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इस देसी मसाले से मिलेगी कैंसर की दवा, क्या हो सकता है सच?

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 14 जनवरी, 2017 02:48 PM
  • 14 जनवरी, 2017 02:48 PM
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हाल ही में आई रिसर्च की मानें तो एक मसाले से कैंसर की दवा बनाई जा सकती है. आखिर कितना सच हो सकता है ये? क्या होते हैं कैंसर के लक्षण चलिए देखते हैं..

मेडिकल रिसर्च और साइंस अब हर दिन एक नई उपलब्धी हासिल कर रही है. अब देखिए ना हा हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस द्वारा की गई एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि लॉन्ग पेपर (pepper) यानी पीपली का इस्तेमाल कैंसर की दवा के लिए किया जा सकता है. ये बात जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमेस्ट्री नाम की एक स्टडी में सामने आई है.

इस स्टडी पर काम कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि पीपली में कई ऐसे गुण हैं जो लंग, ब्रेस्ट, स्किन, ब्रेन ट्यूमर जैसे कई तरह के कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

 पीपली का सेवन आम तौर पर मसाले के रूप में ही किया जाता है. अब इसे दवा के रूप में भी देखा जा रहा है.

ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी. कारण कि आए दिन ऐसी दवाओं के लिए रिसर्च होती रहती है, लेकिन इसे सौ फीसदी सही माना जाना सही नहीं होगा. हालांकि, ऐसे कई मसालों से इलाज के बारे में वेदों और शास्त्रों में लिखा गया है फिर भी फिलहाल ये एक स्टडी के तौर पर ही है और इसे लाइलाज कैंसर की दवा नहीं कहा जा सकता.

अगर बात कैंसर की हो रही हो तो अपने शरीर से जुड़ी कुछ सावधानियां हमें रखनी चाहिए. अक्सर छोटी सी बात कहकर कैंसर के लक्षण को नजरअंदाज कर दिया जाता है और ये खतरनाक हो सकता है. नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन और रिसर्च के अनुसार कैंसर किसी महामारी की तरह फैल रहा है. अकेले भारत में ही 25 लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं. कैंसर का पता अगर सही समय पर चल जाए तो वो लाइलाज नहीं होता. तो कब पता चलता है कि आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है?

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मेडिकल रिसर्च और साइंस अब हर दिन एक नई उपलब्धी हासिल कर रही है. अब देखिए ना हा हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस द्वारा की गई एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि लॉन्ग पेपर (pepper) यानी पीपली का इस्तेमाल कैंसर की दवा के लिए किया जा सकता है. ये बात जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमेस्ट्री नाम की एक स्टडी में सामने आई है.

इस स्टडी पर काम कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि पीपली में कई ऐसे गुण हैं जो लंग, ब्रेस्ट, स्किन, ब्रेन ट्यूमर जैसे कई तरह के कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

 पीपली का सेवन आम तौर पर मसाले के रूप में ही किया जाता है. अब इसे दवा के रूप में भी देखा जा रहा है.

ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी. कारण कि आए दिन ऐसी दवाओं के लिए रिसर्च होती रहती है, लेकिन इसे सौ फीसदी सही माना जाना सही नहीं होगा. हालांकि, ऐसे कई मसालों से इलाज के बारे में वेदों और शास्त्रों में लिखा गया है फिर भी फिलहाल ये एक स्टडी के तौर पर ही है और इसे लाइलाज कैंसर की दवा नहीं कहा जा सकता.

अगर बात कैंसर की हो रही हो तो अपने शरीर से जुड़ी कुछ सावधानियां हमें रखनी चाहिए. अक्सर छोटी सी बात कहकर कैंसर के लक्षण को नजरअंदाज कर दिया जाता है और ये खतरनाक हो सकता है. नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन और रिसर्च के अनुसार कैंसर किसी महामारी की तरह फैल रहा है. अकेले भारत में ही 25 लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं. कैंसर का पता अगर सही समय पर चल जाए तो वो लाइलाज नहीं होता. तो कब पता चलता है कि आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है?

ये भी पढ़ें- आपके घर में मौजूद है ये खतरनाक ड्रग्स, क्या जानते हैं इसे?

- अगर जरूरत से ज्यादा वजह जल्दी ही कम हो जाए तो इस लक्षण को नजरअंदाज ना करें. कैंसर नहीं भी हुआ तो भी कई अन्य बीमारियां इसका कारण हो सकती हैं. - अगर आपको बार-बार अपच होती है तो भी एक बार डॉक्टर से जांच करवा लें. ऐसा हो सकता है कि अंतड़ियों का कैंसर हो. ये कैंसर तेजी से फैलता है और अगर इसके बारे में पता चलने में देरी हो गई तो बचने की उम्मीद कम होती है.

 अधिकतर मामलों में कैंसर का पता किसी गांठ से ही चलता है.

- अगर शरीर में कहीं कोई गांठ पड़ गई हो तो इसे फौरन टेस्ट करवाएं. अधिकतर मामलों में कैंसर का पता किसी गांठ से ही चलता है.- अगर पेट के निचले हिस्से में अक्सर दर्द रहता है तो इसकी जांच करवा लें. कई बार लिवर की समस्या बड़ी परेशानी में तब्दील हो सकती है. - अगर किसी खास जगह पर दर्द रहता हो. अक्सर बोन कैंसर का पता जल्दी नहीं चल पाता क्योंकि लोग दर्द पर ध्यान नहीं देते हैं. - अगर मुंह का छाला ठीक नहीं हो रहा. माउथ कैंसर की शुरुआत अक्सर मुंह के छालों से होती है. अगर लंबे समय तक ये बने हुए हैं तो बेहतर होगा कि एक बार इनकी जांच करवा ली जाए.

कुल मिलकर अपनी सेहत अपने हाथ होती है तो यकीन मानिए अगर शरीर से जुड़ी कोई परेशानी सामने आ रही है तो उसे नजरअंदाज ना करें. यही आपकी सेहत के लिए और आपके परिवार के लिए सही होगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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