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उत्तर कोरिया को पाकिस्तान और ए क्यू खान का शुक्रिया अदा करना चाहिए

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 06 जनवरी, 2016 03:00 PM
  • 06 जनवरी, 2016 03:00 PM
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उत्तर कोरिया ने अपना हाइड्रोजन बम बना लेने का दावा किया है. बुधवार को उसने न्यूक्लियर टेस्ट किया जिससे जापान समेत चीन की नींद उड़ गई. इसके लिए पाकिस्तान ही तो जिम्मेदार है क्योंकि उसके मिसाइल मैन ने ही इस टेक्नोलॉजी को यूरोप से चुराकर कोरिया को दिया था.

उत्तर कोरिया ने दावा किया है कि उसने अपने पहले हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण कर लिया है. उत्तर कोरिया आज इस इस परीक्षण के लिए किसी विदेशी ताकत का सबसे ज्यादा शुक्रिया अदा कर रहा होगा, तो वह पाकिस्तान और वहां के परमाणु वैज्ञानिक ए क्यू खान का. यदि ऐसा नहीं है तो उसे ऐसा करना चाहिए. आखिर इन्हीं की बदौलत तो उसे न्यूक्लियर बम की ताकत मिली है.

पाकिस्तानी वैज्ञानिक ए क्यू खान ने 2004 में कुबूल किया था कि उसने न्यूक्लियर बम बनाने का फार्मूला लीबिया, ईरान और उत्तर कोरिया को बेचा था. आज यह ए क्यू खान की ही देन है कि उत्तर कोरिया ने अपने पहले हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण करने का दावा किया है.

गौरतलब है कि भारत के भोपाल में जन्में ए क्यू खान ने जर्मनी में मटलर्जी की पढ़ाई की थी और उसके बाद यूरोपीय देश नीदरलैंड की उस कंपनी में काम कर रहे थे जहां न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी से संबंधित मैन्यूफैक्चरिंग की जाती थी.

अमेरिकी खूफिया विभाग को जनवरी 2004 में खुफिया सूचना मिली कि बीबीसी चाइना नाम के एक जर्मन जहाज में लीबिया के लिए न्यूक्लियर हथियार बनाने के कल-पुर्जे सप्लाई किए जा रहे हैं. इस जहाज पर छापा मारने और आगे तफ्तीश के बाद लीबिया ने इस बात को कुबूल कर लिया कि यह सामान उसे पाकिस्तान के जरिए मिल रहा था और उसने पाकिस्तानी वैज्ञानिक ए क्यू खान की रावलपिंडी स्थित लैबोरेटरी से 100 मिलियन डॉलर में इस समान की खरीदारी की थी.

इस खुलासे के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की जमकर किरकिरी हुई और कुछ ही दिनों में ए क्यू खान ने पाकिस्तानी टेलीविजन पर आकर अपने इस बात को मान लिया और अपने देश से माफी मांगी. ए क्यू खान ने माना कि उसने लीबिया, ईरान और उत्तर कोरिया को न्यूक्लियर बम बनाने की पूरी जानकारी बेची थी. इसके अलावा सीरिया और सउदी अरब को भी परमाणु बम की टेक्नोलॉजी बेचने के लिए बातचीत चल रही थी.

हालांकि अगले महीने फरवरी 2004 में ही तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने ए क्यू खान को नेशनल हीरो करार देते...

उत्तर कोरिया ने दावा किया है कि उसने अपने पहले हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण कर लिया है. उत्तर कोरिया आज इस इस परीक्षण के लिए किसी विदेशी ताकत का सबसे ज्यादा शुक्रिया अदा कर रहा होगा, तो वह पाकिस्तान और वहां के परमाणु वैज्ञानिक ए क्यू खान का. यदि ऐसा नहीं है तो उसे ऐसा करना चाहिए. आखिर इन्हीं की बदौलत तो उसे न्यूक्लियर बम की ताकत मिली है.

पाकिस्तानी वैज्ञानिक ए क्यू खान ने 2004 में कुबूल किया था कि उसने न्यूक्लियर बम बनाने का फार्मूला लीबिया, ईरान और उत्तर कोरिया को बेचा था. आज यह ए क्यू खान की ही देन है कि उत्तर कोरिया ने अपने पहले हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण करने का दावा किया है.

गौरतलब है कि भारत के भोपाल में जन्में ए क्यू खान ने जर्मनी में मटलर्जी की पढ़ाई की थी और उसके बाद यूरोपीय देश नीदरलैंड की उस कंपनी में काम कर रहे थे जहां न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी से संबंधित मैन्यूफैक्चरिंग की जाती थी.

अमेरिकी खूफिया विभाग को जनवरी 2004 में खुफिया सूचना मिली कि बीबीसी चाइना नाम के एक जर्मन जहाज में लीबिया के लिए न्यूक्लियर हथियार बनाने के कल-पुर्जे सप्लाई किए जा रहे हैं. इस जहाज पर छापा मारने और आगे तफ्तीश के बाद लीबिया ने इस बात को कुबूल कर लिया कि यह सामान उसे पाकिस्तान के जरिए मिल रहा था और उसने पाकिस्तानी वैज्ञानिक ए क्यू खान की रावलपिंडी स्थित लैबोरेटरी से 100 मिलियन डॉलर में इस समान की खरीदारी की थी.

इस खुलासे के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की जमकर किरकिरी हुई और कुछ ही दिनों में ए क्यू खान ने पाकिस्तानी टेलीविजन पर आकर अपने इस बात को मान लिया और अपने देश से माफी मांगी. ए क्यू खान ने माना कि उसने लीबिया, ईरान और उत्तर कोरिया को न्यूक्लियर बम बनाने की पूरी जानकारी बेची थी. इसके अलावा सीरिया और सउदी अरब को भी परमाणु बम की टेक्नोलॉजी बेचने के लिए बातचीत चल रही थी.

हालांकि अगले महीने फरवरी 2004 में ही तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने ए क्यू खान को नेशनल हीरो करार देते हुए उसे उसके गुनाहों के लिए माफ कर दिया और दुनिया कि नजरों से दूर इस्लामाबाद के एक आलिशान महल में हाउस अरेस्ट में रख दिया.

ए क्यू खान का एक कारनामा तो रंग ला चुका है, अब देखना यह है कि लीबिया, ईरान और फिर सीरिया और सउदी अरब अपने-अपने बम का प्रदर्शन कब करते हैं. या ये उसे ISIS जैसे आतंकी संगठन को बेच देते हैं. खैर, जो भी. अभी तो नॉर्थ कोरिया में जश्न मनाया जा रहा है.

थैंक यू पाकिस्तान,

फ्रॉम नॉर्थ कोरिया.



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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