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जब तीन पाकिस्तानी सिर ले आये थे भारतीय जवान

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 09 अक्टूबर, 2016 04:44 PM
  • 09 अक्टूबर, 2016 04:44 PM
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ऑपरेशन जिंजर के नाम से किये गए उस सर्जिकल स्ट्राइक में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की सीमा में घुस कर बदला लिया था और तीन पाक सैनिकों के सिर भी अपने साथ ले आये थे.

अभी तक यह माना जा रहा था कि 28 सितम्बर को किया गया सर्जिकल स्ट्राइक भारतीय सेना की तरफ से किया गया पहला सर्जिकल स्ट्राइक था. मगर साल 2011 में भी भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब दिया था. ऑपरेशन जिंजर के नाम से किये गए इस सर्जिकल स्ट्राइक में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की सीमा में घुस कर बदला लिया था और तीन पाकिस्तानी सैनिकों के सिर भी अपने साथ ले आये थे.

क्यों किया गया था 'आपरेशन जिंजर'

अंग्रेजी अखबार 'दि हिंदू' के अनुसार इस खूनी खेल की शुरुआत पाकिस्तान की ओर से किए गए हमले से हुई थी, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने 30 जुलाई 2011 को धोखे से कुपवारा के गुगलधर रिज के आर्मी पोस्ट को निशाना बनाया. पाकिस्तानी सैनिकों ने 30 जुलाई 2011 की दोपहर में राजपूत और कुमाऊं रेजिमेंट के 6 सैनिकों पर हमला कर दिया था. दरअसल, हमले के वक्त 19 राजपूत को 20 कुमाऊं से बदले जाने की प्रक्रिया चल रही थी. पाकिस्तानियों ने उस हमले में शहीद जवान हवलदार जैपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेंद्र सिंह का सिर भी अपने साथ ले गए थे.

यह भी पढ़ें- सर्जिकल स्ट्राइक की सर्जरी

 2011 में भी दिया था भारतीय सेना ने जवाब!

पाकिस्तान से इसी धोखेबाजी का बदला लेने के लिए भारतीय सैनिकों ने 'ऑपेरशन जिंजर' को अंजाम दिया था. यह आपरेशन भारतीय सैनिकों द्वारा किये गए खौफनाक ऑपरेशनों में से एक था, क्योंकि संभवतः पहली बार सैनिकों ने पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देते हुए उनके तीन...

अभी तक यह माना जा रहा था कि 28 सितम्बर को किया गया सर्जिकल स्ट्राइक भारतीय सेना की तरफ से किया गया पहला सर्जिकल स्ट्राइक था. मगर साल 2011 में भी भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब दिया था. ऑपरेशन जिंजर के नाम से किये गए इस सर्जिकल स्ट्राइक में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की सीमा में घुस कर बदला लिया था और तीन पाकिस्तानी सैनिकों के सिर भी अपने साथ ले आये थे.

क्यों किया गया था 'आपरेशन जिंजर'

अंग्रेजी अखबार 'दि हिंदू' के अनुसार इस खूनी खेल की शुरुआत पाकिस्तान की ओर से किए गए हमले से हुई थी, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने 30 जुलाई 2011 को धोखे से कुपवारा के गुगलधर रिज के आर्मी पोस्ट को निशाना बनाया. पाकिस्तानी सैनिकों ने 30 जुलाई 2011 की दोपहर में राजपूत और कुमाऊं रेजिमेंट के 6 सैनिकों पर हमला कर दिया था. दरअसल, हमले के वक्त 19 राजपूत को 20 कुमाऊं से बदले जाने की प्रक्रिया चल रही थी. पाकिस्तानियों ने उस हमले में शहीद जवान हवलदार जैपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेंद्र सिंह का सिर भी अपने साथ ले गए थे.

यह भी पढ़ें- सर्जिकल स्ट्राइक की सर्जरी

 2011 में भी दिया था भारतीय सेना ने जवाब!

पाकिस्तान से इसी धोखेबाजी का बदला लेने के लिए भारतीय सैनिकों ने 'ऑपेरशन जिंजर' को अंजाम दिया था. यह आपरेशन भारतीय सैनिकों द्वारा किये गए खौफनाक ऑपरेशनों में से एक था, क्योंकि संभवतः पहली बार सैनिकों ने पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देते हुए उनके तीन पाकिस्तानी सिर भी अपने साथ ले आये थे .

ऐसे दिया ऑपरेशन अंजाम

30 अगस्त 2011 को आपरेशन को अंजाम देने से पहले 7 बार रेकी की गई थी और टार्गेट फिक्स किए गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत ने मंगलवार को ऑपरेशन शुरू किया, क्योंकि 1999 के कारगिल वार सहित मंगलवार को शुरू किए गए अन्य ऑपरेशन में भी भारत को जीत मिली थी. ये ऑपरेशन ईद के ठीक एक दिन पहले शुरू की गई थी.

कांग्रेस ने किया था तीन सर्जिकल स्ट्राइक का दावा

28 सितम्बर को भारतीय सेना द्वारा किये गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कांग्रेस ने दावा किया था कि उसके कार्यकाल के दौरान भी भारतीय आर्मी ने तीन बार सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. कांग्रेस के अनुसार सेना ने 1 सितंबर- 2011, 28 जुलाई-2013 और 14 जनवरी -2014 को इस तरह के स्ट्राइक्स को अंजाम दिया था.

यह भी पढ़ें- सर्जिकल स्ट्राइक पर सियासी सिर फुटौव्वल में पीछे छूटा देश

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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