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राजनीतिक दल पाप से ही घृणा करते हैं, 'पापी' से नहीं

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 27 जून, 2015 10:49 AM
  • 27 जून, 2015 10:49 AM
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AAP पहले तोमर का बचाव करती रही. सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे से लेकर स्मृति ईरानी का बचाव BJP ने किया. कांग्रेस अपने नेताओं का करते आ रही है. मतलब ये सभी 'पापी' से घृणा नहीं करते.

सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे - विवादों की रेस में अब तक सबसे आगे चल रही थीं. स्मृति ईरानी अब शायद उन्हें पीछे छोड़ दें.
बात बस इतनी सी है. दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ केस को खारिज नहीं किया है. कोर्ट ने इस केस को सुनवाई के लायक माना है.
 
अब क्या होगा
1. बीजेपी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. संभव है विपक्ष का ध्यान इसी बहाने सुषमा और वसुंधरा से स्मृति की ओर शिफ्ट हो जाए.
2. स्मृति ईरानी का केस कांग्रेस के लिए बीजेपी को घेरने का एक मजबूत हथियार हो सकता है.
3. स्मृति केस के बहाने केजरीवाल को बीजेपी को कठघरे में खड़ा करने का मौका मिल जाएगा - और खुद को तोमर केस को लेकर जस्टिफाई करने में मददगार भी साबित हो सकता है.
 
वैसे भी कोर्ट रुख साफ होते ही आम आदमी पार्टी नेता आशुतोष ने फौरन ट्वीट कर स्मृति ईरानी को गिरफ्तार करने की बात कही.
 
कोर्ट का आगे का रुख क्या होगा इसका पता 28 अगस्त को चलेगा जब इस केस की सुनवाई होगी. कोर्ट का ये रुख स्मृति ईरानी के लिए झटका माना जा रहा है. अगर दिल्ली पुलिस केंद्रीय मंत्री को भी दिल्ली के मंत्री की तरह ट्रीट करती है तो स्मृति ईरानी की मुश्किल बढ़ सकती है.
 
आप का सवाल
1. कोर्ट ने स्मृति ईरानी मामले को सुनवाई के लायक माना है. क्या दिल्ली पुलिस तोमर की तरह उन्हें भी गिरफ्तार करेगी?
2. क्या मोदी अपनी मंत्री से इस्तीफा लेंगे?'
अब आम आदमी पार्टी सरकार से ये सवाल पूछ रही है. जवाब सरकार और सत्तारुढ़ बीजेपी के प्रवक्ताओं को देना है.
 
कितना अंधेरा था
दिल्ली के कानून मंत्री रहते जिंतेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी बयान आ गया है. केजरीवाल ने कहा, "हम स्वच्छ शासन देने के लिए सरकार में आए हैं. हम किसी गड़बडी को नहीं स्वीकार करेंगे. मेरा किसी विधायक या मंत्री के साथ कोई संबंध नहीं है. हमने उन्हें (तोमर को) तत्काल कैबिनेट से हटा दिया. अगर मीडिया में आ रही बातें सही हैं तो मैं समझता हूं कि मुझे अंधेरे में रखा गया."
 
भगोड़े की मदद गलत है
बीजेपी सांसद आरके सिंह की राय...

सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे - विवादों की रेस में अब तक सबसे आगे चल रही थीं. स्मृति ईरानी अब शायद उन्हें पीछे छोड़ दें.
बात बस इतनी सी है. दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ केस को खारिज नहीं किया है. कोर्ट ने इस केस को सुनवाई के लायक माना है.
 
अब क्या होगा
1. बीजेपी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. संभव है विपक्ष का ध्यान इसी बहाने सुषमा और वसुंधरा से स्मृति की ओर शिफ्ट हो जाए.
2. स्मृति ईरानी का केस कांग्रेस के लिए बीजेपी को घेरने का एक मजबूत हथियार हो सकता है.
3. स्मृति केस के बहाने केजरीवाल को बीजेपी को कठघरे में खड़ा करने का मौका मिल जाएगा - और खुद को तोमर केस को लेकर जस्टिफाई करने में मददगार भी साबित हो सकता है.
 
वैसे भी कोर्ट रुख साफ होते ही आम आदमी पार्टी नेता आशुतोष ने फौरन ट्वीट कर स्मृति ईरानी को गिरफ्तार करने की बात कही.
 
कोर्ट का आगे का रुख क्या होगा इसका पता 28 अगस्त को चलेगा जब इस केस की सुनवाई होगी. कोर्ट का ये रुख स्मृति ईरानी के लिए झटका माना जा रहा है. अगर दिल्ली पुलिस केंद्रीय मंत्री को भी दिल्ली के मंत्री की तरह ट्रीट करती है तो स्मृति ईरानी की मुश्किल बढ़ सकती है.
 
आप का सवाल
1. कोर्ट ने स्मृति ईरानी मामले को सुनवाई के लायक माना है. क्या दिल्ली पुलिस तोमर की तरह उन्हें भी गिरफ्तार करेगी?
2. क्या मोदी अपनी मंत्री से इस्तीफा लेंगे?'
अब आम आदमी पार्टी सरकार से ये सवाल पूछ रही है. जवाब सरकार और सत्तारुढ़ बीजेपी के प्रवक्ताओं को देना है.
 
कितना अंधेरा था
दिल्ली के कानून मंत्री रहते जिंतेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी बयान आ गया है. केजरीवाल ने कहा, "हम स्वच्छ शासन देने के लिए सरकार में आए हैं. हम किसी गड़बडी को नहीं स्वीकार करेंगे. मेरा किसी विधायक या मंत्री के साथ कोई संबंध नहीं है. हमने उन्हें (तोमर को) तत्काल कैबिनेट से हटा दिया. अगर मीडिया में आ रही बातें सही हैं तो मैं समझता हूं कि मुझे अंधेरे में रखा गया."
 
भगोड़े की मदद गलत है
बीजेपी सांसद आरके सिंह की राय में एक भगोड़े की मदद करना गलत है. सिंह कहते हैं, "किसी ने भी अगर एक भगोड़े की मदद की है तो यह ग़लत है, चाहे किसी अधिकारी ने की है या किसी नेता ने की हो."
पूर्व गृह सचिव सिंह मुंबई पुलिस के कमिश्नर राकेश मारिया के लंदन में ललित मोदी से मिलने पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, "पुलिस कमिश्नर का एक भगोड़े से मिलना ग़लत है."
 
मारिया के सपोर्ट में शिवसेना
लेकिन मारिया और मोदी की मुलाकात में शिवसेना को कुछ भी गलत नजर नहीं आता. शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘‘ललित मोदी ने आईपीएल को लेकर जो किया वो विवाद का मुद्दा हो सकता है लेकिन मुंबई पुलिस आयुक्त के पास उस स्थिति में उन्हें पकड़ने और यहां अथवा दिल्ली ले जाने का कोई अधिकार नहीं है जबकि वह प्रशासन की अनुमति से लंदन में रह रहे हैं.’’
 
कोई किसी से कम नहीं
1. आम आदमी पार्टी पहले तो तोमर का बचाव करती रही, लेकिन जब तोमर पूरी तरह घिरने लगे तो पैंतरा बदल लिया. पहले कहा गया कि तोमर ने खुद इस्तीफा दिया. अब कहा जा रहा है कि मामले का पता चलते ही तोमर को कैबिनेट से हटा दिया गया.
2. दागी नेताओं को लेकर तैयार एक ऑर्डिनेंस का ड्राफ्ट राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में फाड़ कर फेंक दिया था. कांग्रेस के इस प्रेस कांफ्रेंस में राहुल की किसी फिल्मी हीरो की तरह धमाकेदार एंट्री करते देखा गया था. बात तब की है जब लालू को चारा घोटाले में सजा सुनाई गई थी. माना जाता रहा कि वो ऑर्डिनेंस लालू के लिेए मददगार साबित हो सकता था. आज कांग्रेस लालू के साथ गठबंधन कर बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है.
3. सुषमा स्वराज द्वारा ललित मोदी को फायदा पहुंचाने की बात को बीजेपी ने मानवीय मदद करार देते हुए सही ठहराने की कोशिश की. भगोड़े की मदद करना गुनाह है लेकिन मानवीय आधार पर उसकी मदद में बुराई क्या है? सही बात है.
4. राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का ये कहते हुए बीजेपी ने बचाव किया कि जो दस्तावेज पेश किए जा रहे हैं उनकी प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं हुई है. दस्तावेजों का फर्जी होना गुनाह जरूर होगा, लेकिन इसके लिए वसुंधरा को गुनहगार कैसे ठहराया जा सकता है? सही बात है.
5. महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े जिस संस्थान से डिग्री हासिल करने का दावा कर रहे हैं, उस संस्थान का कहना है कि वैसी डिग्री वो दे ही नहीं सकता. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि इस मामले में कुछ भी गलत नहीं है. फर्जी डिग्री निश्चित रूप से गुनाह है, लेकिन इससे तावड़े के गुनहगार होने की बात कहां से आ जाती है. सही बात है.
 
फिर तोमर को मंत्री रहते जेल क्यों जाना पड़ा?
तोमर ने अपनी डिग्रियों के मामले में फर्जी जानकारी दी थी.
दिल्ली पुलिस ने कानून के हिसाब से काम किया.
दिल्ली पुलिस का केंद्र सरकार से कोई लेना देना नहीं है.
 
क्या कांग्रेस, क्या बीजेपी और क्या आम आदमी पार्टी. हम्माम में जैसे भी हों - बाहर सब नहा धोकर ही निकलते हैं.
वैसे भी नसीहत यही दी जाती है कि पाप से घृणा करनी चाहिए, पापी से नहीं.
राजनीतिक दल भी तो यही कर रहे हैं. बात नजरिए की है. शर्त ये है कि कौन किस बात को किस तरह देखता है?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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