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ये 30 पूर्व मुख्यमंत्री कैसे छोड़ पाएंगे अपने आलीशान बंगले ?

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 02 अगस्त, 2016 03:36 PM
  • 02 अगस्त, 2016 03:36 PM
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सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि ‘पूर्व मुख्यमंत्रियों को दो महीनों में सरकारी बंगले खाली करने होगें'. इस फैसले के बाद देखिए किन पूर्व मुख्यमंत्रियों के चेहरे पर निराशा छा गई.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश के अलग-अलग राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों और उनके नजदीकी रिश्‍तेदारों के चेहरे पर निराशा छा चुकी है. और हो भी क्यों न, इतने सालों से मुख्यमंत्री नहीं रहने के बावजुद भी मुख्यमंत्री के ही बंगले में रहने का सुख मिलना भला किसे बुरा लग सकता है. देश के लगभग हर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने आज तक अपना बंगला खाली नहीं किया है. आप लिस्ट देखेंगे तो चौक जाएंगे. इस लिस्‍ट में बिहार के सतीश कुमार सिंह का नाम भी है, जो 1968 में सिर्फ तीन दिन के लिए मुख्‍यमंत्री रहे. लेकिन एक आलीशान बंगला आज भी उनके नाम पर अलॉट है.

 दो महीनों में बंगले खाली करने के आदेश

कई मुख्यमंत्री तो ऐसे भी है जिनके बारे में आप बहुत कम जानते होंगे. राज्य के मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य तो उन्हें प्राप्त हो गया, लेकिन जनता ने भले ही मुख्यमंत्री के उम्मीदवार को नकार दिया हो मगर बंगला तो आजीवन उनका ही हो गया. आप जिस राज्य में भी चले जाएं वहां 'पूर्व मुख्यमंत्री का बंगला' पाएंगे. यानि आपने राज्य का भला किया हो या बुरा, एक बार मुख्यमंत्री बनने पर आपका तो आजीवन ही भला हो गया.

ये भी पढ़ें- ये कैसा अंधविश्वास! कार पर बैठा कौआ, सीएम ने बदल दी कार?

अब बिहार के जीतनराम मांझी का उदाहरण ले लिजिए. नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद इन साहब को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया. जनता ने इन्हें...

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश के अलग-अलग राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों और उनके नजदीकी रिश्‍तेदारों के चेहरे पर निराशा छा चुकी है. और हो भी क्यों न, इतने सालों से मुख्यमंत्री नहीं रहने के बावजुद भी मुख्यमंत्री के ही बंगले में रहने का सुख मिलना भला किसे बुरा लग सकता है. देश के लगभग हर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने आज तक अपना बंगला खाली नहीं किया है. आप लिस्ट देखेंगे तो चौक जाएंगे. इस लिस्‍ट में बिहार के सतीश कुमार सिंह का नाम भी है, जो 1968 में सिर्फ तीन दिन के लिए मुख्‍यमंत्री रहे. लेकिन एक आलीशान बंगला आज भी उनके नाम पर अलॉट है.

 दो महीनों में बंगले खाली करने के आदेश

कई मुख्यमंत्री तो ऐसे भी है जिनके बारे में आप बहुत कम जानते होंगे. राज्य के मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य तो उन्हें प्राप्त हो गया, लेकिन जनता ने भले ही मुख्यमंत्री के उम्मीदवार को नकार दिया हो मगर बंगला तो आजीवन उनका ही हो गया. आप जिस राज्य में भी चले जाएं वहां 'पूर्व मुख्यमंत्री का बंगला' पाएंगे. यानि आपने राज्य का भला किया हो या बुरा, एक बार मुख्यमंत्री बनने पर आपका तो आजीवन ही भला हो गया.

ये भी पढ़ें- ये कैसा अंधविश्वास! कार पर बैठा कौआ, सीएम ने बदल दी कार?

अब बिहार के जीतनराम मांझी का उदाहरण ले लिजिए. नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद इन साहब को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया. जनता ने इन्हें नहीं चुना था. ये साहब कुछ महीनों के लिये बिहार के मुख्यमंत्री रहे. मगर मुख्यमंत्री वाला बंगला तो उनके पास आज भी है. मध्य प्रदेश के  बाबूलाल गौर को उमा भारती के इस्तीफे के बाद लगभग 2 सालों के लिए मुख्यमंत्री बनाया गया था. जनता ने तो इन महाशय को भी नहीं चुना था. मगर बंगला तो उनका हो गया. आपको हर राज्य में ऐसे ही उदाहरण देखने मिल जाएंगे.

मगर अब नहीं. अब देश के हर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री को अपना आलीशान बंगला खाली करना होगा. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ‘पूर्व मुख्यमंत्री जीवनभर के लिए सरकारी बगलों में नहीं रह सकते हैं. उन्हें दो महीने में इन बंगलों को खाली करना होगा.’ अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करने में जो दुख होगा उसका तो आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते. लेकिन अब क्या करें, आदेश है तो बंगला तो खाली करना ही होगा साहब.

इस लिस्ट पर एक बार नजर डालिए. ये सभी देश के अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. मगर अब तक बंगले इनके पास ही हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब बंगले खाली करने होंगे. इस लिस्ट में मुलायम सिंह से लेकर देश के गृहमंत्री का नाम भी है.

उत्तर प्रदेश

मुलायम सिंह यादव

मायावती

राजनाथ सिंह

कल्याण सिंह   

रामनरेश यादव

एन.डी. तिवारी

बिहार

जगन्नाथ मिश्रा

लालू यादव

जीतन राम मांझी   

सतीश प्रसाद सिंह (सिर्फ तीन दिन के लिए रहे मुख्यमंत्री)

मध्य प्रदेश

उमा भारती

दिग्विजय सिंह   

कैलाश जोशी   

मोतीलाल वोहरा   

सुंदरलाल पटवा

बाबूलाल गौर

उत्तराखंड

भगत सिंह

बी.सी. खंडुरी

एन.डी तिवारी

रमेश पोखरियाल

विजय बहुगुना

झारखंड

हेमंत सोरेन   

अर्जुन मुंडा

बाबूलाल मरांडी

शिबू सोरेन

मधु खोड़ा

पंजाब

राजेंद्र कौर  

सुरजात सिंह बरनाला

असम

तरुन गौगोई

प्रफुल कुमार

हालांकि लिस्ट थोड़ी लंबी है मगर उम्मीद है कि अब कुछ ही महीनों में ये लिस्ट खत्म हो जाऐगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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