• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

राष्ट्रपति चुनाव : मोदी की पसंद पर टिकी निगाहें

    • रीमा पाराशर
    • Updated: 10 अप्रिल, 2017 06:03 PM
  • 10 अप्रिल, 2017 06:03 PM
offline
फ़िलहाल मोदी और उनके रणनीतिकार हर पहलू को दिमाग में रखकर नामों पर चर्चा कर रहे हैं और इसके लिए राष्ट्रपति के साथ-साथ उपराष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार पर भी चिंतन चल रहा है.

उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत और बिना सहयोगियों के अपने दम पर कई राज्यों में सरकार बनाने के बावजूद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आजकल एनडीए सहयोगियों को ख़ुश करने में लगे हैं. ख़ुद फ़ोन कर सहयोगियों को एनडीए की बैठक में आने का न्योता दिया जिसमें लज़ीज़ पकवानों के साथ उनका स्वागत होगा. भाजपा अध्यक्ष को एनडीए सहयोगियों पर ये प्यार ऐसे ही नहीं आ गया है अगर ऐसा होता तो 3 साल से बार-बार शिव सेना जैसे सहयोगियों के दबाव डालने के बाद भी ऐसी बैठके गिनी चुनी ही ना होती. इस बार मामला ज़रूरत और प्रतिष्ठा दोनो से जुड़ा है. बात राष्ट्रपति चुनाव की है जहाँ अपने पसंदीदा उम्मीदवार को बिठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एनडीए का साथ चाहिए.

हालाँकि, एनडीए पूरी तरह मोदी के साथ है और शिव सेना के शुरुआती नख़रों को अगर नज़रअंदाज करके मना लिया जाए तो भाजपा को सहयोगियों से कोई बड़ी ना नुकर होती नहीं दिख रही. लेकिन फिर भी मोदी कोई कसर छोड़ना नहीं चाह रहे. पार्टी के रणनीतिकार एक-एक वोट को अपने पक्ष में जुटाने की जोड़ तोड़ में लगे हैं. तभी तो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ और केश्व्प्रसाद मौर्य और गोवा गए मनोहर परिकर को बतौर सांसद इस्तीफ़ा देने से फ़िलहाल रोक दिया गया.

सरकार की इस रणनीति के बीच संसद भवन के कमरा नंबर 108 और 79 में संसदीय सचिवालय की एक टीम ने नए राष्ट्रपति के चुनाव की तैयारियों पर काम भी शुरु कर दिया है. राष्ट्रपति चुनाव के निर्धारित कैलेंडर के मुताबिक देश के प्रथम नागरिक का चुनाव 25 जुलाई 2017 तक कर लिया जाना है.

लोकसभा सचिवालय सूत्रों के मुताबिक इसी महीने से राष्ट्रपति चुनाव की कवायद संसद में शुरू की गई है. तय परिपाटी के मुताबिक इस बार राष्ट्रपति का संयोजक लोकसभा सचिवालय को बनाया गया है. पिछली बार यह जिम्मेदारी राज्यसभा...

उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत और बिना सहयोगियों के अपने दम पर कई राज्यों में सरकार बनाने के बावजूद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आजकल एनडीए सहयोगियों को ख़ुश करने में लगे हैं. ख़ुद फ़ोन कर सहयोगियों को एनडीए की बैठक में आने का न्योता दिया जिसमें लज़ीज़ पकवानों के साथ उनका स्वागत होगा. भाजपा अध्यक्ष को एनडीए सहयोगियों पर ये प्यार ऐसे ही नहीं आ गया है अगर ऐसा होता तो 3 साल से बार-बार शिव सेना जैसे सहयोगियों के दबाव डालने के बाद भी ऐसी बैठके गिनी चुनी ही ना होती. इस बार मामला ज़रूरत और प्रतिष्ठा दोनो से जुड़ा है. बात राष्ट्रपति चुनाव की है जहाँ अपने पसंदीदा उम्मीदवार को बिठाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एनडीए का साथ चाहिए.

हालाँकि, एनडीए पूरी तरह मोदी के साथ है और शिव सेना के शुरुआती नख़रों को अगर नज़रअंदाज करके मना लिया जाए तो भाजपा को सहयोगियों से कोई बड़ी ना नुकर होती नहीं दिख रही. लेकिन फिर भी मोदी कोई कसर छोड़ना नहीं चाह रहे. पार्टी के रणनीतिकार एक-एक वोट को अपने पक्ष में जुटाने की जोड़ तोड़ में लगे हैं. तभी तो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ और केश्व्प्रसाद मौर्य और गोवा गए मनोहर परिकर को बतौर सांसद इस्तीफ़ा देने से फ़िलहाल रोक दिया गया.

सरकार की इस रणनीति के बीच संसद भवन के कमरा नंबर 108 और 79 में संसदीय सचिवालय की एक टीम ने नए राष्ट्रपति के चुनाव की तैयारियों पर काम भी शुरु कर दिया है. राष्ट्रपति चुनाव के निर्धारित कैलेंडर के मुताबिक देश के प्रथम नागरिक का चुनाव 25 जुलाई 2017 तक कर लिया जाना है.

लोकसभा सचिवालय सूत्रों के मुताबिक इसी महीने से राष्ट्रपति चुनाव की कवायद संसद में शुरू की गई है. तय परिपाटी के मुताबिक इस बार राष्ट्रपति का संयोजक लोकसभा सचिवालय को बनाया गया है. पिछली बार यह जिम्मेदारी राज्यसभा सचिवालय ने निभाई थी. लोकसभा के महासचिव राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग अधिकारी होंगे. राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में निर्वाचन आयोग की सलाह के बाद राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रकोष्ठ बनाया गया है.

भारत में राष्ट्रपति का चयन अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से होता है जिसमें इलेक्टोरेट कॉलेज के जरिए चुनाव होता है. यानी हर चुने हुए सांसद, विधायक और विधानपरिषद सदस्यों के आधार पर राज्यों का मतांक तय किया जाता है. लिहाजा जहां संसद के दोनों सदनों के सदस्य मतदान करेंगे. वहीं राज्यों के चुने हुए प्रतिनिधि भी सूबों में मतदान करेंगे.

कई नामों पर हो रही है चर्चा...

फ़िलहाल मोदी और उनके रणनीतिकार हर पहलू को दिमाग में रखकर नामों पर चर्चा कर रहे हैं और इसके लिए राष्ट्रपति के साथ-साथ उपराष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार पर भी चिंतन चल रहा है.

एम वेंकैया नायडू और एस एम कृष्णा : दक्षिण की राजनीति में पैठ ज़माने के लिए इन दोनों में से किसी एक नेता को उपराष्ट्रपति चुना जा सकता है ताकि दक्षिण के चेहरे के रूप में पेश किया जा सके. वेंकैया नायडू की पहचान मोदी के खास मंत्रियों के रूप में भी होती है.

सुमित्रा महाजन : लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन राष्ट्रपति पद की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं. लोकसभा में सरकार के नज़दीक और महिला होना उनके पक्ष में अहम भूमिका निभाता है.

सुषमा स्वराज : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की सेहत इस तरफ़ इशारा कर चुकी हैं कि भविष्य में उन्हें पार्टी किसी ऐसे पद पर बिठा सकती है.

झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू : देश की दो सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी वाले राज्यों छत्तीसगढ़ और झारखंड में भाजपा की सरकार है, लेकिन दोनों राज्यों में भाजपा ने गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया हुआ है. ऐसे में अगर किसी आदिवासी नेता को राष्ट्रपति या उप राष्ट्रपति बनाया जाए तो पार्टी के लिए ओरिशा चुनाव में भी अच्छा संकेत जाने की उम्मीद बड़ेगी.

लाल कृष्ण आडवाणी को गुरु दक्षिणा : ये नाम तबसे चर्चा में है जबसे मोदी पीएम बने. भाजपा के ही कई नेता दबी ज़ुबान से आडवाणी को राष्ट्रपति बनाकर मोदी की तरफ़ से गुरु दक्षिणा देने का शिगूफ़ा छोड़ते रहे. सम्भावना है कि मोदी ऐसा करके ये संकेत दें की अपने गुरु से उनके गिले शिकवे दूर हो गए हैं. चर्चा ये भी है की अटल बिहारी वाजपेयी की तरह मोदी भी अब्दुल कलाम जैसे किसी ग़ैर राजनीतिक चेहरे को सामने ले आए जिसपर सबकी सहमति आसानी से बन जाए. लेकिन फ़िलहाल मोदी के पिटारे से किसका नाम निकलता है ये जानने के लिए कुछ इंतज़ार करना होगा.

ये भी पढ़ें-

बीजेपी शासित राज्यों में ही ज्यादा क्यों है 'नकली गोरक्षकों' का उत्पात

शिवसेना सांसद को 'पानी पिलाने' वाले एयर इंडिया के सीएमडी को जान लें

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲