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कभी भी छिड़ सकता है तीसरा विश्‍व युद्ध!

    • अभिषेक पाण्डेय
    • Updated: 08 दिसम्बर, 2015 07:35 PM
  • 08 दिसम्बर, 2015 07:35 PM
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असद के समर्थन और विरोध के खेल में रूस और अमेरिका के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं. इस देश में आतंकी संगठन ISIS के खात्मे की जंग के नाम पर रूस और अमेरिका आमने-सामने आ खड़े हुए हैं. क्या इससे तीसरा विश्व युद्ध छिड़ने की नौबत आ जाएगी?

सीरिया में ISIS के खिलाफ शुरू हुई जंग अमेरिका बनाम रूस में तब्दील होती जा रही है. अमेरिका पर पहली बार सीरियाई सेना के खिलाफ बमबारी करने का आरोप लगा है. बताया जा रहा है कि इस हमले में तीन सीरियाई सैनिक मारे गए हैं. इस कार्रवाई को सीधे-सीधे रूस को चुनौती देने के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि रूस सीरिया में असद के समर्थन में हमले कर रहा है.

अब जरा सोचिए कि अगर असद की सेना किसी अमेरिकी विमान को मार गिराती है, तो क्‍या होगा? तो अमेरिका इसे रूस की कार्रवाई समझेगा या अमेरिकी मित्र राष्ट्र अगर असद की सेना के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो इसे रूस अपने खिलाफ कार्रवाई मानेगा. असद के समर्थन और विरोध के खेल में रूस और अमेरिका के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं. क्या इससे तीसरा विश्व युद्ध छिड़ने की नौबत आ जाएगी?

सीरिया में रूस और अमेरिका के बीच चौड़ी होती खाईः

दुनिया की दो महाशक्तियां अमेरिका और रूस वैसे तो ISIS के खात्मे के लिए सीरिया की धरती पर जंग के मैदान में कूदे थे. सीरिया में इन दोनों देशों के अपने स्वार्थ हैं और यही इनके बीच मतभेद की खाई चौड़ी कर रहे हैं. अमेरिका ने एक वर्ष पहले सीरिया में आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ बमबारी शुरू कर थी.

लेकिन अमेरिका चाहता है कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्ता से बेदखल किया जाए. इसलिए पिछले एक वर्ष के दौरान उससे न सिर्फ ISIS के खिलाफ बमबारी की है बल्कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ लड़ रहे सीरियाई विद्रोहियों की भी मदद कर रहा है. लेकिन इस वर्ष सितंबर में जब सीरिया का करीबी रूस भी इस लड़ाई में कूद पड़ा तो स्थिति अजीब हो गई और दुनिया की दो महाशक्तियां टकराव के मोड़ पर आ खड़ी हुईं.

रूस-अमेरिका के मतभेद से होगा तीसरा विश्व युद्ध!
रूस असद का समर्थक रहा है और उसे बचाने के लिए पश्चिम समर्थित सीरियाई विद्रोहियों को निशाना बनाता रहा है. कहने को तो वह ISIS के खिलाफ लड़ रहा है लेकिन पर्दे के पीछे वह अमेरिका समर्थित सीरियाई...

सीरिया में ISIS के खिलाफ शुरू हुई जंग अमेरिका बनाम रूस में तब्दील होती जा रही है. अमेरिका पर पहली बार सीरियाई सेना के खिलाफ बमबारी करने का आरोप लगा है. बताया जा रहा है कि इस हमले में तीन सीरियाई सैनिक मारे गए हैं. इस कार्रवाई को सीधे-सीधे रूस को चुनौती देने के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि रूस सीरिया में असद के समर्थन में हमले कर रहा है.

अब जरा सोचिए कि अगर असद की सेना किसी अमेरिकी विमान को मार गिराती है, तो क्‍या होगा? तो अमेरिका इसे रूस की कार्रवाई समझेगा या अमेरिकी मित्र राष्ट्र अगर असद की सेना के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो इसे रूस अपने खिलाफ कार्रवाई मानेगा. असद के समर्थन और विरोध के खेल में रूस और अमेरिका के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं. क्या इससे तीसरा विश्व युद्ध छिड़ने की नौबत आ जाएगी?

सीरिया में रूस और अमेरिका के बीच चौड़ी होती खाईः

दुनिया की दो महाशक्तियां अमेरिका और रूस वैसे तो ISIS के खात्मे के लिए सीरिया की धरती पर जंग के मैदान में कूदे थे. सीरिया में इन दोनों देशों के अपने स्वार्थ हैं और यही इनके बीच मतभेद की खाई चौड़ी कर रहे हैं. अमेरिका ने एक वर्ष पहले सीरिया में आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ बमबारी शुरू कर थी.

लेकिन अमेरिका चाहता है कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्ता से बेदखल किया जाए. इसलिए पिछले एक वर्ष के दौरान उससे न सिर्फ ISIS के खिलाफ बमबारी की है बल्कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ लड़ रहे सीरियाई विद्रोहियों की भी मदद कर रहा है. लेकिन इस वर्ष सितंबर में जब सीरिया का करीबी रूस भी इस लड़ाई में कूद पड़ा तो स्थिति अजीब हो गई और दुनिया की दो महाशक्तियां टकराव के मोड़ पर आ खड़ी हुईं.

रूस-अमेरिका के मतभेद से होगा तीसरा विश्व युद्ध!
रूस असद का समर्थक रहा है और उसे बचाने के लिए पश्चिम समर्थित सीरियाई विद्रोहियों को निशाना बनाता रहा है. कहने को तो वह ISIS के खिलाफ लड़ रहा है लेकिन पर्दे के पीछे वह अमेरिका समर्थित सीरियाई विद्रोहियों को मिटा रहा है. इस बात से नाराज अमेरिका रूस को इससे बाज आने की चेतावनी तक दे चुका है. लेकिन रूस भला अमेरिका की क्यों सुनने लगा. सीरिया में अगर रूस और अमेरिका के बीच मतभेद की खाई और चौड़ी हुई तो इन दोनों देशों के आपस में टकराने की नौबत आ सकती है, जिससे एक और विश्व युद्ध छिड़ सकता है.

खुद को फिर से महाशक्ति साबित कर रहा है रूसः पिछले कई दशकों के दौरान और खासतौर पर शीतयुद्ध के बाद शायद यह पहला मौका है जब दुनिया की किसी जंग में रूस और अमेरिका सीधे तौर पर एक दूसरे के खिलाफ खड़े दिख रहे हैं. शीत युद्ध के लंबे दौर में कभी भी ये दोनों देश जंग के मैदान में आमने-सामने नहीं हुए थे. लेकिन अब सीरिया में अप्रत्यक्ष तौर पर ये दोनों एकदूसरे के हितों को निशाना बनाते हुए उनके खिलाफ बम बरसा रहे हैं.

दरअसल शीत युद्ध का नतीजा रूस के 18 टुकड़ों में बंटने और उसके आर्थिक रूप से कमजोर होने के रूप में सामने आया था. इसे अमेरिका की जीत के तौर देखा गया. कमजोर हो चुका रूस काफी वर्षों तक वैश्विक मुद्दों पर अमेरिका से सीधे टकराव से बचता रहा. लेकिन ब्लादिमीर पुतिन जैसे तेजतर्रार राष्ट्रपति के नेतृत्व में रूस ने तेजी से खुद को आर्थिक और सैन्य स्तर पर मजबूत किया और दुनिया की महाशक्ति के रूप में फिर से अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस पाने के लिए सीरिया में अमेरिका के सामने जा खड़ा हुआ.

अमेरिका और रूस के अहम और स्वार्थ का टकराव अगर इसी तरह जारी रहा तो दुनिया को तीसरा विश्व युद्ध भी झेलना पड़ सकता है!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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