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गोसेवक सरकार की नजर भैंस के मांस पर !

    • आईचौक
    • Updated: 26 मार्च, 2017 07:11 PM
  • 26 मार्च, 2017 07:11 PM
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यूपी में बूचड़खाने बंद करने के फैसले को लेकर पूरे देश में अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, लेकिन इसके पीछे सरकार के वादे के अलावा एक और वजह हो सकती है.

उत्तर प्रदेश में योगी आदित़्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही पूरे प्रदेश में प्रशासन और पुलिस ने बूचड़खानों के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. हर शहर में छापेमारी जारी है. बूचड़खाने सील किए गए हैं. नॉन-वेज खानपान के लिए मशहूर लखनऊ के कई ठिकाने बंद हो गए है. तो क्‍या यह मान लिया जाए कि यूपी में मांसाहार के दिन लद गए? तो जवाब है, बिलकुल नहीं. बल्कि यह तो यूपी को मीट एक्‍सपोर्ट का हब बनाने की शुरुआत है.

यूपी में शुरू हुई कार्रवाई का फोकस उन 350 बूचड़खानों पर है, जो अवैध रूप से संचालित हो रहे थे. इन बूचड़खानों के साथ्‍ा-साथ कई छोटी-बड़ी दुकानें और मीट मार्केट लग रहे थे. जिनकी वजह से मीट मार्केट के अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में भारत, खासकर यूपी को सम्‍मान की नजर से नहीं देखा जा रहा था. जबकि दुनिया की सर्वाधिक मीट खपत का बाजार भारत के चारों ओर फैला हुआ है.

मोदी सरकार जब से सत्‍ता में आई है, वह करोड़ों रुपए के इस मार्केट में भारत के वाजिब हिस्‍सा पाने के लिए प्रयासरत है. देखिए, उसके ताजा प्रयासों का क्‍या परिणाम हुआ है. दुनिया में भैंस के मांस की सबसे ज्‍यादा खपत करने वाले चीन ने भारत पर लगी पाबंदियां हटा दी हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2017 में चीन ने आधिकारिक तौर पर पहली बार भारत से बीफ इम्पोर्ट के लिए हामी भरी है. जबकि अब तक वह भारतीय बीफ मीट उत्‍पादन को विश्‍वस्‍तरीय गुणवत्‍ता वाला नहीं मानता था. मोदी सरकार की कोशिशों के बाद बीजिंग से बूचड़खानों का जायजा लेने के लिए टीम भेजी, जिसमें 14 बूचड़खानों को मानकों के अनुरूप पाया गया. यहीं से भैंस का मांस इम्पोर्ट करवाने के लिए हामी भरी गई.

वियतनाम के जरिए चीन लेता था भारत से गया बीफ मीट-

भारत और चीन के बीच बीफ मीट को...

उत्तर प्रदेश में योगी आदित़्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही पूरे प्रदेश में प्रशासन और पुलिस ने बूचड़खानों के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. हर शहर में छापेमारी जारी है. बूचड़खाने सील किए गए हैं. नॉन-वेज खानपान के लिए मशहूर लखनऊ के कई ठिकाने बंद हो गए है. तो क्‍या यह मान लिया जाए कि यूपी में मांसाहार के दिन लद गए? तो जवाब है, बिलकुल नहीं. बल्कि यह तो यूपी को मीट एक्‍सपोर्ट का हब बनाने की शुरुआत है.

यूपी में शुरू हुई कार्रवाई का फोकस उन 350 बूचड़खानों पर है, जो अवैध रूप से संचालित हो रहे थे. इन बूचड़खानों के साथ्‍ा-साथ कई छोटी-बड़ी दुकानें और मीट मार्केट लग रहे थे. जिनकी वजह से मीट मार्केट के अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में भारत, खासकर यूपी को सम्‍मान की नजर से नहीं देखा जा रहा था. जबकि दुनिया की सर्वाधिक मीट खपत का बाजार भारत के चारों ओर फैला हुआ है.

मोदी सरकार जब से सत्‍ता में आई है, वह करोड़ों रुपए के इस मार्केट में भारत के वाजिब हिस्‍सा पाने के लिए प्रयासरत है. देखिए, उसके ताजा प्रयासों का क्‍या परिणाम हुआ है. दुनिया में भैंस के मांस की सबसे ज्‍यादा खपत करने वाले चीन ने भारत पर लगी पाबंदियां हटा दी हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2017 में चीन ने आधिकारिक तौर पर पहली बार भारत से बीफ इम्पोर्ट के लिए हामी भरी है. जबकि अब तक वह भारतीय बीफ मीट उत्‍पादन को विश्‍वस्‍तरीय गुणवत्‍ता वाला नहीं मानता था. मोदी सरकार की कोशिशों के बाद बीजिंग से बूचड़खानों का जायजा लेने के लिए टीम भेजी, जिसमें 14 बूचड़खानों को मानकों के अनुरूप पाया गया. यहीं से भैंस का मांस इम्पोर्ट करवाने के लिए हामी भरी गई.

वियतनाम के जरिए चीन लेता था भारत से गया बीफ मीट-

भारत और चीन के बीच बीफ मीट को लेकर कारोबारी साझेदारी न हो पाने का फायदा वियतनाम उठा रहा था. वियतनाम भारत के लिए सबसे बड़ा मीट एक्सपोर्टर था. 2013-14 में 5.24 लाख मेट्रिक टन भैंस का मांस एक्सपोर्ट किया गया था, जो 2014-15 में 6.33 लाख मेट्रिक टन हो गया था. वियतनाम से बीफ मीट को अंतर्राष्‍ट्रीय मानक पूरे करके चीन सप्‍लाय किया जाता था. इस कारोबार में भारत को हिस्‍सा नहीं मिल रहा था.

भारत के बूचड़खानों में सफाई और हाईजीन के हिसाब से चीन की शर्तें पूरी करने के बाद उम्‍मीद है कि भारत-चीन कारोबार संतुलन बेहतर होगा. 2015-16 में भारत का चीन के साथ व्यापार 52.69 बिलियन तक पहुंच गया, जो पहले 48.48 बिलियन ही था. बीफ मीट के एक्‍सपोर्ट पर भारत इसलिए भी जोर दे रहा है, क्‍योंकि दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन में मीट की खपत लगातार बढ़ती चली जा रही है. अगर ऐसा ही चला तो 2030 तक चीन दुनिया का आधा मीट खपत वाला देश हो जाएगा.

अब बीफ मीट के उत्‍पादन में एक बार फिर यूपी के रोल पर नजर डालते हैं. फिलहाल यहां 40 बूचड़खाने वैध हैं. जिन्हें केंद्र सरकार की एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) से बाकायदा लाइसेंस मिला हुआ है. यदि सरकार इस क्षेत्र को नियंत्रित और नियोजित करके चलाती है, तो न सिर्फ चीन बल्कि पूर्वी एशिया और अरब देशों से कड़ी कमाई होगी.

अब जब इतना बड़ा करोड़ों का कारोबार सामने हो तो सरकार की ओर से क्‍यों न तेजी दिखाई जाए !

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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