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रहम करें 'छोटे बच्चे' राहुल पर, ‘लू’ जाए तो मुसीबत, शेर पढ़े तो हंगामा

    • अनुराग तिवारी
    • Updated: 15 अक्टूबर, 2017 11:59 AM
  • 15 अक्टूबर, 2017 11:59 AM
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यूं तो भारतीय राजनीति में भांति - भांति के लोग हैं. मगर उन सभी में राहुल गांधी सबसे खास हैं. राहुल हमेशा कुछ तूफानी करना चाहते हैं. मगर तूफानी करने की चाह में वो कुछ ऐसा कर बैठते हैं, जिससे उनको लेकर आलोचनाओं का दौर शुरू हो जाता है.

राहुल गांधी इंडियन पॉलिटिक्स में विपक्ष के ऐसे वाहिद शख्स है, जिनकी हर बात पर हंगामा खड़ा हो जाता है. वे मोदी के गढ़ गुजरात क्या गए, विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं. एक तरफ मीडिया उनके हर क्रिया-कलाप की खबरें दे रहा है तो वहीं विरोधी उस पर चुटकी लेने से बाज नहीं आ रहे. राहुल, कांग्रेस के वो बच्चे हैं जिन पर बीजेपी के सीनियर नेता एक के बाद एक सर्जिकल स्ट्राइक शुरू कर देते हैं. राहुल के गुजरात दौरे पर पहले योगी आदित्यनाथ, स्मृति ईरानी और अब ताजा हमला टूरिज्म मिनिस्टर महेश शर्मा ने बोल दिया है. पीएम मोदी जी का क्या जिक्र किया जाए, वे तो राहुल बाबा को भारतीय राजनीति ‘पप्पू’ साबित करने का मौक़ा नहीं छोड़ते.

राहुल को देखकर लगता है कि उनका विवादों से चोली दामन का नाता हैराहुल गांधी रिलीव होने के लिए टॉयलेट क्या गए यह भी खबर बन गई. जहां न हिंदी में लिखा था, न अंग्रेजी में कि यह टॉयलेट महिलाओं के लिए है, उसमें उनकी क्या गलती? टॉयलेट के बाहर महज एक कागज चिपका था, जिस पर गुजराती में लिखा था कि यह महिलाओं के लिए है. इस पर हरियाणा के कैबिनेट मिनिस्टर अनिल विज चुटकी लेने से नहीं चूके. उन्होंने राहुल के लू जाने को मुद्दा बनाते हुए उन्हें बच्चा साबित कर दिया. विज साहब का कहना है "छोटा बच्चा लेडीज़ या जेंट्स टॉयलेट किसी में भी जा सकता है."

गलती आयोजकों की थी और अनिल विज ने राहुल गांधी को ‘लू’ के बहाने बच्चा साबित कर दिया. उनको तो खुश होना चाहिए था कि राहुल गांधी उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता मिशन का सम्मान करते हुए कहीं खुले में 'खाली' होने नहीं गए. वहीं, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तो इसे राहुल गांधी की बचकानी और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का तरीका बता दिया. योगी जी उन्हें अन्धविश्वासी परम्परा का हवाला...

राहुल गांधी इंडियन पॉलिटिक्स में विपक्ष के ऐसे वाहिद शख्स है, जिनकी हर बात पर हंगामा खड़ा हो जाता है. वे मोदी के गढ़ गुजरात क्या गए, विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं. एक तरफ मीडिया उनके हर क्रिया-कलाप की खबरें दे रहा है तो वहीं विरोधी उस पर चुटकी लेने से बाज नहीं आ रहे. राहुल, कांग्रेस के वो बच्चे हैं जिन पर बीजेपी के सीनियर नेता एक के बाद एक सर्जिकल स्ट्राइक शुरू कर देते हैं. राहुल के गुजरात दौरे पर पहले योगी आदित्यनाथ, स्मृति ईरानी और अब ताजा हमला टूरिज्म मिनिस्टर महेश शर्मा ने बोल दिया है. पीएम मोदी जी का क्या जिक्र किया जाए, वे तो राहुल बाबा को भारतीय राजनीति ‘पप्पू’ साबित करने का मौक़ा नहीं छोड़ते.

राहुल को देखकर लगता है कि उनका विवादों से चोली दामन का नाता हैराहुल गांधी रिलीव होने के लिए टॉयलेट क्या गए यह भी खबर बन गई. जहां न हिंदी में लिखा था, न अंग्रेजी में कि यह टॉयलेट महिलाओं के लिए है, उसमें उनकी क्या गलती? टॉयलेट के बाहर महज एक कागज चिपका था, जिस पर गुजराती में लिखा था कि यह महिलाओं के लिए है. इस पर हरियाणा के कैबिनेट मिनिस्टर अनिल विज चुटकी लेने से नहीं चूके. उन्होंने राहुल के लू जाने को मुद्दा बनाते हुए उन्हें बच्चा साबित कर दिया. विज साहब का कहना है "छोटा बच्चा लेडीज़ या जेंट्स टॉयलेट किसी में भी जा सकता है."

गलती आयोजकों की थी और अनिल विज ने राहुल गांधी को ‘लू’ के बहाने बच्चा साबित कर दिया. उनको तो खुश होना चाहिए था कि राहुल गांधी उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता मिशन का सम्मान करते हुए कहीं खुले में 'खाली' होने नहीं गए. वहीं, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तो इसे राहुल गांधी की बचकानी और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का तरीका बता दिया. योगी जी उन्हें अन्धविश्वासी परम्परा का हवाला देकर गांव-गिरांव की वह औरत साबित करने पर तुले हैं, जिसके कहीं भी जाने पर कुछ न कुछ अपशकुन हो जाता है.

गुजरात में बीजेपी के स्टार प्रचारक बने योगी ने कह डाला कि जहां-जहां राहुल कैंपेन करने पहुंचते हैं, वहां कांग्रेस हार जाती है. खैर, योगी जी की इस बात का समर्थन तो आंकड़े भी करते हैं, लेकिन उनका यह बयान ‘बिलो द बेल्ट’ हमला करने जैसा था.

गुजरात दौरे में गए राहुल महिला शौचालय में घुस गए जिससे नए विवाद शुरू हो गएजिन्दगी के 45 बसंत देख चुके राहुल गांधी ऐसे युवा नेता हैं, जिनके अंदर कभी-कभार भावनाएं ज्वार-भाटा की तरह उठती हैं. ऐसा जब कभी भी हुआ है, वे शेरो-शायरी करने से भी नहीं चूकते. उनकी इस अदा के दीवाने, उनके विरोधी मानो ताक में बैठे रहते हों. राहुल गांधी ने शेर पढ़ा नहीं कि जवाबी कव्वाली शुरू हो जाती है. राहुल गांधी ग्लोबल हंगर इंडेक्स के ताजा आंकड़ों का हावाला देकर दुष्यंत कुमार की कविता की लाइनें ट्वीट करते हैं, तो स्मृति ईरानी उस पर तंज कसती हैं. कुछ ऐसे हुई ट्विटर पर राहुल गांधी और स्मृति ईरानी में जवाबी शेरो-शायरी राहुल ने ट्वीट किया

भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ

आजकल दिल्ली में है जेरे-बहस ये मुद्दआ

दुष्यंत कुमार 

 स्मृति ईरानी भी मौक़ा कहां चूकने वाली थीं, उन्होंने भी शेर को मॉडिफाई किया और राहुल के शेर को कोट करते हुए जवाब चेप दिया

ऐ सत्ता की भूख -सब्र कर, आँकड़े साथ नहीं तो क्या

खुदगर्जों को जमा कर, मुल्क की बदनामी का शोर तो मचा ही लेंगे 

इससे पहले राहुल गांधी ने यूपी विधान सभा चुनावों के समय बहराइच की रैली पीएम मोदी के ऊपर हमला करते हुए ग़ालिब का शेर पढ़ा था, “हर एक बात पे कहते हो कि तू क्या है...तुम्हीं कहो कि यह अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या है.” तब भी वे सोशल मीडिया पर ट्रोल हुए थे. इसके बाद राहुल गांधी ने अपने इस शेरो शायरी के अंदाज को बढ़ाते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के सबसे प्रिय प्रोजेक्ट नोटबंदी पर चोट की थी और ट्वीट किया था . मोदीजी ने गरीब पर ज़बरदस्त चोट मारी है, बशीर बद्र के शब्दों में-'लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में'

 इस शेर के जवाब में भी उनकी जमकर ट्रोलिंग हुई

अपने आलोचकों का मुंहबंद करना आज राहुल की सबसे बड़ी चुनौती है अब उनके विकास के पागल होने वाले बयान पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा ने गोरखपुर में ताजातरीन बयान दे डाला है. उनका कहना है, “राहुल गांधी को देश की मिट्टी में खुशबू नहीं आती है. उनके तार कहीं और से जुड़े रहते हैं." कांग्रेस का अध्‍यक्ष बनाए जाने के सवाल पर उन्‍होंने कहा, 'यही कांग्रेस का दुर्भाग्‍य है. हमारे लोग तो कहते हैं कि राहुल गांधी जहां-जहां पहुंच जाते हैं वहां हमारी पार्टी को कम काम करना पड़ता है.'

चाहे, राहुल गाँधी हों या उनके विरोधी, फिलहाल इन दोनों की एक दूसरे पर जवाबी फायरिंग में देश के असली मुद्दे कहीं खो चुके हैं. सेंटरस्टेज पर अगर कोई मुद्दा है तो वह है राहुल का गलत लू में जाना और उनकी शेरो-शायरी, जो दो जून की रोटी के लिए मशक्कत करने वाली अधिकांश जनता के पल्ले नहीं पड़ती.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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