• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

यूपी चुनाव में कौन सा जुमला जीतेगा ?

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 19 जनवरी, 2017 06:09 PM
  • 19 जनवरी, 2017 06:09 PM
offline
आजकल सभी पार्टियों के कार्यकर्ता नारों का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन तीन-चार दशक पहले भी जब मीडिया आज की तरह फैला था, उस समय भी चुनावी नारे ही दलों के लिए सबसे बड़े चुनावी हथियार हुआ करते थे.

चुनावी जुमलों का अपना ही महत्व होता है, और होना भी चाहिए. आजकल पांच राज्यों में विधान सभा चुनावों की प्रक्रिया चल रही हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां जुमलों का एक अलग ही महत्व है, और चुनावी मौसम में इनका प्रयोग न हो ऐसा हो ही नहीं सकता. और वह भी तब जब चुनाव उत्तर प्रदेश में हों. विरोधी को घेरने के लिए अगर जुमले अपनी भूमिका निभाएं तो इसमें कोई बुराई नहीं है.

 सभी पार्टियों जुमलों और नारों का खूब इस्तेमाल कर रही हैं

उत्तर प्रदेश में भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा ने विरोधियों के घेरने के लिए नारे और जुमले गढ़े हैं. इस बार यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए 'कहो दिल से अखिलेश फिर से', '27 साल यूपी बेहाल,' 'आने दो बहनजी को' और 'अबकी बार भाजपा सरकार' जैसे जुमले चल रहे हैं. सभी पार्टियों के कार्यकर्ता इनका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन आज ही नहीं तीन-चार दशक पहले भी जब आज की तरह मीडिया इतना नहीं फैला था, उस समय भी चुनावी नारे ही दलों के लिए सबसे बड़े चुनावी हथियार हुआ करते थे.

ये भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश में सज गई हैं चुनावी दुकानें

2017 के चुनावी जुमले

बीजेपी

•    अबकी बार भाजपा सरकार

•    गुंडागर्दी के ठेकेदार, नहीं चाहिए सपा सरकार

•    ट्रांसफर पोस्टिंग...

चुनावी जुमलों का अपना ही महत्व होता है, और होना भी चाहिए. आजकल पांच राज्यों में विधान सभा चुनावों की प्रक्रिया चल रही हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां जुमलों का एक अलग ही महत्व है, और चुनावी मौसम में इनका प्रयोग न हो ऐसा हो ही नहीं सकता. और वह भी तब जब चुनाव उत्तर प्रदेश में हों. विरोधी को घेरने के लिए अगर जुमले अपनी भूमिका निभाएं तो इसमें कोई बुराई नहीं है.

 सभी पार्टियों जुमलों और नारों का खूब इस्तेमाल कर रही हैं

उत्तर प्रदेश में भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा ने विरोधियों के घेरने के लिए नारे और जुमले गढ़े हैं. इस बार यूपी में विधानसभा चुनाव के लिए 'कहो दिल से अखिलेश फिर से', '27 साल यूपी बेहाल,' 'आने दो बहनजी को' और 'अबकी बार भाजपा सरकार' जैसे जुमले चल रहे हैं. सभी पार्टियों के कार्यकर्ता इनका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन आज ही नहीं तीन-चार दशक पहले भी जब आज की तरह मीडिया इतना नहीं फैला था, उस समय भी चुनावी नारे ही दलों के लिए सबसे बड़े चुनावी हथियार हुआ करते थे.

ये भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश में सज गई हैं चुनावी दुकानें

2017 के चुनावी जुमले

बीजेपी

•    अबकी बार भाजपा सरकार

•    गुंडागर्दी के ठेकेदार, नहीं चाहिए सपा सरकार

•    ट्रांसफर पोस्टिंग में कमाया अपार, नहीं चाहिए सपा सरकार

•    यूपी का किसान है बदहाल, उखाड़ फेंको ऐसी निठल्ली सरकार

•    अबकी बार 300 के पार

•    साथ आये परिवर्तन लाये कमल खिलाएं

•    जन जन का संकल्प, परिवर्तन एक विकल्प

•    दो बातें कभी न भूल- नरेंद्र मोदी और कमल का फूल

मायावती के खिलाफ भाजपा के जुमले

•    घोटालों की भरमार, नहीं चाहिए बीएसपी सरकार

•    न गुंडाराज,  भ्रष्टाचार,  अबकी बार भाजपा सरकार

•    पंजा, साइकिल और हाथी, सब भ्रष्टाचार के साथी.

•    कमल खिलाएं, यूपी बचाएं

बसपा के जुमले 

•    बेटियों को मुस्कुराने दो, बहनजी को आने दो

•    गांव गांव को शहर बनाने दो बहनजी को आने दो

•    दर से नहीं हक़ से वोट दो, बेइमानों को छोड़ दो

•    कमल, साइकिल, पंजा होगा किनारे, उप चलेगा हठी के सहारे

 

अखिलेश के जुमले 

•    विकास का पहिया, अखिलेश भैया

•    सब बोलो दिल से, अखिलेश भैया फिर से

•    अखिलेश का जलवा कायम है, उसका बाप मुलायम हैं

•    काम बोलता है

ये भी पढ़ें- ये यूपी है भईया, यहां कैसे कोड ऑफ कंडक्ट?

तीन चार दशक पुराने जुमले

जनसंघ का नारा

•    जनसंघ का सिंबल 'जलता हुआ दीपक और कांग्रेस का 'दो बैलों की जोड़ी' था तब जनसंघ ने नारा दिया- 'जली झोपड़ी भागे बैल, ये देखो दीपक का खेल'.

•    जवाब में कांग्रेस ने 'दीपक में तेल नहीं, तेरा मेरा मेल नहीं'

•    जब इंदिरा ने राशनिंग प्रणाली लागू की तो विपक्ष ने नारा दिया 'खा गई शक्कर-पी गई तेल, यह देखो इंदिरा का खेल

•    इसी दौर में हेमवतीनंदन बहुगुणा यूपी के सीएम बने तो विपक्ष ने नारा दिया- 'जब से आए बहुगुणा महंगाई बढ़ गई सौ गुना.'

 

कांग्रेस को हाथ सिम्बल मिलने पर

कांग्रेस विभाजन के बाद इंदिरा को हाथ सिंबल मिला. और इसी के साथ आया नया नारा  'जात पर पांत पर, मुहर लगेगी हाथ पर' खूब चला.

बोफोर्स घोटाले के बाद

बोफोर्स घोटाले(1989) के बाद राजीव ने इस्तीफा दिया और विश्वनाथ प्रताप धरातल पर उभरे तो नया नारा आया 'राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है.

अयोध्या विवाद पर भी जिसका खून खौले, खून नहीं वो पानी है, जन्मभूमि के काम आए वो बेकार जवानी है. 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएगें', अटल बिहारी बाजपेयी के समय में जुमला " लाल किले पर कमल निशान, मांग रहा है हिंदुस्तान "

बसपा के कुछ खास जुमले

•    'तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार'

•    'पत्थर रख लो छाती पर, वोट पड़ेगा हाथी पर'

•    'चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर' (2007)

•    'पंडित शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा'

•    ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा-विष्णु महेश है’

•    ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ की जगह नया नारा गढ़ा ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय"

बीजेपी से निपटने के लिए सपा और बसपा ने हाथ मिलाया स्लोगन आया

•    "मिले मुलायम कांशीराम, हवा हो गए जयश्रीराम"

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲