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गुरमेहर कौर की राह पर और कितने ??

    • आईचौक
    • Updated: 02 मार्च, 2017 01:28 PM
  • 02 मार्च, 2017 01:28 PM
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अभी गुरमेहर कौर की कंट्रोवर्सी खत्म भी नहीं हो पाई थी कि एक और नाम के चर्चे होने लगे हैं, वो है डेनियल लंगथसा.

रोश जताने, गुस्सा दिखाने, शांति की उम्मीद रखने, न्याय मांगने के लिए अगर कोई गंभीर कदम न उठाकर, मौन रहकर सिर्फ हाथों में कार्ड्स लेकर अपनी बात कहता है तो इसमें हर्ज ही क्या है? फ्रीडम ऑफ स्पीच है...अरे नहीं, हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हम भारत में हैं, यहां किसी भी शब्द के मूल भाव जाने बगैर आपको देशद्रोही करार दिया जा सकता है. अभी गुरमेहर कौर की कंट्रोवर्सी खत्म भी नहीं हो पाई थी कि एक और नाम के चर्चे होने लगे हैं, वो है डेनियल लंगथसा.

असम के हाफलॉन्ग टाउन के रहने वाले डेनियल एक युवा गायक हैं. उन्होंने भी गुरमेहर की तरह हाथों में कार्ड्स उठाए 13 तस्वीरों की एक सीरीज़ सोशल मीडिया पर शेयर की, उसके बाद इन्हें भई भाजपा और एबीवीपी के समर्थकों का गुस्सा सोशल मीडिया पर झेलना पड़ा.

इन तस्वीरों में डेनियल का कहना है कि-

1. 2007 में आतंकवादियों ने उनके पिता की हत्या कर दी थी.

2. आतंकियों ने हथियार उठा रखे थे और वो भारत के खिलाफ लड़ रहे थे.

3. सिर्फ मेरे पिता ही नहीं बल्कि पिछले 15 सालों में सैकड़ों निर्दोष भारतीय इन देश द्रोहियों द्वारा मारे गए  हैं.

4. पिता की मौत के बाद न तो मैंने कभी सरकारी नौकरी मांगी और न ही आर्थिक सहायता.

5. लेकिन आतंकियों के सरेंडर करने के बाद सरकार ने उन्हें करोड़ों रुपये दिए.

6. उस पैसे से उन्होंने कार, प्रोपर्टी, कारोबार बनाया और अपने...

रोश जताने, गुस्सा दिखाने, शांति की उम्मीद रखने, न्याय मांगने के लिए अगर कोई गंभीर कदम न उठाकर, मौन रहकर सिर्फ हाथों में कार्ड्स लेकर अपनी बात कहता है तो इसमें हर्ज ही क्या है? फ्रीडम ऑफ स्पीच है...अरे नहीं, हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि हम भारत में हैं, यहां किसी भी शब्द के मूल भाव जाने बगैर आपको देशद्रोही करार दिया जा सकता है. अभी गुरमेहर कौर की कंट्रोवर्सी खत्म भी नहीं हो पाई थी कि एक और नाम के चर्चे होने लगे हैं, वो है डेनियल लंगथसा.

असम के हाफलॉन्ग टाउन के रहने वाले डेनियल एक युवा गायक हैं. उन्होंने भी गुरमेहर की तरह हाथों में कार्ड्स उठाए 13 तस्वीरों की एक सीरीज़ सोशल मीडिया पर शेयर की, उसके बाद इन्हें भई भाजपा और एबीवीपी के समर्थकों का गुस्सा सोशल मीडिया पर झेलना पड़ा.

इन तस्वीरों में डेनियल का कहना है कि-

1. 2007 में आतंकवादियों ने उनके पिता की हत्या कर दी थी.

2. आतंकियों ने हथियार उठा रखे थे और वो भारत के खिलाफ लड़ रहे थे.

3. सिर्फ मेरे पिता ही नहीं बल्कि पिछले 15 सालों में सैकड़ों निर्दोष भारतीय इन देश द्रोहियों द्वारा मारे गए  हैं.

4. पिता की मौत के बाद न तो मैंने कभी सरकारी नौकरी मांगी और न ही आर्थिक सहायता.

5. लेकिन आतंकियों के सरेंडर करने के बाद सरकार ने उन्हें करोड़ों रुपये दिए.

6. उस पैसे से उन्होंने कार, प्रोपर्टी, कारोबार बनाया और अपने राजनीतिक प्रचार में पैसा लगाया.

पर सातवें कार्ड ने डेनियन की परेशानी बढ़ा दी. इस कार्ड में उन्होंने लिखा था कि -

7. अब वो भाजपा में शामिल हो गए हैं और मेरे जिले डीमा हसाओ, असम में राज कर रहे हैं.

8. भाजपा और एबीवीपी क्या आप मुझे ये समझा सकते हैं?

9. मेरे परिवारवाले, रिश्तेदार, दोस्त और मेरी जगह के लोग आपकी पार्टी और उसके शक्तिशाली लोगों के खिलाफ बोलने से डरते हैं.

10. वो इस पोस्ट को देखेंगे और मुझसे इसे जल्द से जल्द हटाने के लिए कहेंगे.

11. मीडिया इस पोस्ट को वायरल करने में मदद नहीं करेगी क्योंकि मैं न तो मुस्लिम या दलित हूं और न कश्मीर या फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से हूं.

12. लेकिन मैं डरता नहीं हूं.

भाजपा विरोधी एक भी पोस्ट पर तुरंत टूट पड़ने वाले सपोर्टर्स ने ये सब देखकर क्या किया होगा आप समझ ही सकते हैं. ये शख्स अपने जिले की सरकार से बस कुछ सवाल कर रहा है, और अपने पिता की हत्या के लिए इंसाफ की मांग कर रहा है.

इसी कड़ी में डेनियल ने एक वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें वो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के लिए संदेश दे रहे हैं

एबीवीपी के विरोध में कांपेन ने गुरमेहर कौर को एंटी नेशनल, देशद्रोही, करार दिया गया रेप की धमकी देकर उसका मुंह बंद कराने की कोशिश की गई, और वो कोशिश कह सकते हैं कामयाब भी हुई, क्योंकि गुरमेहर कौर ने कैंपेन से किनारा कर लिया और दिल्ली भी छोड़ दी. लेकिन अब डेनियल की आवाज दबाने की भी कोशिशें जारी हैं, इन्हें क्या क्या धमकियां दी जाएंगी, वक्त बता ही देगा, लेकिन डेनियल का रवैया देखकर तो यही कहा जा सकता है कि वाकई इन्हें डर नहीं लगता. अभिव्यक्ति की आजादी का फायदा कहिए, या नुक्सान पर ये वो सच्चाई है जो हमेशा कड़वी ही लगती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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