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पाटीदारों की कुलदेवी किसे आशीर्वाद देंगी- राहुल गांधी या केजरीवाल को?

    • गोपी मनियार
    • Updated: 21 दिसम्बर, 2016 08:54 PM
  • 21 दिसम्बर, 2016 08:54 PM
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अगर गुजरात में पाटीदारो के दिलों तक पहुंचना है तो माँ उमिया के सामने माथा टेकना काफी अहम माना जाता है. अरविंद केजरीवाल के बाद राहुल गांधी के सलाहकारों ने भी उनके कान में यही मंत्र फूंका है.

केजरीवाल के बाद अब पाटीदारों के कुलदेवी उमियाधाम दर्शन करने पहेंचे राहुल गांधी, क्या पाटीदारों को 2017 के चुनाव में वे लुभा पायेंगे.

गुजरात में हाशिये पर खड़ी कांग्रेस ने अपनी पुराने वोट बैंक को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. राहुल गांधी बुधवार को गुजरात में कांग्रेस को एक बार फिर जीवनदान देने पहुंचे थे. प्रधानमंत्री के गृहराज्य गुजरात में राहुल गांधी ने नोटबंदी, पाटीदारों ओर दलितों के मुद्दों के जरिए प्रधानमंत्री कि राजनीति पर कड़ा हमला बोला.

पाटीदारों की कुलदेवी के मंदिर उमियाधम पर राहुल गांधी.

राहुल गांधी ने गुजरात में अपनी राजनीति की शुरुआत पाटीदारों की कुलदेवी माँ उमिया के दर्शन के साथ की. दरअसल अगर गुजरात में पाटीदारो के दिलों तक पहुंचना है तो माँ उमिया के सामने माथा टेकना काफी अहम माना जाता है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हे कि पिछली बार जब केजरीवाल गुजरात आये थे तो उन्होंने भी माँ उमिया के सामने माथा टेका था.

राहुल ने प्रधानमंत्री के गृहराज्य से उन्हीं को ललकारा. कहा गुजरात में पाटीदारों पर अत्याचार हुए, ना सिर्फ पाटीदारो के बहन बेटी को मारा गया. बल्िही उनके बच्चों की गोली मारकर हत्या की गयी. वहीं दलितों के मुद्दे को भी बखूबी भुनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जिस राज्य में अब तक मुख्यमंत्री थे, वहां  दलितों पर अत्याचार हो रहे थे. लेकिन प्रधानमंत्री इस पर काफी दिनों तक कुछ नहीं बोले.

केजरीवाल के बाद अब पाटीदारों के कुलदेवी उमियाधाम दर्शन करने पहेंचे राहुल गांधी, क्या पाटीदारों को 2017 के चुनाव में वे लुभा पायेंगे.

गुजरात में हाशिये पर खड़ी कांग्रेस ने अपनी पुराने वोट बैंक को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. राहुल गांधी बुधवार को गुजरात में कांग्रेस को एक बार फिर जीवनदान देने पहुंचे थे. प्रधानमंत्री के गृहराज्य गुजरात में राहुल गांधी ने नोटबंदी, पाटीदारों ओर दलितों के मुद्दों के जरिए प्रधानमंत्री कि राजनीति पर कड़ा हमला बोला.

पाटीदारों की कुलदेवी के मंदिर उमियाधम पर राहुल गांधी.

राहुल गांधी ने गुजरात में अपनी राजनीति की शुरुआत पाटीदारों की कुलदेवी माँ उमिया के दर्शन के साथ की. दरअसल अगर गुजरात में पाटीदारो के दिलों तक पहुंचना है तो माँ उमिया के सामने माथा टेकना काफी अहम माना जाता है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हे कि पिछली बार जब केजरीवाल गुजरात आये थे तो उन्होंने भी माँ उमिया के सामने माथा टेका था.

राहुल ने प्रधानमंत्री के गृहराज्य से उन्हीं को ललकारा. कहा गुजरात में पाटीदारों पर अत्याचार हुए, ना सिर्फ पाटीदारो के बहन बेटी को मारा गया. बल्िही उनके बच्चों की गोली मारकर हत्या की गयी. वहीं दलितों के मुद्दे को भी बखूबी भुनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जिस राज्य में अब तक मुख्यमंत्री थे, वहां  दलितों पर अत्याचार हो रहे थे. लेकिन प्रधानमंत्री इस पर काफी दिनों तक कुछ नहीं बोले.

मां उमिया की पूजा करते राहुल गांधी.

गुजरात की राजनीति में कहा जाता है कि अगर मुख्यमंत्री के तख्त पर काबिज होना है तो आपको पाटीदारों का सहारा चाहिये ही चाहिये. वैसे गुजरात में राहुल गांधी ने अपनी राजनीति की शुरुआत भी पाटीदारों के गढ़ महेसाणा से की. गौरतलब है कि अगले साल गुजरात में चुनाव आना है. पाटीदार और दलित आंदोलन ने गुजरात में बीजेपी कि नींव को हिलाकर रख दिया है. इतना ही नहीं, नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात बीजेपी के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है. जिसे वो 2017 के चुनाव में अपने चहरे के तौर पर लोगों के सामने पेश कर पाये. और उसपर से बीजेपी के लिये इस बार सब से बड़ी चुनौती के तौर एन्टी इन्कमबन्सी को भी देखा जा रहा है.

वैसे गुजरात में अपनी जमीन तलाश रही कांग्रेस के लिये ये चुनाव कांटे की टक्कर के बराबर माना जा रहा है. अगर इस बार कांग्रेस चुनाव नहीं जीतती है तो गुजरात में कांग्रेस का भविष्य अंधेरे में चला जायेगा. यही वजह है कि राहुल ने मोदी पर उनके गुजरात मुख्यमंत्री रहते किए गए कथित भष्टाचार की बात की और उनकी साफ छवि पर सवाल खड़े किए. राहुल गांधी ने सहारा कंपनी में हुए आयकर छापे का हवाला देते हुए कहा कि सहारा ने और बिरला ग्रुप ने 2013-14 में करोड़ों रुपये क्यों उन्हेंा दिये, इसका खुलासा करें.

राहुल गांधी के इस दौरे से इतना तो साफ है कि गुजरात में अगर बीजेपी जल्द चुनाव घोषित करती है, तब भी वो तैयार है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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