• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

मुस्लिम समुदाय को लेकर बीजेपी में आए ये बदलाव कहां तक जाने वाले हैं

    • आईचौक
    • Updated: 21 मई, 2017 04:50 PM
  • 21 मई, 2017 04:50 PM
offline
उत्तर प्रदेश के विपरीत बीजेपी ने पश्चिम बंगाल और मालेगांव निगमों के चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे. योगी आदित्यनाथ जहां बदले बदले नजर आते हैं, वहीं अमित शाह विनम्र होने की बात करते हैं. आखिर माजरा क्या है? क्या बीजेपी बदल रही है?

पहले बीजेपी अपने राजनीतिक विरोधियों पर मुस्लिम तुष्टीकरण के इल्जाम लगाती रही. अब खुद बीजेपी की एक्टिविटी देखें तो वो मुस्लिमों को करीब लाने की कोशिश करती नजर आ रही है. पश्चिम बंगाल और मालेगांव निगमों के चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों की तादाद आखिर यही तो बता रही है. योगी आदित्यनाथ जहां बदले बदले नजर आते हैं, वहीं अमित शाह इन दिनों विनम्र होने की बात करते हैं. आखिर माजरा क्या है? क्या बीजेपी बदल रही है?

बदले बदले सरकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर शपथ लेते वक्त एक नया नाम सुनने को मिला था - आदित्यनाथ योगी. उससे पहले तक वो योगी आदित्यनाथ के रूप में जाने जाते रहे. शपथग्रहण में नाम सुन कर लगा वो नाम दस्तावेजों में होगा, इसलिए ऐसा किया. मुख्यमंत्री आवास पर पूजा पाठ के बाद भी वही नाम दिखा. हफ्ते भर बाद ही मालूम हुआ कि नाम में क्रम बदल गया.

विनम्रता सबसे जरूरी है, है कि नहीं?

देश में हर व्यक्ति को अधिकार है अपना नाम बदलने का. वो जितनी बार चाहे नाम बदल सकता है, बस उसके लिए कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं जिसमें आगे से नये नाम से जाना जाए ऐसी घोषणा करनी होती है.

योगी आदित्यनाथ के नाम बदलने के पीछे असल और ऑफिशियल वजह क्या रही ये तो नहीं पता, लेकिन एक कारण लगता है लोगों को कंफ्यूजन से बचाना. आखिर ये गूगल का जमाना जो है. कोई नया प्रयोग करने से पहले भला गूगल को कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है?

ये तो रही नाम की बात. योगी आदित्यनाथ की शुरू से ही कट्टर हिंदूवादी छवि रही है और उनके भाषणों में भी वही तेवर देखने को मिलता रहा. यूपी विधानसभा चुनावों तक इसमें कोई अंतर नहीं देखा गया, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ की बातों में संयम और धैर्य दिखने लगा है. अभी अभी विधानसभा सत्र के...

पहले बीजेपी अपने राजनीतिक विरोधियों पर मुस्लिम तुष्टीकरण के इल्जाम लगाती रही. अब खुद बीजेपी की एक्टिविटी देखें तो वो मुस्लिमों को करीब लाने की कोशिश करती नजर आ रही है. पश्चिम बंगाल और मालेगांव निगमों के चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों की तादाद आखिर यही तो बता रही है. योगी आदित्यनाथ जहां बदले बदले नजर आते हैं, वहीं अमित शाह इन दिनों विनम्र होने की बात करते हैं. आखिर माजरा क्या है? क्या बीजेपी बदल रही है?

बदले बदले सरकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर शपथ लेते वक्त एक नया नाम सुनने को मिला था - आदित्यनाथ योगी. उससे पहले तक वो योगी आदित्यनाथ के रूप में जाने जाते रहे. शपथग्रहण में नाम सुन कर लगा वो नाम दस्तावेजों में होगा, इसलिए ऐसा किया. मुख्यमंत्री आवास पर पूजा पाठ के बाद भी वही नाम दिखा. हफ्ते भर बाद ही मालूम हुआ कि नाम में क्रम बदल गया.

विनम्रता सबसे जरूरी है, है कि नहीं?

देश में हर व्यक्ति को अधिकार है अपना नाम बदलने का. वो जितनी बार चाहे नाम बदल सकता है, बस उसके लिए कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं जिसमें आगे से नये नाम से जाना जाए ऐसी घोषणा करनी होती है.

योगी आदित्यनाथ के नाम बदलने के पीछे असल और ऑफिशियल वजह क्या रही ये तो नहीं पता, लेकिन एक कारण लगता है लोगों को कंफ्यूजन से बचाना. आखिर ये गूगल का जमाना जो है. कोई नया प्रयोग करने से पहले भला गूगल को कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है?

ये तो रही नाम की बात. योगी आदित्यनाथ की शुरू से ही कट्टर हिंदूवादी छवि रही है और उनके भाषणों में भी वही तेवर देखने को मिलता रहा. यूपी विधानसभा चुनावों तक इसमें कोई अंतर नहीं देखा गया, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ की बातों में संयम और धैर्य दिखने लगा है. अभी अभी विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष के हमलावर तेवर के बावजूद योगी काफी संयत दिखे. विरोधी दलों के नेता योगी को बार बार उकसाते रहे लेकिन योगी ने पूरे धैर्य से एक एक बात का जवाब दिया.

हाल फिलहाल योगी की बढ़ती लोकप्रियता बीजेपी के कई खेमों में चर्चा में रही. सवाल ये भी उठा कि योगी कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर देने की तैयारी तो नहीं कर रहे?

'आजतक एडिटर्स राउंड टेबल' में हिस्सा ले रहे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के सामने भी ये सवाल उठा - क्या मुख्यमंत्री योगी प्रधानमंत्री मोदी के उत्तराधिकारी बनेंगे?

अमित शाह का जवाब था - लोग सोचते रहते होंगे लेकिन मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता.

विनम्रता की सीख

यूपी चुनाव में बंपर जीत के बाद बीजेपी नेताओं से मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें विनम्रता की सलाह दी थी. संभव है कि मोदी को भी बीजेपी में हल्ला बोल जैसे खतरे की आशंका हुई हो. योगी में आये बदलावों को भी मोदी की बातों से जोड़ कर देखा जाता है.

अब अमित शाह भी मौका मिलने पर मोदी की बात दोहराने लगे हैं. शाह जोर देकर कहते हैं - विनम्रता एक ऐसा गुण है जिसे हर राजनेता को हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए.

विनम्रता के कुछ नमूने हालिया चुनावों में भी देखने को मिल रहे हैं. यूपी चुनाव में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं खड़े करने वाली बीजेपी की सोच भी अब बदली बदली नजर आ रही है. पश्चिम बंगाल नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने 10 मुस्लिम नेताओं को टिकट दिया था. इसी तरह मालेगांव के लिए जो 77 उम्मीदवार हैं उनमें से 45 मुस्लिम बताये जा रहे हैं. ये बात अलग है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को नये नुस्खे से भी कामयाबी नहीं मिली. हालांकि, ज्यादातर जगहों पर उसके उम्मीदवार तृणमूल कांग्रेस के बाद दूसरे स्थान पर रहे.

बीजेपी के पैतृक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी मिजाज कुछ बदला बदला ही प्रतीत होता है. रमजान के महीने में संघ के गोरक्षा अभियान का नया रूप देखने को मिल सकता है. संघ के मुस्लिम विंग राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की ओर से इफ्तार का आयोजन होने वाला है. बताते हैं कि इस इफ्तार पार्टी में गाय के दूध से बनी चीजें परोसी जाएंगी. मंच के यूपी और उत्तराखंड के संयोजक महिराज ध्वज सिंह का दावा है कि ऐसा पहली बार होगा, जब लोग गाय का दूध पीकर रोजा खत्म करेंगे.

मुख्यमंत्री की नेम प्लेट ही नहीं, योगी आदित्यनाथ के शपथ लेने के साथ अपने काम से ज्यादा कारनामों के लिए सुर्खियों में रहे एंटी रोमियों स्क्वाड का नाम भी बदल चुका है - नारी सुरक्षा दल.

इन्हें भी पढ़ें :

क्या बीजेपी को योगी के रूप में मिल गया है भविष्य का लीडर

आखिर बीजेपी की हर रिस्‍की चाल कामयाब कैसे हो रही है

अमित शाह का मिशन 2019

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲