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'करे कोई भरे कोई' के खेल में फंसे सोनू सूद और स्नैपडील

    • रिम्मी कुमारी
    • Updated: 18 अप्रिल, 2017 06:12 PM
  • 18 अप्रिल, 2017 06:12 PM
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ट्विटर आज के समय में What is on Your Mind का नहीं What is to be trolled का माध्यम ज्यादा बन गया है. लोगों के पास किसी की सुनने के बजाए लोगों को सुनाने और उनकी बजाने में ज्यादा दिलचस्पी होती है.

पिछले कुछ दिनों में हमारे यहां 'करे कोई भरे कोई' कहावत को सच होते देखा जा रहा है. ट्वीटर पर ट्रोल होने से लेकर ऐप अनइंस्टॉल करने तक का दंश सेलिब्रिटी और कंपनियों को झेलना पड़ रहा है. हम एक अजीब से दौर में जी रहे हैं. एक तरह से कहें तो इंस्टैंट मैगी टाइप के इंस्टैंट जजमेंट वाले दौर में जी रहे हैं. किसी नेता या अभिनेता ने कुछ कहा, मुझे पसंद नहीं आया और बस हो गए शुरु. कोई घटना हुई उसने हमें अंदर तक झकझोर दिया बस खोल लिया फेसबुक और ट्विटर. सारी भड़ास, सारा धरना-प्रदर्शन, वाद-विवाद, नैतिकता-अनैतिकता का पाठ सब सोशल मीडिया पर ही होता है.

ट्विटर ने लोगों को एक काम दे दिया

लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि कई बार अतिरेक में हम ये चेक करना भी भूल जाते हैं कि आखिर बात असल में हुई क्या! डिटेल फैक्ट जानने के बदले हमें अब जानकारियां भी इंस्टैंट और इनशॉर्ट में जाननी होती है. इस इंस्टा वर्ल्ड के इंस्टेंट जजमेंट और इंस्टेंट सजा देने की आदत का एक अद्भुत नजारा हमें पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहा है.

कुछ दिनों पहले एक फोटो मैसेजिंग ऐप स्नैपचैट के सीईओ ने भारत को गरीब क्या कह दिया पूरे देश में ही हाहाकार मच गया. हर किसी के रातों की नींद उड़ गई. लोग गुस्से में आगबबूला हो गए और उनके आत्मसम्मान को इतनी ठेस लगी की सबने स्नैपचैट को 'बर्बाद' करने की ठान ली. बस फिर क्या था सारे देश के वीर जवानों ने अपना फोन उठाया और स्नैपचैट की डिलीट करना शुरु कर दिया. यही नहीं ऐप स्टोर में जाकर उसे एक रेटिंग भी देने लगे. कुछ लोग तो इतने ज्यादा गुस्से में थे कि 'स्नैपडील' को भी डिलीट करने लगे. आखिर उसमें स्नैप वर्ड जो है.

पिछले कुछ दिनों में हमारे यहां 'करे कोई भरे कोई' कहावत को सच होते देखा जा रहा है. ट्वीटर पर ट्रोल होने से लेकर ऐप अनइंस्टॉल करने तक का दंश सेलिब्रिटी और कंपनियों को झेलना पड़ रहा है. हम एक अजीब से दौर में जी रहे हैं. एक तरह से कहें तो इंस्टैंट मैगी टाइप के इंस्टैंट जजमेंट वाले दौर में जी रहे हैं. किसी नेता या अभिनेता ने कुछ कहा, मुझे पसंद नहीं आया और बस हो गए शुरु. कोई घटना हुई उसने हमें अंदर तक झकझोर दिया बस खोल लिया फेसबुक और ट्विटर. सारी भड़ास, सारा धरना-प्रदर्शन, वाद-विवाद, नैतिकता-अनैतिकता का पाठ सब सोशल मीडिया पर ही होता है.

ट्विटर ने लोगों को एक काम दे दिया

लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि कई बार अतिरेक में हम ये चेक करना भी भूल जाते हैं कि आखिर बात असल में हुई क्या! डिटेल फैक्ट जानने के बदले हमें अब जानकारियां भी इंस्टैंट और इनशॉर्ट में जाननी होती है. इस इंस्टा वर्ल्ड के इंस्टेंट जजमेंट और इंस्टेंट सजा देने की आदत का एक अद्भुत नजारा हमें पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहा है.

कुछ दिनों पहले एक फोटो मैसेजिंग ऐप स्नैपचैट के सीईओ ने भारत को गरीब क्या कह दिया पूरे देश में ही हाहाकार मच गया. हर किसी के रातों की नींद उड़ गई. लोग गुस्से में आगबबूला हो गए और उनके आत्मसम्मान को इतनी ठेस लगी की सबने स्नैपचैट को 'बर्बाद' करने की ठान ली. बस फिर क्या था सारे देश के वीर जवानों ने अपना फोन उठाया और स्नैपचैट की डिलीट करना शुरु कर दिया. यही नहीं ऐप स्टोर में जाकर उसे एक रेटिंग भी देने लगे. कुछ लोग तो इतने ज्यादा गुस्से में थे कि 'स्नैपडील' को भी डिलीट करने लगे. आखिर उसमें स्नैप वर्ड जो है.

नौबत यहां तक आ गई कि कुछ लोगों को ट्वीट करके ये बताना पड़ गया कि स्नैपडील और स्नैपचैट अलग-अलग ऐप हैं.

कुछ ऐसी ही इंसटेंट 'देशभक्ति' का शिकार अभिनेता सोनू सूद भी हुए. मस्जिद में बजने वाले अजान पर ट्वीट गायक सोनू निगम ने किया और ट्रोल हो गए सोनू सूद! बेचारे रात को जब सोए थे तो उन्हें कतई अंदाजा नहीं था कि सुबह उनकी आंख खुलने तक वो अपनी फिल्म से ज्यादा फेमस हो जाएंगे.

April 17, 2017<">

ट्विटर आज के समय में व्हाट इज ऑन योर माइंड का नहीं व्हाट इज टू बी ट्रोल्ड का माध्यम ज्यादा बन गया है. लोग सुबह उठते हैं देखते हैं कि किसी फेमस पर्सनालिटी ने क्या बोला और बस फिर 140 शब्दों में अपने 8 घंटे की नींद और टाटा टी की ताजगी में थोड़ा मसला मिलाते और चैन से काम पर निकल जाते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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