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सर्जिकल स्ट्राइक पर ये राजनीतिक पतंगबाजी है क्या ?

    • आईचौक
    • Updated: 07 अक्टूबर, 2016 04:47 PM
  • 07 अक्टूबर, 2016 04:47 PM
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सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीतिक दल कुछ जरूरतसे ज्यादा कंफ्यूज दिख रहे हैं. पार्टियां सेना के समर्थन में भी रहना चाहती है और मोदी का विरोध भी करना चाहिती है. राजनीति के आसमान पर हर तरह के पेंच फंसे हैं...

सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केन्द्र सरकार से स्ट्राइक का सुबूत मांगा. सुबूत मांग अपनी फजीहत कराकर जैसे ही केजरीवाल चुप हुए, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को खून की दलाली में लिप्त होने का आरोप लगा दिया.

जहां केजरीवाल ने दलील दी कि देश में और दुनिया भर में सर्जिकल स्ट्राइक पर उठ रहे सवाल गंभीर हैं और सरकार को इन्हें शांत करने के लिए अपना सुबूत सामने रखना चाहिए. वहीं राहुल गांधी कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार सेना के इस कदम पर राजनीति कर रही है.

अब क्या कह रहे केजरीवाल

अब केजरीवाल की दलील राजनीतिक हल्कों में बेबुनियाद हो जाती है तो राहूल गांधी पर सत्तारूढ़ बीजेपी की भौंहें तन जाती है. वस्तुस्थिति यह है कि दोनों राहुल गांधी और केजरीवाल सर्जिकल स्ट्राइक से असहज हैं. दोनों प्रधानमंत्री मोदी को घेरना चाहते हैं लेकिन दोनों ही सेना की नजर में करेक्ट भी रहना चाहते हैं.

केजरीवाल के हमले के बाद जब राहुल का  बयान आया तो बीजेपी ने पलटवार किया. राहुल ने सीधे सफाई में कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन करते हैं और प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम को साहसिक बताते हैं.

लेकिन राहुल का ये कैसा बयान

ऐसे में अब भला केजरीवाल कैसे बाहर बैठते. जनता को संदेश उन्होंने भी कुछ यू दे दिया. राहुल गांधी का बयान निंदनीय है. वह सर्जिकल स्ट्राइक के समर्थन में और प्रधानमंत्री ने देश की सुरक्षा...

सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केन्द्र सरकार से स्ट्राइक का सुबूत मांगा. सुबूत मांग अपनी फजीहत कराकर जैसे ही केजरीवाल चुप हुए, कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को खून की दलाली में लिप्त होने का आरोप लगा दिया.

जहां केजरीवाल ने दलील दी कि देश में और दुनिया भर में सर्जिकल स्ट्राइक पर उठ रहे सवाल गंभीर हैं और सरकार को इन्हें शांत करने के लिए अपना सुबूत सामने रखना चाहिए. वहीं राहुल गांधी कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार सेना के इस कदम पर राजनीति कर रही है.

अब क्या कह रहे केजरीवाल

अब केजरीवाल की दलील राजनीतिक हल्कों में बेबुनियाद हो जाती है तो राहूल गांधी पर सत्तारूढ़ बीजेपी की भौंहें तन जाती है. वस्तुस्थिति यह है कि दोनों राहुल गांधी और केजरीवाल सर्जिकल स्ट्राइक से असहज हैं. दोनों प्रधानमंत्री मोदी को घेरना चाहते हैं लेकिन दोनों ही सेना की नजर में करेक्ट भी रहना चाहते हैं.

केजरीवाल के हमले के बाद जब राहुल का  बयान आया तो बीजेपी ने पलटवार किया. राहुल ने सीधे सफाई में कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन करते हैं और प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम को साहसिक बताते हैं.

लेकिन राहुल का ये कैसा बयान

ऐसे में अब भला केजरीवाल कैसे बाहर बैठते. जनता को संदेश उन्होंने भी कुछ यू दे दिया. राहुल गांधी का बयान निंदनीय है. वह सर्जिकल स्ट्राइक के समर्थन में और प्रधानमंत्री ने देश की सुरक्षा के लिए जो कदम उठाया है उसके साथ हैं.

शाह की हुंकार

इन सभी बयानो को देखकर यही लगता है कि सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति से ज्यादा राजनीतिक पतंगबाजी हो रही है. राजनीति के आसमान में ऐसी पतंगबाजी जहां सभी पतंगबाज आंधी और तूफान का संकेत देख रहे हैं और डरकर डोर को ज्यादा ढ़ील नहीं दे रहे हैं, लेकिन मौका मिलते ही विरोधियों की डोर काटने में कोई कसर भी नहीं छोड़ रहे हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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