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क्‍या प्रियंका गांधी का ये कांग्रेस पार्टी में 'सॉफ्ट लांच' है ?

    • अशोक सिंघल
    • Updated: 19 नवम्बर, 2016 02:03 PM
  • 19 नवम्बर, 2016 02:03 PM
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भारी मंथन के बाद यूपी चुनाव के लिए प्रियंका गांधी की भूमिका तय हो गई है. इसे पार्टी में उनका 'सॉफ्ट लांच' भी माना जा सकता है.

काफी समय से प्रियंका गांधी के चुनाव प्रचार करने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाते रहे हैं. कभी खबरें आती है कि वह पूरे उत्तर प्रदेश में चुनाव कैंपेन करेंगी, कभी यह कहां जाता रहा है कि अभी समय लगेगा. सिर्फ रायबरेली अमेठी में ही कैंपेन करेंगी. इन तमाम कयासों के बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने साफ कर दिया की प्रियंका गांधी को रिक्वेस्ट की गई है कि वह उत्तर प्रदेश के चुनावों में ज्यादा से ज्यादा समय दें और वह इस रिक्वेस्ट को लेकर बहुत पॉजिटिव भी है और उम्मीद कर रहे हैं कि वह रायबरेली अमेठी से बाहर निकल कर चुनाव प्रचार करेंगी.

यह पहली बार हुआ था कि जब राहुल गांधी की उत्तर प्रदेश की यात्राएं थी. उस वक्त भी प्रियंका गांधी के पोस्टर लगाए गए थे. उससे पहले कभी भी प्रियंका गांधी के कांग्रेस के किसी प्रोग्राम में पोस्टर नहीं लगे थे. लेकिन उस वक़्त भी पूछ कर ही प्रियंका के पोस्टर लगाए गए थे और यह भी तय हुआ था कि एक तो प्रियंका गांधी का अकेले का पोस्टर नहीं लगेगा और दूसरा राहुल गांधी के फोटो से छोटी फोटो लगेगी ताकि राहुल के कद को कहीं छोटा करके न देखा जाए.

यूपी चुनाव के लिए फिर तैयार... लेकिन अलग अंदाज में.

राज बब्बर का कहना है कि प्रियंका गांधी के आने से काफी फायदा होगा. उन्होंने साफ किया कि अभी चुनाव को लेकर रणनीति बन रही है. उनके समय और रणनीति के साथ  उनके चुनाव प्रचार की योजना बनाई जाएगी.

आज सुबह राहुल गांधी के घर पर उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए तमाम बड़े नेताओं की मीटिंग हुई. जिसमें राहुल गांधी प्रियंका गांधी गुलाम नबी आजाद राजबब्बर शीला दीक्षित और संजय सिंह यह तमाम लोग उत्तर प्रदेश चुनाव की रणनीति को...

काफी समय से प्रियंका गांधी के चुनाव प्रचार करने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाते रहे हैं. कभी खबरें आती है कि वह पूरे उत्तर प्रदेश में चुनाव कैंपेन करेंगी, कभी यह कहां जाता रहा है कि अभी समय लगेगा. सिर्फ रायबरेली अमेठी में ही कैंपेन करेंगी. इन तमाम कयासों के बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने साफ कर दिया की प्रियंका गांधी को रिक्वेस्ट की गई है कि वह उत्तर प्रदेश के चुनावों में ज्यादा से ज्यादा समय दें और वह इस रिक्वेस्ट को लेकर बहुत पॉजिटिव भी है और उम्मीद कर रहे हैं कि वह रायबरेली अमेठी से बाहर निकल कर चुनाव प्रचार करेंगी.

यह पहली बार हुआ था कि जब राहुल गांधी की उत्तर प्रदेश की यात्राएं थी. उस वक्त भी प्रियंका गांधी के पोस्टर लगाए गए थे. उससे पहले कभी भी प्रियंका गांधी के कांग्रेस के किसी प्रोग्राम में पोस्टर नहीं लगे थे. लेकिन उस वक़्त भी पूछ कर ही प्रियंका के पोस्टर लगाए गए थे और यह भी तय हुआ था कि एक तो प्रियंका गांधी का अकेले का पोस्टर नहीं लगेगा और दूसरा राहुल गांधी के फोटो से छोटी फोटो लगेगी ताकि राहुल के कद को कहीं छोटा करके न देखा जाए.

यूपी चुनाव के लिए फिर तैयार... लेकिन अलग अंदाज में.

राज बब्बर का कहना है कि प्रियंका गांधी के आने से काफी फायदा होगा. उन्होंने साफ किया कि अभी चुनाव को लेकर रणनीति बन रही है. उनके समय और रणनीति के साथ  उनके चुनाव प्रचार की योजना बनाई जाएगी.

आज सुबह राहुल गांधी के घर पर उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए तमाम बड़े नेताओं की मीटिंग हुई. जिसमें राहुल गांधी प्रियंका गांधी गुलाम नबी आजाद राजबब्बर शीला दीक्षित और संजय सिंह यह तमाम लोग उत्तर प्रदेश चुनाव की रणनीति को लेकर के बैठे. जिसमें एक बार फिर से प्रस्ताव आया कि प्रियंका गांधी को रायबरेली अमेठी से बाहर निकल कर के कैंपेन करना चाहिए. बताया जा रहा है कि इस बैठक में राहुल गांधी प्रियंका गांधी इस बात को लेकर सहमत हो गए कि वह उत्तर प्रदेश में और ज्यादा समय दे सकती हैं और रायबरेली और अमेठी से बाहर निकल कर चुनाव प्रचार कर सकते हैं.

प्रियंका गांधी लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव अक्सर रायबरेली अमेठी तक अपने आप को सीमित रखती रही हैं. इन दोनों संसदीय क्षेत्र से बाहर उन्होंने कभी चुनाव प्रचार नहीं किया. हालांकि कांग्रेस नेता अक्सर मांग करते रहे हैं कि उनको उत्तर प्रदेश में प्रदेश भर में चुनाव प्रचार करना चाहिए. इस बार गांधी  परिवार में कहीं ना कहीं एक सहमति बनती दिख रही है कि प्रियंका गांधी को भी अपनी थोड़ी बड़ी भूमिका में चुनावों में दिखना चाहिए. यही वजह रही की राहुल गांधी के घर हुई मीटिंग में तमाम नेताओं की मांग पर राहुल और प्रियंका पॉजिटिव दिखाई दिए.

यूपी में आगामी विधानसभा चुनावों की खातिर ने कांग्रेस ने बड़ा दावं खेला है. 2012 की तुलना में पार्टी ज्‍यादा गंभीर है. प्रशांत किशोर पहले ही मैदान संभाले हुए हैं, पार्टी के बाकी नेता भी एकसाथ देश के सबसे बड़े राज्‍य में सक्रिय हैं. अब सवाल यही है एक ओर सर्जिकल स्‍ट्राइक और नोटबंदी की आंधी है तो दूसरी ओर सपा परिवार की कलह से अखिलेश के पक्ष में उठी सहानुभूति की लहर. एक ओर दलित-पिछड़े वोटों की परंपरागत दावेदार मायावती तो दूसरी कई छोटे-छोटे दलों के बीच बनता नया समीकरण. क्‍या इन सबके बीच कांग्रेस, खासकर प्रियंका गांधी के लिए कोई मुद्दा बचता है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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