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तेजस्वी यादव ने अंकल मोदी से पूछे हैं कुछ संजीदा सवाल!

    • तेजस्वी यादव
    • Updated: 14 जुलाई, 2016 09:33 PM
  • 14 जुलाई, 2016 09:33 PM
offline
जब खुला पत्र लिखने का दौर है, तो इसी का फायदा उठाते हुए बिहार के उपमुख्‍यमंत्री और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने बीजेपी नेता सुशील मोदी से कुछ सवाल पूछ हैं.

पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं बिहार बीजेपी के वरिष्ठतम नेता (बिहार बीजेपी के सभी नेताओं और केंद्रीय मंत्रियो से भी शक्तिशाली) श्री सुशील मोदी जी को मेरा खुला पत्र -

आदरणीय सुशील मोदी जी,

सादर प्रणाम।

विगत राज्यसभा चुनाव के बाद से आप अत्यंत सक्रीय प्रतीत होकर हर वाजिब और गैर वाजिब मुद्दे पर सवाल दागते नज़र आते हैं. दागना भी चाहिए, क्योंकि लोकतन्त्र में विपक्ष का यह कर्तव्य है सत्ता पक्ष को जगाए रखे अपने तार्किक सवालोँ से. पर सवाल ऐसे दागिये कि निशाना सिर्फ जनता का कल्याण हो, अपने पूर्वाग्रह, ईर्ष्या और निजी बैर शांत करने का मार्ग नहीँ.

आप अगर सुर्खियों में नहीं दिखते हैं तो मीडिया की खबरें नीरस हो जाती हैं. आपका कोई प्रायोजित सवाल अखबारों की शोभा ना बढ़ाए तो अखबार अधूरे लगते हैं. आपका कोई आरोप ना सुनने को मिले तो दिन खोखला बीतता है. आखिर ये सब प्रश्न रूपी ठिठोलियाँ बिहार की जनता को हँसाती-गुदगुदाती जो हैं. कभी घर पर सवाल, तो कभी कमरों पर, कभी खिड़कियों पर, कभी सलाहकारों तो कभी तीमारदारों पर, कभी घोड़ों पर तो कभी गधों पर, कभी बेटा-बेटी, तो कभी तीर्थाटन, कभी सुविधाओं तो कभी असुविधाओं पर, कभी किसी की सावर्जनिकता तो कभी निजता पर! आपका दायरा सचमुच अद्भुत है. आखिर आप पर भी तो दबाव है बीजेपी में लंबे समय तक हाशिये पर रहे प्रतिभाशाली एवं लोकप्रिय नेताओं जैसे राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह और गिरिराज सिंह से निरन्तर प्रतिस्पर्धा, अगले चुनावों तक लोगों की स्मृति और आला कमान की दया दृष्टि में बने रहने का!

सुशील मोदी

आपके पुत्रतुल्य मुझ समेत सभी युवाओं...

पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं बिहार बीजेपी के वरिष्ठतम नेता (बिहार बीजेपी के सभी नेताओं और केंद्रीय मंत्रियो से भी शक्तिशाली) श्री सुशील मोदी जी को मेरा खुला पत्र -

आदरणीय सुशील मोदी जी,

सादर प्रणाम।

विगत राज्यसभा चुनाव के बाद से आप अत्यंत सक्रीय प्रतीत होकर हर वाजिब और गैर वाजिब मुद्दे पर सवाल दागते नज़र आते हैं. दागना भी चाहिए, क्योंकि लोकतन्त्र में विपक्ष का यह कर्तव्य है सत्ता पक्ष को जगाए रखे अपने तार्किक सवालोँ से. पर सवाल ऐसे दागिये कि निशाना सिर्फ जनता का कल्याण हो, अपने पूर्वाग्रह, ईर्ष्या और निजी बैर शांत करने का मार्ग नहीँ.

आप अगर सुर्खियों में नहीं दिखते हैं तो मीडिया की खबरें नीरस हो जाती हैं. आपका कोई प्रायोजित सवाल अखबारों की शोभा ना बढ़ाए तो अखबार अधूरे लगते हैं. आपका कोई आरोप ना सुनने को मिले तो दिन खोखला बीतता है. आखिर ये सब प्रश्न रूपी ठिठोलियाँ बिहार की जनता को हँसाती-गुदगुदाती जो हैं. कभी घर पर सवाल, तो कभी कमरों पर, कभी खिड़कियों पर, कभी सलाहकारों तो कभी तीमारदारों पर, कभी घोड़ों पर तो कभी गधों पर, कभी बेटा-बेटी, तो कभी तीर्थाटन, कभी सुविधाओं तो कभी असुविधाओं पर, कभी किसी की सावर्जनिकता तो कभी निजता पर! आपका दायरा सचमुच अद्भुत है. आखिर आप पर भी तो दबाव है बीजेपी में लंबे समय तक हाशिये पर रहे प्रतिभाशाली एवं लोकप्रिय नेताओं जैसे राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह और गिरिराज सिंह से निरन्तर प्रतिस्पर्धा, अगले चुनावों तक लोगों की स्मृति और आला कमान की दया दृष्टि में बने रहने का!

सुशील मोदी

आपके पुत्रतुल्य मुझ समेत सभी युवाओं एवं न्यायप्रिय लोगों को अच्छा लगता अगर आप पूर्णिया के भाजपा विधायक को जिला खनन अधिकारी को डरावनी धमकी देने के लिए सार्वजनिक रूप से डांटते. दिल्ली फोन घुमा कर अमित शाह जी से उन्हें पार्टी से बर्खास्त करने की माँग करते. विजय खेमका द्वारा बाहुबलियों वाली दबंगई दिखाने के लिए उन्हें जेल में बन्द करने को कहते. स्पीडी ट्रायल की माँग करते. रात में कैंडल मार्च निकालते और दिन में धरने पर बैठते. बच्चों को बैनर थमा Save Officials की गुहार लगवाते. अधिकारी के परिवार को कार्रवाई का भरोसा दिलाते.

पर यह क्या? आपने तो मुँह पर अदृश्य ताला जड़ कर चाभी गंगा में फेंक दी. क्या आपके सिद्धान्त आपके अंतर्मन को धिक्कार नहीँ रहे? ये कैसे सिद्धान्त हैं जो समय, सम्बंध, सरोकार और सरकार देख कर बदलते रहते हैं? आत्ममंथन, आत्मचिंतन और आत्ममनन कर अपने आप से पूछिये अगर भाजपा विधायक की जगह सत्तापक्ष का कोई प्रतिनिधि होता तो आप क्या प्रतिक्रिया दे रहे होते? आपकी बीजेपी विधायक के असंसदीय कृत्य पर यह लंबी चुप्पी जनता के कानों के पर्दे फाड़ रही हैं.

बोलिए, मोदी जी बोलिए. पूरा बिहार एकटकी लगाए, नज़रें गड़ाए आपके होंठो के खुलने का इंतज़ार कर रहा है. अब बोल भी दीजिये ना कि दबंगों और बाहुबलियों की अंतरराष्ट्रीय पार्टी है बीजेपी!

आपका,

तेजस्वी प्रसाद यादव

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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