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विज्ञापन और उनकी हकीकत

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 12 सितम्बर, 2015 05:58 PM
  • 12 सितम्बर, 2015 05:58 PM
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विज्ञापन न हों तो कुछ बिकेगा नहीं, क्योंकि 'जो दिखता है वही तो बिकता है', पर कभी-कभी ये विज्ञापन हकीकत से बिलकुल अलग होते है
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कहते हैं विज्ञापन बहुत ज़रूरी होते हैं. विज्ञापन हमें किसी भी उत्पाद को चुनने के लिए ज़रूरी जानकारी देते हैं. विज्ञापन न हों तो कुछ बिकेगा ही नहीं, क्योंकि जो दिखता है वही तो बिकता है. पर कभी-कभी ये विज्ञापन ऐसा कुछ दिखाते हैं जो हकीकत से बिलकुल अलग होता है, काले रंग को गोरा करने वाली क्रीम हों या फिर लड़कियों को आकर्षित करने के लिए लगाए जाने वाले डीओडरेंट का विज्ञापन... हम विज्ञापन के मोहजाल में फंसते ही चले जाते हैं, सच भी तो है 'किसी झूठ को अगर बार-बार दोहराया जाये तो वो सच लगने लगता है' और इसी बात को अपना गुरुमंत्र मानते हैं हमारे विज्ञापन.

पर असल ज़िन्दगी में इन विज्ञापनों की हकीकत क्या है, 'SNG comedy' ने अपने एक वीडियो के जरिए बताने की कोशिश की है. 'Ads versus Reality' नाम का ये वीडियो आपको गुदगुदाएगा भी और हकीकत से रूबरू भी करवाएगा.

 

 


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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