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40 हजार से ज्‍यादा की क्रॉस वोटिंग, मतलब विपक्ष में सुराख हैं !

    • आईचौक
    • Updated: 20 जुलाई, 2017 08:21 PM
  • 20 जुलाई, 2017 08:21 PM
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पश्चिम बंगाल में तीन एमएलए बीजेपी के हैं और तीन गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के. इस हिसाब से एनडीए उम्मीदवार कोविंद को कुल छह विधायकों के वोट मिलने चाहिये - लेकिन कोविंद को मिले 11 विधायकों के वोट. साफ है क्रॉस वोटिंग के चलते कोविंद को पांच बोनस वोट मिले हैं.

रामनाथ कोविंद की जीत पक्की थी और मीरा कुमार के लिए रायसीना हिल्स की रेस में शुमार होना अहम रहा. 65.85 फीसदी वोटों के साथ एनडीए के उम्मीदवार कोविंद देश के 14 वें राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित किये गये हैं.

वोटों की गिनती के बाद सामने आये आंकड़े को देखें तो क्रॉस वोटिंग के साफ संकेत मिल रहे हैं. फिर भी मीरा कुमार को इसके चलते कोई बड़ा नुकसान हुआ हो ऐसा नहीं लगता.

आखिरी नतीजे

एनडीए कैंडिडेट रामनाथ कोविंद को कुल 2, 930 वोट मिले जिनकी वैल्यू 7,02,044 है, जबकि 17 विपक्षी दलों की उम्मीदवार मीरा कुमार के खाते में 1,844 वोट पड़े जिनका मूल्य 3,67,314 है. इस तरह एनडीए के कोविंद ने 65.65 फीसदी और विपक्ष की मीरा कुमार ने 34.35 फीसदी वोट हासिल किये. दिलचस्प बात ये है कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव के आंकड़े भी तकरीबन आस पास ही हैं. दोनों में कोई खास अंतर नहीं नजर आ रहा है.

देश को दोबारा मिला दलित राष्ट्रपति

2012 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी को 7,13,763 वोट मिले थे जो ताजा विजयी उम्मीदवार से करीब 10 हजार ज्यादा हैं. राष्ट्रपति मुखर्जी ने तब विपक्षी उम्मीदवार पीए संगमा हराया था. संगमा को तब 3,15,987 वोट मिले थे जो मीरा कुमार के मुकाबले काफी कम हैं. खास बात ये है कि संगमा और मीरा कुमार दोनों लोक सभा के स्पीकर रह चुके हैं.

क्रॉस वोटिंग?

जब 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले गये थे तो शिवपाल यादव खुल कर सामने आये और कहा कि नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव की सलाह पर खुद उन्होंने और उनके साथियों ने एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाला है. हालांकि, समाजवादी पार्टी ने मीरा कुमार को सपोर्ट करने का फैसला किया था.

क्रॉस वोटिंग की मिसाल बना पश्चिम बंगाल....

रामनाथ कोविंद की जीत पक्की थी और मीरा कुमार के लिए रायसीना हिल्स की रेस में शुमार होना अहम रहा. 65.85 फीसदी वोटों के साथ एनडीए के उम्मीदवार कोविंद देश के 14 वें राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित किये गये हैं.

वोटों की गिनती के बाद सामने आये आंकड़े को देखें तो क्रॉस वोटिंग के साफ संकेत मिल रहे हैं. फिर भी मीरा कुमार को इसके चलते कोई बड़ा नुकसान हुआ हो ऐसा नहीं लगता.

आखिरी नतीजे

एनडीए कैंडिडेट रामनाथ कोविंद को कुल 2, 930 वोट मिले जिनकी वैल्यू 7,02,044 है, जबकि 17 विपक्षी दलों की उम्मीदवार मीरा कुमार के खाते में 1,844 वोट पड़े जिनका मूल्य 3,67,314 है. इस तरह एनडीए के कोविंद ने 65.65 फीसदी और विपक्ष की मीरा कुमार ने 34.35 फीसदी वोट हासिल किये. दिलचस्प बात ये है कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव के आंकड़े भी तकरीबन आस पास ही हैं. दोनों में कोई खास अंतर नहीं नजर आ रहा है.

देश को दोबारा मिला दलित राष्ट्रपति

2012 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी को 7,13,763 वोट मिले थे जो ताजा विजयी उम्मीदवार से करीब 10 हजार ज्यादा हैं. राष्ट्रपति मुखर्जी ने तब विपक्षी उम्मीदवार पीए संगमा हराया था. संगमा को तब 3,15,987 वोट मिले थे जो मीरा कुमार के मुकाबले काफी कम हैं. खास बात ये है कि संगमा और मीरा कुमार दोनों लोक सभा के स्पीकर रह चुके हैं.

क्रॉस वोटिंग?

जब 17 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले गये थे तो शिवपाल यादव खुल कर सामने आये और कहा कि नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव की सलाह पर खुद उन्होंने और उनके साथियों ने एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाला है. हालांकि, समाजवादी पार्टी ने मीरा कुमार को सपोर्ट करने का फैसला किया था.

क्रॉस वोटिंग की मिसाल बना पश्चिम बंगाल. पश्चिम बंगाल में तीन एमएलए बीजेपी के हैं और तीन गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के. इस हिसाब से एनडीए उम्मीदवार कोविंद को कुल छह विधायकों के वोट मिलने चाहिये - लेकिन कोविंद को मिले 11 विधायकों के वोट. साफ है क्रॉस वोटिंग के चलते कोविंद को पांच बोनस वोट मिले हैं.

इसी तरह दिल्ली में छह वोट कोविंद को मिले जबकि छह रिजेक्ट हो गये. बाकी वोट मीरा कुमार को मिले हैं. कोविंद को मिले छह वोटों में चार तो बीजेपी के थे इसका मतलब दो वोट आम आदमी पार्टी के ही रहे होंगे. माना जा सकता है इन दोनों में से एक तो कपिल मिश्रा ही होंगे जो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं.

मोटे तौर पर समझने की कोशिश करें तो सत्ताधारी बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के पास 6,61,278 मूल्य के वोट थे जबकि 17 विपक्षी दलों के पास 4,34,241 वैल्यू वाले वोट. इस हिसाब से देखा जाये तो कोविंद को 40 हजार से ज्यादा वोट क्रॉस वोटिंग के जरिये मिले माने जा सकते हैं. इस फॉर्मूले से मीरा कुमार को संभावित वोटों से 65 हजार कम मिले हैं. हालांकि, ये संभावित आंकड़े हैं जिनमें रद्द किये हुए वोट भी शामिल हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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