिलाएं जो 1200 शब्दों का लेख लेख लिखकर किसी वेबसाईट के संपादक को नहीं भेजती. वो महिलाएं जो 21 वीं शताब्दी के इस दौर में आज भी ट्विटर की उस नीली चिड़िया से दूर हैं. हां वो महिलाएं जिन्हें इन्तेजार है उस पल का जब इन्हें इनका मेहनताना मिले और उस पैसे से वो अपने सारे बकाया काम कर सकें, मुहल्ले की परचून की दुकान की उधारी चुका सकें, बच्चों के स्कूल की फीस जमा कर सकें.  

अंत में बस इतना ही कहा जा सकता है कि आज भी इस देश में ऐसी तमाम महिलाएं हैं जिनके साथ आए रोज अन्याय हो रहा है और सबसे ज्यादा दुखद यही है कि इनके लिए कहीं कोई आवाज नहीं उठ रही. अगर लोग इनके लिए आवाज उठा भी रहे हैं तो उसके पीछे भी उनका कुछ न कुछ स्वार्थ छुपा है. वो स्वार्थ, जो इनके हक़ की बातें करने वाले लोगों को तो फायदा पहुंचा रहा है मगर जिसके चलते आज भी ये लोग अपने को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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