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केजरीवाल की 'दलित' वाली 'अलग' राजनीति!

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 27 नवम्बर, 2016 02:37 PM
  • 27 नवम्बर, 2016 02:37 PM
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पहले जिस पार्टी ने मुस्लिम धर्म गुरू के समर्थन के लिए ये कहकर मना कर दिया था कि उनकी राजनीति धर्म से परे है, वही पार्टी अब पंजाब में दलितों का मसीहा बनने की कोशिश कर रही है. आखिर केजरीवाल के पास इसका क्या जवाब है?

आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यंमत्री अरविंद केजरीवाल आए तो थे एक अलग तरह की राजनीति करने, मगर मानना पड़ेगा एक अलग तरह कि राजनीति कर भी रहे हैं. 4 साल हुए हैं इस पार्टी को बने. इतिहास में आज तक ऐसी कोई राजनीतिक पार्टी सामने नहीं आई  जिसने इतनी जल्दी , देश में अपनी पहचान बनाई हो. जब अन्ना आंदोलन हुआ तब केजरीवाल ने कहा था कि 'अगर इस आंदोलन के बाद कोई विकल्प निकलता है को सवाल वही है कि जो भी उस कुर्सी पर बैठता है उसकी नीयत बदल जाती है. ये कुर्सी बड़ी बुरी चीज़ है.

ये भी पढ़ें- क्या आप अब एक आम पार्टी हो गई है?

मगर आज हो भी वही रहा है. केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव में मुस्लिम धर्म गुरु के समर्थन को इंकार कर दिया और कहा कि आम आदमी पार्टी धर्म/ जात की राजनीति नहीं करती, हमें नहीं चाहिए कोई समर्थन. हम नहीं मानते ऐसे फतवे को. मगर आज ये ही पार्टी पंजाब में दलितों का मसीहा बनने की कोशिश कर रही है. ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई पार्टी कहे कि अगर हमारी सरकार बनती है तो उप-मुख्यमंत्री दलित होगा. दलितों के लिए अलग से घोषणापत्र तक ज़ारी कर दिया.

 फाइल फोटो-केजरीवाल

आप कौन-सी राजनीति करने आए थे और कौन-सी राजनीति कर रहे हैं. आप भी तो वही बन गए. आप मायावती और लालू को कहते थे कि ये जाती की राजनीति करते हैं, जो देश के लिए गलत है. मगर आप तो मायावती से कई गुना आगे निकल गए.

केजरीवाल ने जालंधर में आप का दलित मेनिफेस्टो भी जारी किया. अपने मेनिफेस्टो में अरविंद...

आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यंमत्री अरविंद केजरीवाल आए तो थे एक अलग तरह की राजनीति करने, मगर मानना पड़ेगा एक अलग तरह कि राजनीति कर भी रहे हैं. 4 साल हुए हैं इस पार्टी को बने. इतिहास में आज तक ऐसी कोई राजनीतिक पार्टी सामने नहीं आई  जिसने इतनी जल्दी , देश में अपनी पहचान बनाई हो. जब अन्ना आंदोलन हुआ तब केजरीवाल ने कहा था कि 'अगर इस आंदोलन के बाद कोई विकल्प निकलता है को सवाल वही है कि जो भी उस कुर्सी पर बैठता है उसकी नीयत बदल जाती है. ये कुर्सी बड़ी बुरी चीज़ है.

ये भी पढ़ें- क्या आप अब एक आम पार्टी हो गई है?

मगर आज हो भी वही रहा है. केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव में मुस्लिम धर्म गुरु के समर्थन को इंकार कर दिया और कहा कि आम आदमी पार्टी धर्म/ जात की राजनीति नहीं करती, हमें नहीं चाहिए कोई समर्थन. हम नहीं मानते ऐसे फतवे को. मगर आज ये ही पार्टी पंजाब में दलितों का मसीहा बनने की कोशिश कर रही है. ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई पार्टी कहे कि अगर हमारी सरकार बनती है तो उप-मुख्यमंत्री दलित होगा. दलितों के लिए अलग से घोषणापत्र तक ज़ारी कर दिया.

 फाइल फोटो-केजरीवाल

आप कौन-सी राजनीति करने आए थे और कौन-सी राजनीति कर रहे हैं. आप भी तो वही बन गए. आप मायावती और लालू को कहते थे कि ये जाती की राजनीति करते हैं, जो देश के लिए गलत है. मगर आप तो मायावती से कई गुना आगे निकल गए.

केजरीवाल ने जालंधर में आप का दलित मेनिफेस्टो भी जारी किया. अपने मेनिफेस्टो में अरविंद केजरीवाल ने दलित वर्ग के कल्याण के लिए कई लुभावने वादे किए हैं. यानी कि  दलित को बिजनेस के लिए बिना किसी तरह की गारंटी के 2 लाख का कर्ज दिया जाएगा. इसके अलावा दलित परिवार की जो जमीन बंधक रखी हुई है, उसे छुड़ाई जाएगी. मेनिफेस्टो में दलितों पर हुए अत्याचार की जांच के लिए SIT भी बनाने की बात कही गई है.

ये भी पढ़ें- नोटबंदी पर ममता की मुहिम फायदेमंद तो है लेकिन काफी रिस्की भी

चूंकी पंजाब में 32 फिसदी दलित वोट हैं. सिर्फ इसलिए! अगर मान लीजिए कि 32 फिसदी मुस्लिम होते तो केजरीवाल कहते कि अगर चुनाव जीते तो उप-मुख्यमंत्री मुस्लिम होगा. केजरीवाल जी इसी को राजनीति कहते हैं. आखिरकार आप भी वही राजनेता बन गए, जिनको आप भ्रष्ट कहा करते थे. आप सारी पार्टियों को चोर कहा करते थे. आप एक नई राजनीति को लेकर आए हैं. केजरीवाल ने अपनी पार्टी को मिलने वाले चंदे को भी लोगों के सामने रखा. सभी ने सराहना भी कि.

 फाइल फोटो- केजरिवाल

मगर अब क्या, केजरीवाल बीजेपी, कांग्रेस को कोसा करते थे. कहा करते थे कि हिम्मत हो तो ये पार्टियां बताएं कि कहां से आता है इतना पैसा, कौन देता है? मगर अब तो ये सवाल केजरीवाल से भी लोग पूछे रहे हैं कि केजरीवाल जी आप भी बताईए. आप भी क्यों उन पार्टियों जैसे हो गए. दोस्तों सभी एक ही थाली की चट्टे-बट्टे हैं. जो दूसरों से सवाल पूछने आए थे, आज लोग उनसे ही सवाल पूछ रहे हैं और उनके पास कोई जवाब नहीं है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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