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मंत्री बनते ही साइकिल से संसद आना भूल गए ये सांसद

    • जितेंद्र सिंह
    • Updated: 21 जुलाई, 2016 09:09 PM
  • 21 जुलाई, 2016 09:09 PM
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इन दिनों साइकिल चलाकर संसद पहुंचने वाले सांसद जैसे गायब हो गए हैं.

इन दिनों साइकिल चलाकर संसद पहुंचने वाले सांसद जैसे गायब हो गए हैं. कुछ सांसद जो रोज साइकिल से ही संसद आते थे, वे मिनिस्टर बन चुके हैं और अब सुरक्षा का हवाला देते हुए लालबत्ती लगी गाड़ी से ही पार्लियामेंट पहुंच रहे हैं.

हालांकि मिनिस्टर बनने के बावजूद मनसुखभाई मांडविया साइकिल से ही कुछ दिन आये पर अब लालबत्ती की गाड़ी में आने लगे है. दरअसल लालबत्ती का रुतबा ही ऐसा है जो व्यक्ति को बदल देता है. पर ये वही मंत्री हैं जो पहले साइकिल से आना अपना सौभाग्य बताते थे और हमेशा ये कहते नजर आते थे की पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए इसी तरह सभी सांसदों को संसद में आना चाहिए.

 साइकिल की सवारी अब क्यों नहीं,

ये है उन सांसदों का बदलाव. दोनों सांसद जब मंत्री पद की शपथ लेने राष्ट्रपति भवन जा रहे थे तो उनके लिए बाकायदा कैबिनेट सेक्रेटरी और राष्ट्रपति भवन से मंजूरी लेकर वहाँ भी साइकिल से पहुंचने का इंतजाम किया गया. इन सांसदों ने साइकिल से पहुंचकर शपथ लेने के बाद लोगों से वादा भी किया कि आगे भी वह संसद और मंत्रालय जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल ही करेंगे.बहरहाल, कुछ सांसदों के लिए साइकिल से संसद आना ऐसा शुभ साबित हुआ की वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नज़रो में आ गये. राजस्थान से आने वाले बीकानेर के सांसद अर्जुन राम मेघवाल और गुजरात से राज्यसभा के सांसद मनसुख भाई मंडविया मंत्री बन गए. लेकिन अब वो साइकिल से नहीं लाल बत्ती की गाड़ी से ही संसद पहुंचते हैं.

इसे भी पढ़ें: सिद्धू...

इन दिनों साइकिल चलाकर संसद पहुंचने वाले सांसद जैसे गायब हो गए हैं. कुछ सांसद जो रोज साइकिल से ही संसद आते थे, वे मिनिस्टर बन चुके हैं और अब सुरक्षा का हवाला देते हुए लालबत्ती लगी गाड़ी से ही पार्लियामेंट पहुंच रहे हैं.

हालांकि मिनिस्टर बनने के बावजूद मनसुखभाई मांडविया साइकिल से ही कुछ दिन आये पर अब लालबत्ती की गाड़ी में आने लगे है. दरअसल लालबत्ती का रुतबा ही ऐसा है जो व्यक्ति को बदल देता है. पर ये वही मंत्री हैं जो पहले साइकिल से आना अपना सौभाग्य बताते थे और हमेशा ये कहते नजर आते थे की पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए इसी तरह सभी सांसदों को संसद में आना चाहिए.

 साइकिल की सवारी अब क्यों नहीं,

ये है उन सांसदों का बदलाव. दोनों सांसद जब मंत्री पद की शपथ लेने राष्ट्रपति भवन जा रहे थे तो उनके लिए बाकायदा कैबिनेट सेक्रेटरी और राष्ट्रपति भवन से मंजूरी लेकर वहाँ भी साइकिल से पहुंचने का इंतजाम किया गया. इन सांसदों ने साइकिल से पहुंचकर शपथ लेने के बाद लोगों से वादा भी किया कि आगे भी वह संसद और मंत्रालय जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल ही करेंगे.बहरहाल, कुछ सांसदों के लिए साइकिल से संसद आना ऐसा शुभ साबित हुआ की वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नज़रो में आ गये. राजस्थान से आने वाले बीकानेर के सांसद अर्जुन राम मेघवाल और गुजरात से राज्यसभा के सांसद मनसुख भाई मंडविया मंत्री बन गए. लेकिन अब वो साइकिल से नहीं लाल बत्ती की गाड़ी से ही संसद पहुंचते हैं.

इसे भी पढ़ें: सिद्धू कन्‍फ्यूज हैं, दो में से एक रास्‍ता चुनना ही होगा...

लेकिन ऐसा हो न सका. अर्जुन राम मेघवाल ने साइकिल की सवारी छोड़ लालबत्ती कार अपना लिया. वहीँ मंत्री मनसुख भाई भी जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ तो एक दो दिन साइकिल से आये पर अब इन्होंने भी अपनी लकी साइकिल की सवारी छोड़ दी है.

 साइकिल की सवारी अब क्यों नहीं,

आजतक की टीम ने जब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से सवाल किया तो पहले बचते हुए दिखे फिर बाद में कहा की "समय समय पर साइकिल से आकर पर्यावरण का सन्देश यहाँ और अपने संसदीय क्षेत्र में देते रहेंगे."यही नहीं, केंद्र में राज्य मंत्री के तौर पर गुजरात से आने वाले सांसद मनसुखभाई मंडविया से जब साइकिल से न आने का कारण पूछा तो उन्होंने इस पर कोई जवाब न देते हुए राज्य सभा गेट नंबर 12 से अंदर चले गए.

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आपको बता दें कि अर्जुन राम मेघवाल ने ही साइकिल से संसद आने की शुरुआत की थी और उनका लक्ष्य 16वीं लोकसभा खत्म होते होते कम-से-कम 22 सांसदों को साइकिल की सवारी कराने का था. लेकिन वित्त राज्यमंत्री बनने के बाद अब वे देश की आर्थिक सेहत सुधारने में जुट गए हैं.

मनसुखभाई मांडविया का साइकिल प्रेम संसद का सत्र शुरू होने के एक दो दिन तक नहीं छूटा है. और साइकिल से ही देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुँचे पर अब ये भी लाल बत्ती में सवार हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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