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माई फ्रेंड ....(बराक) डोनल्ड !!!!

    • मौसमी सिंह
    • Updated: 25 जून, 2017 12:06 PM
  • 25 जून, 2017 12:06 PM
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प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका दौरा कई मायनों में ऐतिहासिक है. दुनिया के सियासी शिखर पर विद्यमान दो लोकप्रिय, विवादित और चर्चित नेता जब व्हाइट हाउस में मिलेंगे तो दोनों ही देश के नागरिक टकटकी लगाए बैठें होंगे. अमेरिका से मौसमी सिंह बता रही हैं प्रधानमंत्री के इस दौरे की दिलचस्प बारीकियां.

इंडो-यूएस वार्ता पीएम मोदी से जुड़ी 5 बड़ी चुनौतियां

1. पहली मुलाकात और ट्रम्प मिजाज़-

क्या ट्रम्प और मोदी की मुलाकात इतिहास में वाकई ऐतिहासिक दर्ज होगी ? इसका जवाब दोनों नेताओं की केमिस्ट्री पर निर्भर करता है. इससे पहले मोदी का ' माई फ्रेंड बराक' करके ओबामा को पहले नाम से संबोधित करना उनके बीच की केमिस्ट्री का परिचायक बन गया था. इस करीबी के चलते ही पिछले कुछ सालों में अमेरिका और भारत की दोस्ती और पक्की हुई. ट्रम्प के अस्थिर मिजाज़ और मौसमी मूड को भांपना मोदी के लिए आसान नहीं होगा. ट्रम्प का एक ट्वीट या बयान भारत अमेरिका के रिश्तों पर भारी पड़ सकता है. तो क्या भारत के कूटनीतिक चाणक्य मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति 'फ्रेंड डोनाल्ड' का दिल जीत पाएंगे ?

क्या मोदी डोनाल्ड ट्रंप का दिल जीत पाएंगे?

2. आतंकवाद पर पाक को फटकार?

भारत लगातार ये दोहराता आया है कि पाकिस्तान आतंकियों को न सिर्फ संरक्षण देता है बल्कि भारत मे अशांति फैलाने के पीछे उसका सीधा हाथ है. मगर अल-कायदा के खिलाफ लड़ाई में पाक की मदद ले रहे अमेरिका ने 2005 में बुश कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान को गैर नेटो सहयोगी का दर्जा दे दिया. मगर सालों से अमेरिका से आर्थिक मदद ले रहा पाक हाथ पर हाथ धरे बैठे हुआ है. अफ़गानिस्तान में बिगड़ते हालात और बेलगाम हक्कानी नेटवर्क को पाक से मिल रही शय, अमेरिका के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के दोगले रवैये को लेकर रुख कड़ा तो किया है. इस पृष्टभूमि में मोदी की कोशिश होगी कि पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ाने के लिए भारत-अमेरिका कोई मजबूत साझा बयान दे.

3. क्लाइमेट चेंज और पैरिस समझौता की रार?

पेरिस क्लाइमेट अकॉर्ड को ना...

इंडो-यूएस वार्ता पीएम मोदी से जुड़ी 5 बड़ी चुनौतियां

1. पहली मुलाकात और ट्रम्प मिजाज़-

क्या ट्रम्प और मोदी की मुलाकात इतिहास में वाकई ऐतिहासिक दर्ज होगी ? इसका जवाब दोनों नेताओं की केमिस्ट्री पर निर्भर करता है. इससे पहले मोदी का ' माई फ्रेंड बराक' करके ओबामा को पहले नाम से संबोधित करना उनके बीच की केमिस्ट्री का परिचायक बन गया था. इस करीबी के चलते ही पिछले कुछ सालों में अमेरिका और भारत की दोस्ती और पक्की हुई. ट्रम्प के अस्थिर मिजाज़ और मौसमी मूड को भांपना मोदी के लिए आसान नहीं होगा. ट्रम्प का एक ट्वीट या बयान भारत अमेरिका के रिश्तों पर भारी पड़ सकता है. तो क्या भारत के कूटनीतिक चाणक्य मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति 'फ्रेंड डोनाल्ड' का दिल जीत पाएंगे ?

क्या मोदी डोनाल्ड ट्रंप का दिल जीत पाएंगे?

2. आतंकवाद पर पाक को फटकार?

भारत लगातार ये दोहराता आया है कि पाकिस्तान आतंकियों को न सिर्फ संरक्षण देता है बल्कि भारत मे अशांति फैलाने के पीछे उसका सीधा हाथ है. मगर अल-कायदा के खिलाफ लड़ाई में पाक की मदद ले रहे अमेरिका ने 2005 में बुश कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान को गैर नेटो सहयोगी का दर्जा दे दिया. मगर सालों से अमेरिका से आर्थिक मदद ले रहा पाक हाथ पर हाथ धरे बैठे हुआ है. अफ़गानिस्तान में बिगड़ते हालात और बेलगाम हक्कानी नेटवर्क को पाक से मिल रही शय, अमेरिका के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान के दोगले रवैये को लेकर रुख कड़ा तो किया है. इस पृष्टभूमि में मोदी की कोशिश होगी कि पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ाने के लिए भारत-अमेरिका कोई मजबूत साझा बयान दे.

3. क्लाइमेट चेंज और पैरिस समझौता की रार?

पेरिस क्लाइमेट अकॉर्ड को ना करने के बाद ट्रम्प ने अपने 27 मिनट के भाषण में 3 बार भारत का नाम लिया. अमेरिका के अधिकारों की रक्षा करने की दुहाई देते हुए ट्रम्प ने भारत करने लालच होने का आरोप लगाया. ट्रम्प ने कहा कि भारत सिर्फ इसलिए ये समझौता कर रहा है क्योंकि उसको बहुत सारे पैसे मिलने वाले हैं. मोदी के सामने चुनौती होगी इस खटास को खत्म कर नई ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका के साथ नया अध्याय लिखने की.

4. एच1बी वीज़ा की चिंता

एच1बी वीज़ा ट्रम्प के लिए चुनावी मुद्दा रहा है. वहीं एच1बी वीज़ा का फायदा सबसे ज़्यादा भारत को मिला है.अमेरिका साल में 65,000 एच1बी जारी करता है. अमेरिकी कम्पनी गूगल, माइक्रोसाफ्ट के साथ साथ इंफोसिस, विप्रो और महिंद्रा जैसी भारतीय कम्पनी एच1बी के ज़रिए भारतियों को अमेरिका में नौकरी देते आये हैं. ट्रम्प ने चुनावी मौसम में इससे अमेरिकी लोगों के साथ धोखा बताया था. अब सरकार में आते ही एच1बी वीज़ा को रिव्यू करने के आदेश दिए हैं. ये देखना होगा कि क्या मोदी तस्वीरों और हैंडशेक से आगे बढ़कर भारत की चिंता को ज़ाहिर करते हैं?

5. अमेरिका फर्स्ट बनाम मेक इन इंडिया

दोनों नेताओं को जुमलों के आगे बढ़कर भारत अमेरिका के सहयोग की गति तय करने के लिए तमाम मुद्दों पर सहमति बनानी होगी. मोदी को ट्रम्प को समझाना होगा कि मेक इंडिया और अमेरिका फर्स्ट साथ साथ चल सकते हैं. हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस कॉन्ट्रेक्टर लॉकहीड मार्टिन और भारतीय कम्पनी टाटा के बीच एफ16 फाइटर प्लेन को भारत मे बनाने का समझौता इस बात का प्रमाण है. मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लिए पूंजीवाद के मक्का मानने जानेवाले अमेरिका की भागेदारी सुनिश्चित करना मोदी के सामने पांचवी चुनौती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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