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सुना आपने, हाफिज सईद पेरिस अटैक की निंदा कर रहा है!

    • विनीत कुमार
    • Updated: 29 नवम्बर, 2015 04:21 PM
  • 29 नवम्बर, 2015 04:21 PM
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हाफिज को पेरिस अटैक में तो इस्लाम की बदनामी नजर आती है लेकिन भारत के खिलाफ साजिश रचने के दौरान उसे इस्लाम याद नहीं आता. ये मजाक ही तो है... मुंबई से लेकर पेरिस तक आतंक से पीड़ित लोगों के साथ.

जिस आदमी पर मुंबई की सड़कों पर कत्लेआम मचाने का आरोप है और न जाने कितने और मौकों पर वह बेगुनाहों की हत्या की साजिश रचता रहा हो, वही अगर पेरिस अटैक की आलोचना करने लगे तो हैरानी जायज है. आखिर जमात-उद-दावा के मुखिया और 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को क्या पड़ी थी कि उसने पेरिस अटैक पर अफसोस जता दिया. वो भी चोरी-छिपे.

दरअसल, हाफिज ने पाकिस्तानी अखबार 'दि नेशन' को इंटरव्यू तो दिया है लेकिन इस शर्त पर कि वह ये इंटरव्यू कहां से दे रहा है, इसका खुलासा न किया जाए. हाफिज ने कहा है कि पेरिस अटैक इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश है. बकौल हाफिज यह हमला पश्चिम में इस्लाम को बढ़ावा देने से रोकने की भी एक साजिश है. हाफिज ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के एक बयान का भी हवाला देता है, जिसके अनुसार ब्लेयर ने कभी माना था ISIS को बढ़ावा देना पश्चिम की गलती थी.

वैसे हाफिज अगर चोरी-छिपे बात कर रहा है तो इसके सिवा उसके पास फिलहाल कोई रास्ता भी नहीं है. पूरी दुनिया से मिल रहे दबाव के कारण पाकिस्तानी सरकार ने हाफिज के जमात-उद-दावा और फलाहे-इंसानियत फाउंडेशन के मीडिया कवरेज पर रोक लगा रखी है. संयुक्त राष्ट्र 2008 में ही जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन और हाफिज को आतंकी घोषित कर चुका है. अमेरिका ने भी सईद के सिर पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा है. यह और बात है इसके बावजूद हाफिज पाकिस्तान में खुले आम रैलियां आयोजित कर भारत विरोधी बातें करता रहा है.

जहां तक पेरिस अटैक की बात है तो इसकी निंदा पूरी दुनिया ने की. लेकिन हाफिज का बयान पेरिस अटैक में मारे गए उन 129 लोगों के ऊपर मजाक के सिवाय कुछ नहीं है. उसने अपने ही बयान से एक बार फिर साबित कर दिया है कि कट्टरवाद के कीचड़ में फंसा कोई व्यक्ति कैसे दोहरी बातें करने लगता है. हाफिज को पेरिस अटैक में तो इस्लाम की बदनामी नजर आती है लेकिन भारत के खिलाफ साजिश रचने के दौरान उसे इस्लाम याद नहीं आता. उलटा पेरिस हमले की बात करते-करते हाफिज एक बार फिर उसी कट्टरवाद और इस्लाम को फैलाने की बात पर लौट...

जिस आदमी पर मुंबई की सड़कों पर कत्लेआम मचाने का आरोप है और न जाने कितने और मौकों पर वह बेगुनाहों की हत्या की साजिश रचता रहा हो, वही अगर पेरिस अटैक की आलोचना करने लगे तो हैरानी जायज है. आखिर जमात-उद-दावा के मुखिया और 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को क्या पड़ी थी कि उसने पेरिस अटैक पर अफसोस जता दिया. वो भी चोरी-छिपे.

दरअसल, हाफिज ने पाकिस्तानी अखबार 'दि नेशन' को इंटरव्यू तो दिया है लेकिन इस शर्त पर कि वह ये इंटरव्यू कहां से दे रहा है, इसका खुलासा न किया जाए. हाफिज ने कहा है कि पेरिस अटैक इस्लाम को बदनाम करने की कोशिश है. बकौल हाफिज यह हमला पश्चिम में इस्लाम को बढ़ावा देने से रोकने की भी एक साजिश है. हाफिज ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के एक बयान का भी हवाला देता है, जिसके अनुसार ब्लेयर ने कभी माना था ISIS को बढ़ावा देना पश्चिम की गलती थी.

वैसे हाफिज अगर चोरी-छिपे बात कर रहा है तो इसके सिवा उसके पास फिलहाल कोई रास्ता भी नहीं है. पूरी दुनिया से मिल रहे दबाव के कारण पाकिस्तानी सरकार ने हाफिज के जमात-उद-दावा और फलाहे-इंसानियत फाउंडेशन के मीडिया कवरेज पर रोक लगा रखी है. संयुक्त राष्ट्र 2008 में ही जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन और हाफिज को आतंकी घोषित कर चुका है. अमेरिका ने भी सईद के सिर पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा है. यह और बात है इसके बावजूद हाफिज पाकिस्तान में खुले आम रैलियां आयोजित कर भारत विरोधी बातें करता रहा है.

जहां तक पेरिस अटैक की बात है तो इसकी निंदा पूरी दुनिया ने की. लेकिन हाफिज का बयान पेरिस अटैक में मारे गए उन 129 लोगों के ऊपर मजाक के सिवाय कुछ नहीं है. उसने अपने ही बयान से एक बार फिर साबित कर दिया है कि कट्टरवाद के कीचड़ में फंसा कोई व्यक्ति कैसे दोहरी बातें करने लगता है. हाफिज को पेरिस अटैक में तो इस्लाम की बदनामी नजर आती है लेकिन भारत के खिलाफ साजिश रचने के दौरान उसे इस्लाम याद नहीं आता. उलटा पेरिस हमले की बात करते-करते हाफिज एक बार फिर उसी कट्टरवाद और इस्लाम को फैलाने की बात पर लौट आता है. ये मजाक ही तो है... मुंबई से लेकर पेरिस तक आतंक से पीड़ित लोगों के साथ.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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