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योगी का प्रशासन है कि मानता ही नहीं

    • अशोक उपाध्याय
    • Updated: 05 जून, 2017 04:58 PM
  • 05 जून, 2017 04:58 PM
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शायद अस्पताल में आये हुए अच्छे दिन से मुख्यमंत्री को अवगत कराने के लिए इस निरीक्षण से पहले जिला प्रशासन ने करीब 20 कूलर एक टेंट हाउस से किराए पर लिया और इन्हें मरीजों के वॉर्ड में लगवा दिया.

4 जून 2017 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर का तापमान आसमान छू रहा था. विभत्स गर्मी से पूरे उत्तर भारत में लोग तबाह थे. उसी दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इलाहाबाद के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे. शायद अस्पताल में आये हुए अच्छे दिन से मुख्यमंत्री को अवगत कराने के लिए इस निरीक्षण से पहले जिला प्रशासन ने करीब 20 कूलर एक टेंट हाउस से किराए पर लिया और इन्हें मरीजों के वॉर्ड में लगवा दिया. सीएम साहेब को वहां की लुभावनी तस्वीरें दिखाई गईं जो काफी हद तक तथ्यों से परे थीं.

योगी आदित्यनाथ के दौरे से पहले आखिर हर बार इस तरह की व्यवस्था क्यों की जाती हैइतना ही नहीं अपने इस कारनामे को छिपाने के लिए प्रशासन ने मीडिया को अस्पताल के अंदर जाने से भी रोक लगा दिया. प्रशासन ने कूलर पर लिखे टेंट हाउस के नाम को ढंक दिया था, ताकि मुख्यमंत्री की नजर उन पर न पड़ जाए.  टेंट हाउस के नाम के ऊपर बहुत ही चालाकी से जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का नाम चिपका दिया गया था. लगभग 24 घंटे तक अस्पताल के मरीजों को गर्मी से राहत मिली. मुख्यमंत्री साहेब के जाते ही अस्पताल का ड्रामा खत्म हो गया और टेंट हाउस से किराए पर लिए गए कूलर को वापस पहुंचा दिया गया. यानी की मुख्यमंत्री जी अस्पताल में आये हुए अच्छे दिन का दर्शन कर लिए जो की काफी हद तक भर्मित करने वाला या झूठा था.

ऐसा नहीं है की योगी आदित्यनाथ के साथ यह पहली बार हुआ है. पिछले महीने वो देवरिया गए थे. वहां वो पुंछ में पाकिस्तान के द्वारा मारे गए शहीद प्रेम सागर के परिजनों मिलने पहुंचे थे. उनके दौरे से पहले प्रशासन के द्वारा शहीद के घर में एसी, सोफा, कालीन सब नया-नया लाकर रखा गया.  मुख्यमंत्री शहीद के घर बस चंद मिनट ही रुके.  उनके जाते ही वहां लगाए गए एसी, सोफे और अन्य चीजों...

4 जून 2017 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर का तापमान आसमान छू रहा था. विभत्स गर्मी से पूरे उत्तर भारत में लोग तबाह थे. उसी दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इलाहाबाद के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे. शायद अस्पताल में आये हुए अच्छे दिन से मुख्यमंत्री को अवगत कराने के लिए इस निरीक्षण से पहले जिला प्रशासन ने करीब 20 कूलर एक टेंट हाउस से किराए पर लिया और इन्हें मरीजों के वॉर्ड में लगवा दिया. सीएम साहेब को वहां की लुभावनी तस्वीरें दिखाई गईं जो काफी हद तक तथ्यों से परे थीं.

योगी आदित्यनाथ के दौरे से पहले आखिर हर बार इस तरह की व्यवस्था क्यों की जाती हैइतना ही नहीं अपने इस कारनामे को छिपाने के लिए प्रशासन ने मीडिया को अस्पताल के अंदर जाने से भी रोक लगा दिया. प्रशासन ने कूलर पर लिखे टेंट हाउस के नाम को ढंक दिया था, ताकि मुख्यमंत्री की नजर उन पर न पड़ जाए.  टेंट हाउस के नाम के ऊपर बहुत ही चालाकी से जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का नाम चिपका दिया गया था. लगभग 24 घंटे तक अस्पताल के मरीजों को गर्मी से राहत मिली. मुख्यमंत्री साहेब के जाते ही अस्पताल का ड्रामा खत्म हो गया और टेंट हाउस से किराए पर लिए गए कूलर को वापस पहुंचा दिया गया. यानी की मुख्यमंत्री जी अस्पताल में आये हुए अच्छे दिन का दर्शन कर लिए जो की काफी हद तक भर्मित करने वाला या झूठा था.

ऐसा नहीं है की योगी आदित्यनाथ के साथ यह पहली बार हुआ है. पिछले महीने वो देवरिया गए थे. वहां वो पुंछ में पाकिस्तान के द्वारा मारे गए शहीद प्रेम सागर के परिजनों मिलने पहुंचे थे. उनके दौरे से पहले प्रशासन के द्वारा शहीद के घर में एसी, सोफा, कालीन सब नया-नया लाकर रखा गया.  मुख्यमंत्री शहीद के घर बस चंद मिनट ही रुके.  उनके जाते ही वहां लगाए गए एसी, सोफे और अन्य चीजों को उनके अफसर उठा ले गए. इस खबर को मीडिया ने काफी प्रमुखता दिया. इससे उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार की काफी छीछालेदर हुई थी.

25 मई को योगी आदित्यनाथ कुशीनगर जिले की मुसहर बस्ती के दौरे पर गए. सीएम योगी के आने से पहले प्रशासन के द्वारा वहां पर साबुन एवं शैम्पू बांटे गए और मुसहरों को नहाकर आने की सलाह दी गई. प्रशासन के अधिकारियों को डर था की कहीं वो बिना ढंग से नहाए आ गए तो उनके शरीर से  आने वाली बदबू से मुख्यमंत्री नाराज ना हो जाएँ. इस खबर पर भी उत्तर प्रदेश सरकार की बहुत भर्त्सना हुई.

ऐसा नहीं है की मुख्यमंत्री को प्रशासन के इन कृत्यों की खबर नहीं है. ख़बरों के अनुसार 2 जून को मुख्यमंत्री योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि उनके भ्रमण, निरीक्षण अथवा अन्य कार्यक्रमों के दौरान कोई भी विशेष व्यवस्था न की जाए. फिर भी प्रशासन है की मानता ही नहीं. अगर यह इसी तरह का अच्छे दिन मुख्यमंत्री को दिखाता रहेगा तो भाजपा के लिए बुरे दिन भी जल्द ही आ जायेंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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