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योगी के इस मंत्री को मिला 'भूत बंगला'

    • मोहित चतुर्वेदी
    • Updated: 06 अप्रिल, 2017 10:16 PM
  • 06 अप्रिल, 2017 10:16 PM
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योगी सरकार बनते ही सबकी नजरें टिकी थीं बंगला नंबर 6 पर. जो किसी भूत बंगले से कम नहीं है. आखिरकार वो बंगला कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह को मिला. इस बंगले का इतिहास काफी डरावना है.

यूपी में बीजेपी की नई सरकार बन चुकी है. सभी मंत्रियों को बंगले भी मिल गए थे लेकिन सीएम आवास के बगल वाला बंगला नंबर 6 किसी को अलॉट नहीं हुआ था. अब उसे भी योगी के एक मंत्री को मिल चुका है. ये बंगला किसी भूत बंगले से कम नहीं है. इस बंगले में अब योगी के कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल रहेंगे. हालांकि उनका कहना है कि वो अपशगुन को नहीं मानते हैं और उनको इस बंगले में रहने में कोई परेशानी नहीं है.

राजनीतिक गलियारों में इस बंगले को अपशगुन माना जाता है. बता दें, कि ये बंगला सीएम योगी के बंगले से बगल में ही है. इस बंगले का इतिहास जानें तो आप भी इसे भूत बंगले से कम नहीं समझेंगे. क्योंकि इस बंगले ने किसी का करियर खत्म किया तो कोई अब तक बिस्तर से ही नहीं उठा. आइए जानते हैं इस बंगले का इतिहास....

सीएम अखिलेश ने हटा दिया था अपने करीबी जावेद अब्दी को

एक समय था जब अखिलेश के करीबी माने जाने वाले राज्यमंत्री और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष जावेद अब्दी को पद से बर्खास्त कर दिया था. क्योंकि वो भ्रष्टाचार के मामले फंस गए थे. बता दें, उनको भी सीएम आवास के बगल वाला 6 कालीदास मार्ग आवंटित हुआ था. जावेद अब्दी को हटाने के बाद उनके राजनैतिक करियर पर स्टॉप लग गया और उनको साइड लाइन कर दिया गया. उनकी बर्खास्तगी के बाद चर्चा आम हो गई कि ये बंगला अपशगुन है.

अमर सिंह का भी करियर चौपट

सपा के चाणक्य मानें जाने वाले अमर सिंह भी...

यूपी में बीजेपी की नई सरकार बन चुकी है. सभी मंत्रियों को बंगले भी मिल गए थे लेकिन सीएम आवास के बगल वाला बंगला नंबर 6 किसी को अलॉट नहीं हुआ था. अब उसे भी योगी के एक मंत्री को मिल चुका है. ये बंगला किसी भूत बंगले से कम नहीं है. इस बंगले में अब योगी के कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल रहेंगे. हालांकि उनका कहना है कि वो अपशगुन को नहीं मानते हैं और उनको इस बंगले में रहने में कोई परेशानी नहीं है.

राजनीतिक गलियारों में इस बंगले को अपशगुन माना जाता है. बता दें, कि ये बंगला सीएम योगी के बंगले से बगल में ही है. इस बंगले का इतिहास जानें तो आप भी इसे भूत बंगले से कम नहीं समझेंगे. क्योंकि इस बंगले ने किसी का करियर खत्म किया तो कोई अब तक बिस्तर से ही नहीं उठा. आइए जानते हैं इस बंगले का इतिहास....

सीएम अखिलेश ने हटा दिया था अपने करीबी जावेद अब्दी को

एक समय था जब अखिलेश के करीबी माने जाने वाले राज्यमंत्री और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष जावेद अब्दी को पद से बर्खास्त कर दिया था. क्योंकि वो भ्रष्टाचार के मामले फंस गए थे. बता दें, उनको भी सीएम आवास के बगल वाला 6 कालीदास मार्ग आवंटित हुआ था. जावेद अब्दी को हटाने के बाद उनके राजनैतिक करियर पर स्टॉप लग गया और उनको साइड लाइन कर दिया गया. उनकी बर्खास्तगी के बाद चर्चा आम हो गई कि ये बंगला अपशगुन है.

अमर सिंह का भी करियर चौपट

सपा के चाणक्य मानें जाने वाले अमर सिंह भी इस बंगले में रह चुके हैं. एक समय था जब सपा के हर निर्णय में उनकी राय ली जाती थी. लेकिन इस बंगले में आने के बाद तो कहानी पूरी तरह से उलट हो गई. अब उनका राजनीतिक करियर भी मझधार में है. मुलायम सिंह से उनकी ऐसी ठनी कि उन्हें सपा छोड़ना पड़ा और अब भी मुलायमवादी होने के बाद भी पार्टी से बाहर चल रहे हैं.

वकार अहमद हुए बीमार

2012 में जब सपा की सरकार बनी तो बंगला नंबर 5 सीएम अखिलेश को मिला. अखिलेश का कोई मंत्री बंगला नंबर 6 लेने को तैयार नहीं था, ऐेसे में केबिनेट मंत्री वकार अहमद ने बंगले में रहने का रिस्क उठाया. घर में कदम रखते ही उनकी तबीयत खराब हो गई. तबीयत भी ऐसी खराब हुई कि आज तक वह बिस्तर से नहीं उठे. उनका ईलाज अभी भी चल रहा है. घर खाली होने के बाद सभी मंत्रियों ने इस बंगले में रहने से मना कर दिया.

बाबू सिंह कुशवाहा पहुंचे जेल

बसपा सरकार में कभी मायावती के करीबी कहे जाने वाले बाबू सिंह कुशवाहा भी इसी आवास में रहते थे. बाबू सिंह कुशवाहा सबसे ताकतवर मंत्री माने जाते थे. उनके पास कई विभाग थे, ऐसे में लोगों की लम्बी लाइन उनसे मिलने के लिए लगती थी. लेकिन समय बदला और बाबू सिंह कुशवाहा सीएमओ मर्डर केस के साथ-साथ एनआरएचएम घोटाले में फंस गए. इसके बाद मायावती ने भी उनसे किनारा कर लिया और उन्हें जेल जाना पड़ा.

योगी सरकार में ये बंगला एसपी सिंह बघेल को दिया नहीं गया, बल्कि उन्होंने खुद लिया है. बंगले के इतिहास को देखकर लगता है कि कहीं उन्होंने खुद के पैर में तो कुलहाड़ी नहीं मार ली ? अब ये तो समय ही बताएगा कि उनके लिए यह बंगला लकी साबित होता है या वो भी अपशगुन के शिकार होते हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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