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'मैं स्मार्टफोन बनना चाहता हूं'

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 09 जून, 2018 04:01 PM
  • 02 जुलाई, 2017 03:15 PM
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स्कूल में जब बच्चों को उनकी इच्छा लिखने को कहा गया तब एक बच्चे ने लिखा कि वो स्मार्ट फोन बना चाहता है. इसका जो कारण उस बच्चे ने बताया वो हम सबसे जुड़ा है, जिसे जानना बेहद जरूरी है.

एक स्कूल में बच्चों को एक विषय पर कुछ लिखने के लिए दिया गया. विषय था 'माय विश' (मेरी इच्छा). एक बच्चे ने अपनी कॉपी में जो विश लिखी उसे सुनकर उसकी टीचर रो पड़ीं. बच्चा चहता है कि वो एक स्मार्ट फोन बन जाए. और जो कारण उसने बताया वो शायद हम सबसे जुड़ा हुआ है.

बच्चे ने लिखा- 'मैं एक स्मार्टफोन बनना चाहता हूं. मेरे मम्मी-पापा मुझसे ज्यादा अपने फोन से प्यार करते हैं. उनके पास मेरे लिए समय ही नहीं है. वो अपने फोन का तो इतना ध्यान रखते हैं, लेकिन वो मेरा ध्यान रखना भूल गए हैं. जब मेरे मम्मी-पापा कोई जरूरी काम कर रहे हों और फोन आ जाए तो एक रिंग बजने पर ही वो फोन अटेंड कर लेते हैं, लेकिन मुझे नहीं, मैं रो रहा हूं ..तब भी नहीं. जब मेरे पापा ऑफिस से घर आते हैं, उनके पास स्मार्टफोन के लिए समय होता है पर मेरे लिए नहीं. मेरे मम्मी-पापा दोनों अपने फोन पर तो गेम खेलते हैं, पर मेरे साथ नहीं खेलते. इसलिए मेरी इच्छा है कि मैं एक स्मार्ट फोन बन जाऊं !!'

इस किस्से को वीडियो के जरिए एक स्कूल ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है. जिसे देखना हम सबके लिए जरूरी है.

एक छोटे से बच्चे की ये बचकानी सी इच्छा, एक बहुत ही गंभीर समस्या की तरफ इशारा कर रही है. ये सिर्फ एक नहीं बल्कि लगभग हर उस घर की कहानी है, जहां माता-पिता अपने फोन पर बिजी रहते हैं और बच्चों को उतना समय ही नहीं देते, जिसके वो हकदार हैं.

ये भी पढ़ें- कहीं बच्चों का भविष्य आपके सपनों का भूत तो नहीं?

एक स्कूल में बच्चों को एक विषय पर कुछ लिखने के लिए दिया गया. विषय था 'माय विश' (मेरी इच्छा). एक बच्चे ने अपनी कॉपी में जो विश लिखी उसे सुनकर उसकी टीचर रो पड़ीं. बच्चा चहता है कि वो एक स्मार्ट फोन बन जाए. और जो कारण उसने बताया वो शायद हम सबसे जुड़ा हुआ है.

बच्चे ने लिखा- 'मैं एक स्मार्टफोन बनना चाहता हूं. मेरे मम्मी-पापा मुझसे ज्यादा अपने फोन से प्यार करते हैं. उनके पास मेरे लिए समय ही नहीं है. वो अपने फोन का तो इतना ध्यान रखते हैं, लेकिन वो मेरा ध्यान रखना भूल गए हैं. जब मेरे मम्मी-पापा कोई जरूरी काम कर रहे हों और फोन आ जाए तो एक रिंग बजने पर ही वो फोन अटेंड कर लेते हैं, लेकिन मुझे नहीं, मैं रो रहा हूं ..तब भी नहीं. जब मेरे पापा ऑफिस से घर आते हैं, उनके पास स्मार्टफोन के लिए समय होता है पर मेरे लिए नहीं. मेरे मम्मी-पापा दोनों अपने फोन पर तो गेम खेलते हैं, पर मेरे साथ नहीं खेलते. इसलिए मेरी इच्छा है कि मैं एक स्मार्ट फोन बन जाऊं !!'

इस किस्से को वीडियो के जरिए एक स्कूल ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है. जिसे देखना हम सबके लिए जरूरी है.

एक छोटे से बच्चे की ये बचकानी सी इच्छा, एक बहुत ही गंभीर समस्या की तरफ इशारा कर रही है. ये सिर्फ एक नहीं बल्कि लगभग हर उस घर की कहानी है, जहां माता-पिता अपने फोन पर बिजी रहते हैं और बच्चों को उतना समय ही नहीं देते, जिसके वो हकदार हैं.

ये भी पढ़ें- कहीं बच्चों का भविष्य आपके सपनों का भूत तो नहीं?

बच्चों को अनदेखा कर रहे हैं मोबाइल पर व्यस्त रहने वाले माता-पिता

एक वो दौर भी था जब सिर्फ लैंडलाइन फोन ही थे. तब माता-पिता के पास भी बहुत समय होता था. फिर लैंडलाइन फोन की जगह मोबाइल फोन ने ले ली और अब स्मार्टफोन. स्मार्टफोन्स पर सिर्फ बात ही नहीं होती, सोशल नेटवर्किंग और गेम्स भी धड़ल्ले से खेले जाते हैं, जिसे हर कोई खेलता है, मम्मी हों या पापा. और इसने हर किसी को इतना व्यस्त कर दिया कि अपनों तक के लिए ही समय नहीं मिलता. बच्चे कुछ कहें तो उन्हें भी टैब या मोबाइल थमा कर चुप करा दिया जाता है. अफसोस कि ऐसा करके न जाने कितने पेरेंट्स अपने बच्चों को ही अनदेखा कर रहे हैं. जो समय बच्चों के साथ बिताकर उनके और करीब आने का होता है, उस कीमती वक्त को मोबाइल पर वेस्ट कर दिया जाता है. खुद तो स्ट्रेस फ्री हो जाते हैं, और बच्चो को तनाव दे दिया जाता है.

शुक्र है कि ये माता-पिता आप नहीं हैं, फिर भी कभी पूछिए अपने बच्चों से कि उनकी विश क्या है..

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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