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उम्मीद बेकार है कि पाकिस्तान कभी सुधरेगा

    • आलोक रंजन
    • Updated: 30 सितम्बर, 2016 05:53 PM
  • 30 सितम्बर, 2016 05:53 PM
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नवाज शरीफ ने कई बार भारत के साथ चलने के वादे किए, लेकिन हर बार पाकिस्तान अपने वादे से बदल गया. उसे बदले में मिला गुरदासपुर, पठानकोट और उरी में आतंकवादी हमला.

आखिरकार भारत ने उरी अटैक का बदला सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम द्वारा ले लिया. ‘घातक पलाटून’ के भारतीय कमांडो ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकियों के 7 लॉन्च पैड्स को तबाह कर दिया और करीब 40 आतंकवादियो का खात्मा कर दिया. भारतीय कमांडो ने पाकिस्तान को उसके ही तरीके से ऐसा जवाब दिया की पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया है. पूरा विश्व जानता है की पाकिस्तान कभी भी ये स्वीकार नहीं करेगा की भारत ने पाक अधिकृत क्षेत्र में घुसकर इस कारनामे को अंजाम दिया है. ऐसे भी विश्व के करीब सभी बड़े देश आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा मानते हैं और उन्होंने पाकिस्तान को दो टूक कहा है कि वो आतंकी गतिविधियो में लगाम लगाए.

उरी अटैक के बाद से भारत तमाम फ्रंट में पाकिस्तान को घेरने की कोशिश कर रहा है. अंतर्राष्टीय मंच हो या अपने स्तर पर भारत तमाम कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान अलग-थलग पड़ जाये और इस कदर मजबूर हो जाये कि अपनी भारत विरोधी नीति को बदल सके. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान कभी ऐसा कर पायेगा? क्या पाकिस्तान अपने को बदल पायेगा?

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  पाकिस्तान न पहले बदला है न अब बदलेगा

उरी अटैक के बाद से ही भारत ने न केवल आर्थिक मोर्चे पर बल्कि डिप्लोमेटिक स्तर पर भी पाकिस्तान को किनारा करने में लगा हुआ है. भारत ने इसके लिए कई विकल्पों का इस्तेमाल...

आखिरकार भारत ने उरी अटैक का बदला सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम द्वारा ले लिया. ‘घातक पलाटून’ के भारतीय कमांडो ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकियों के 7 लॉन्च पैड्स को तबाह कर दिया और करीब 40 आतंकवादियो का खात्मा कर दिया. भारतीय कमांडो ने पाकिस्तान को उसके ही तरीके से ऐसा जवाब दिया की पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया है. पूरा विश्व जानता है की पाकिस्तान कभी भी ये स्वीकार नहीं करेगा की भारत ने पाक अधिकृत क्षेत्र में घुसकर इस कारनामे को अंजाम दिया है. ऐसे भी विश्व के करीब सभी बड़े देश आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा मानते हैं और उन्होंने पाकिस्तान को दो टूक कहा है कि वो आतंकी गतिविधियो में लगाम लगाए.

उरी अटैक के बाद से भारत तमाम फ्रंट में पाकिस्तान को घेरने की कोशिश कर रहा है. अंतर्राष्टीय मंच हो या अपने स्तर पर भारत तमाम कोशिश कर रहा है कि पाकिस्तान अलग-थलग पड़ जाये और इस कदर मजबूर हो जाये कि अपनी भारत विरोधी नीति को बदल सके. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान कभी ऐसा कर पायेगा? क्या पाकिस्तान अपने को बदल पायेगा?

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  पाकिस्तान न पहले बदला है न अब बदलेगा

उरी अटैक के बाद से ही भारत ने न केवल आर्थिक मोर्चे पर बल्कि डिप्लोमेटिक स्तर पर भी पाकिस्तान को किनारा करने में लगा हुआ है. भारत ने इसके लिए कई विकल्पों का इस्तेमाल करना चाह रहा है. पाकिस्तान को घेरने के लिए भारत- सिंधु जल समझौता तोड़ना, एमएफएन का दर्जा कैंसल करना, पाकिस्तानी एयरलाइन को अपने एयर स्पेस को इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं देना, सार्क समिट को बहिष्कार करना, अंतरराष्ट्रीय मंचो में पाकिस्तान के मंसूबों को सबके सामने उजागर कर देना और साथ ही इस तरह का डिप्लोमेटिक प्रयास करना की अमेरिका पाकिस्तान को टेरर स्टेट घोषित करने पर मजबूर हो जाये.

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भारत अपने तरीके से पाकिस्तान को करार जवाब दे रहा है. उसे चारो खानों चित करने की स्ट्रेटेजी पर काम कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान के रगों में है कि चाहे कुछ भी हो जाये वो अपने भारत विरोधी अभियान को कभी नहीं बदलेगा. इतिहास गवाह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जब जब तनाव हुआ भारत ने ही पहल की लेकिन हर बार पाकिस्तान का दोमुहापन उभर कर सामने आ गया. जरा गौर कीजिये इन तथ्यों पर -

- 1971 में बांग्लादेश युद्ध के बाद 80 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाक की तरफ हाथ बढ़ाया. तब पाकिस्तान में सैन्य शासक जिया उल हक थे. लेकिन पाकिस्तान ने भारत में आतंकवादी गतिविधियों को जारी रखा. कुछ ही महीनों बाद रिश्ते फिर तनावपूर्ण हो गए.

- मिठास का फिर दौर आया जब 1999 में  तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर तक बस से गए और मुशर्रफ को आगरा बुलाया. लेकिन इसी दौर में कारगिल युद्ध हुआ और 2001 में भारतीय संसद पर हमला हुआ.

- फिर बड़ी कोशिश मनमोहन सिंह ने की. 2004 से 2014 तक कई बार हाथ बढ़ाए. जरदारी से लेकर गिलानी तक. लेकिन बदले में हमें 2008 में मुंबई पर आतंकी हमला मिला.

- 2014 में छवि के विपरीत मोदी ने नवाज को शपथ समारोह में बुलाया. दोस्ती का हाथ बढ़ाया. यहां तक की मोदी ने 2015 में दोस्ती का नया पैमाना दिखाते हुए लाहौर गए. जो एक अप्रत्याशित प्रयास था भारत की तरफ से. नवाज ने कई बार साथ चलने के वादे किए, लेकिन हर बार पाकिस्तान अपने वादे से बदल गया. बदले में भारत को पाकिस्तान से मिला क्या. उसे बदले में मिला गुरदासपुर, पठानकोट और उरी में आतंकवादी हमला. मतलब साफ है पाकिस्तान न पहले बदला है न अब बदलेगा.

ये भी पढ़ें- सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान दिखा रहा है परमाणु मिसाइलें

हर आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को साबुत के तौर पर कई-कई डोसियर सौंपे लेकिन पाकिस्तान ने आतंकियों के खिलाफ कोई करवाई नहीं की. उनके देश में कई मोस्ट वांटेड आतंकवादी जैसे हाफिज सईद, मसूद अज़हर, दाऊद इब्राहिम और न जाने कितने खुले आम घूम रहे है परंतु पाकिस्तानी सरकार उनके खिलाफ कोई एक्शन लेने से डरती है. वजह साफ है जब देश ही आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है तो तो कोई कठोर कदम का उम्मीद रखना बेवकूफी ही है.

भारत के लोग ट्रैक II डिप्लोमेसी को भी आजमा चुके हैं ताकि पाकिस्तान से माहौल सुधरे लेकिन कुछ भी हो जाये पाकिस्तान ने जैसे कसम खायी हुई है की वो अपनी भारत नीति को कभी नहीं बदलेगा चाहे उसे कोई भी हानि उठानी पड़े. जिस देश में सेना और आतंक की डोर इतनी गहरी है वहां पर अमन का माहौल चाहना बेमानी ही है.

भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान पूरी तरह बौखलाया हुआ है. हो सकता है कि तिलमलाया हुआ पाकिस्तान भारत के खिलाफ फिर कोई नयी चाल चले. एक ओर जहां उरी अटैक के बाद पाकिस्तान के रक्षामंत्री परमाणु बम की धमकी देते है वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि युद्ध हम पर थोपा जा रहा है. भारत को चौकन्ना रहने की जरूरत है ताकि पाकिस्तान के कोई भी इरादों को ध्वस्त कर सके. भारतीय फौज पूरी तरह तैयार है किसी भी पाकिस्तानी कार्यवाही का जवाब देने के लिए.

ये भी पढ़ें- पाकिस्तान के परमाणु बमों का माकूल जवाब है भारत के पास...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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