• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

लालू ने सत्ता गंवा कर नेता पा लिया है

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 31 जुलाई, 2017 01:35 PM
  • 31 जुलाई, 2017 01:35 PM
offline
नीतीश कुमार ने जब तेजस्वी को कारण बता महागठबंधन से अपना पल्ला झाड़ा, लगता है इस बात ने तेजस्वी में नयी जान फूंक दी है. तेजस्वी ने सदन के अलावा सोशल मीडिया पर भी नितीश को घेरने में लगे हैं. तेजस्वी का ये रूप जरूर लालू के लिए राहत की बात हो सकती है.

'आप चंपारण यात्रा निकालते हैं, और बापू के हत्यारे की गोद में जाकर बैठ जाते हैं', 'वह हे राम से जय श्री राम हो गए हैं'. तेजस्वी यादव जब बिहार विधानसभा से इन बातों से नीतीश कुमार को घेर रहे थे, तो तेजस्वी यादव की मुखरता देखने लायक थी. तेजस्वी ने जिस तेज से नीतीश को घेरा उससे एक नेता के गुण साफ तौर पर उनमें देखे जा सकते थे. विधानसभा में नेता विपक्ष घोषित किए जाने के बाद तेजस्वी ने करीब 41 मिनट का भाषण दिया. विपक्ष के नेता के तौर पर सदन में ये उनका पहला भाषण था.

महागठबंधन टूटने के बाद तेजस्वी के व्यक्तित्व का दूसरा रूप देखने मिला

तेजस्वी का ये रूप अब तक कम ही देखने को मिला था, तेजस्वी अब तक अपने पिता की छाया के तौर पर ही दिखे थे. मगर नीतीश कुमार ने जब तेजस्वी को कारण बता महागठबंधन से अपना पल्ला झाड़ा, लगता है इस बात ने तेजस्वी में नयी जान फूंक दी है. तेजस्वी ने सदन के अलावा सोशल मीडिया पर भी नितीश को घेरने में लगे हैं. तेजस्वी का ये रूप जरूर लालू के राहत की बात हो सकती है.

एक तरफ लालू यादव खुद केस और जांच के घेरे में फंसकर कमजोर पड़ते जा रहे हैं, तो वहीं उनके बड़े बेटे तेजप्रताप की राजनीतिक समझ को लेकर भी संशय की स्थिति बरकरार है. तेजप्रताप राजनीति को लेकर संजीदा हैं, ऐसा उनके हाव भाव को देखकर लगता नहीं. और ऐसे समय जब नीतीश कुमार भी लालू का साथ छोड़ वापस भाजपा खेमे में चले गए, तो यह लालू के साथ उनकी पार्टी के लिए काफी मुश्किल दौर है. मगर तेजस्वी के तेवर लालू के लिए राहत की बात हो सकती है.

हालांकि क्रिकेट की पिच पर फिस्सडी होने के बाद...

'आप चंपारण यात्रा निकालते हैं, और बापू के हत्यारे की गोद में जाकर बैठ जाते हैं', 'वह हे राम से जय श्री राम हो गए हैं'. तेजस्वी यादव जब बिहार विधानसभा से इन बातों से नीतीश कुमार को घेर रहे थे, तो तेजस्वी यादव की मुखरता देखने लायक थी. तेजस्वी ने जिस तेज से नीतीश को घेरा उससे एक नेता के गुण साफ तौर पर उनमें देखे जा सकते थे. विधानसभा में नेता विपक्ष घोषित किए जाने के बाद तेजस्वी ने करीब 41 मिनट का भाषण दिया. विपक्ष के नेता के तौर पर सदन में ये उनका पहला भाषण था.

महागठबंधन टूटने के बाद तेजस्वी के व्यक्तित्व का दूसरा रूप देखने मिला

तेजस्वी का ये रूप अब तक कम ही देखने को मिला था, तेजस्वी अब तक अपने पिता की छाया के तौर पर ही दिखे थे. मगर नीतीश कुमार ने जब तेजस्वी को कारण बता महागठबंधन से अपना पल्ला झाड़ा, लगता है इस बात ने तेजस्वी में नयी जान फूंक दी है. तेजस्वी ने सदन के अलावा सोशल मीडिया पर भी नितीश को घेरने में लगे हैं. तेजस्वी का ये रूप जरूर लालू के राहत की बात हो सकती है.

एक तरफ लालू यादव खुद केस और जांच के घेरे में फंसकर कमजोर पड़ते जा रहे हैं, तो वहीं उनके बड़े बेटे तेजप्रताप की राजनीतिक समझ को लेकर भी संशय की स्थिति बरकरार है. तेजप्रताप राजनीति को लेकर संजीदा हैं, ऐसा उनके हाव भाव को देखकर लगता नहीं. और ऐसे समय जब नीतीश कुमार भी लालू का साथ छोड़ वापस भाजपा खेमे में चले गए, तो यह लालू के साथ उनकी पार्टी के लिए काफी मुश्किल दौर है. मगर तेजस्वी के तेवर लालू के लिए राहत की बात हो सकती है.

हालांकि क्रिकेट की पिच पर फिस्सडी होने के बाद जब से तेजस्वी ने अपने पिता की राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाने का फैसला किया, तभी से उन्होंने पार्टी के अंदर बदलाव की नींव डाल दी. आम तौर पर सोशल मीडिया से दूरी रखने वाली लालू की पार्टी तेजस्वी के आने के बाद से सोशल मीडिया पर काफी आक्रामक तरीके से नजर आने लगी. तेजस्वी यादव ने उप मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद भी कुछ बेहतर प्रयोग कर अपनी राजनैतिक जमीन बनाने की कोशिश की, हालांकि नितीश कुमार और लालू यादव जैसे बड़े नेताओं की मौजूदगी में तेजस्वी पर लोगों पर कम ही ध्यान दिया. अब जबकि सत्ता जाने के बाद तेजस्वी विपक्ष के नेता बन गए हैं, तो यह उन्हें खुद को साबित करने के एक मौके के रूप में भी है.

हालांकि तेजस्वी के लिए आने वाला समय काफी चुनौतीपूर्ण है. एक तरफ वो खुद आरोपों से घिरे हैं, तो वहीं उनके परिवार के लोगों पर भी कई तरह के आरोप लगे हैं. तेजस्वी पर लालू यादव के राजनीतिक विरासत को भी आगे बढ़ाने का दरमोदार होगा. ऐसे में तेजस्वी से उम्मीद होगी कि वो अपने पारिवारिक उलझनों को सुलझाने के साथ ही विपक्ष के नेता के रूप में भी अपनी एक अलग छवि गढ़ें. एक ऐसी छवि जो आने वाले समय में बिहार की राजनीति में एक भरोसेमंद चेहरे के रूप में भी हो.

ये भी पढ़ें-

लालू प्रसाद चाहते हैं कि लड़ाई की कमान शरद यादव संभाले, लेकिन बदले में देंगे क्या?

सत्ता की सियासत में गठबंधनों पर भारी दिलों की दीवारें

बाटी और चोखे के बीच जब डैडी लालू से मिला, तेजस्वी और तेज प्रताप को मोक्ष और निर्वाण

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲