• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

'टारगेट मोदी' केजरीवाल के चंदा मांगने का कोड-वर्ड है

    • आईचौक
    • Updated: 28 जून, 2016 06:24 PM
  • 28 जून, 2016 06:24 PM
offline
इमरजेंसी को याद करने का कांग्रेस का अपना तरीका होगा - लेकिन मोदी का ये अपना तरीका था - और केजरीवाल का अपना अलहदा.

पिछले साल लालकृष्ण आडवाणी ने देश में फिर से इमरजेंसी लागू होने की आशंका जताई थी. इस बार तो अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में इमरजेंसी लागू हो जाने की घोषणा ही कर डाली.

याद तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इमरजेंसी का किया, लेकिन उनके मन में कहीं अरविंद केजरीवाल की बात नहीं नजर आई.

मन की बात

इमरजेंसी को याद करते हुए मोदी ने अपने मन की बात में कहा, "उस भयंकर काली घटना पर अनेक किताबें लिखी गई हैं. अनेक चर्चाएं भी हुई हैं, लेकिन आज जब मैं 26 जून को आपसे बात कर रहा हूं, तब इस बात को हम न भूलें कि हमारी ताकत लोकतंत्र है, हमारी ताक़त लोक-शक्ति है, हमारी ताकत एक-एक नागरिक है. इस प्रतिबद्धता को हमें आगे बढ़ाना है, और ताकतवर बनाना है और भारत के लोगों की ये ताकत है कि उन्होंने लोकतंत्र को जी के दिखाया है.

इसे भी पढ़ें: दिल्ली सरकार Vs केंद्र: तू डाल डाल, मैं पात पात...

मोदी बोले, "अखबारों पर ताले लगे हों, रेडियो एक ही भाषा बोलता हो, लेकिन दूसरी तरफ देश की जनता मौका पड़ते ही लोकतांत्रिक शक्तियों का परिचय करवा दे. ये बातें किसी देश के लिए बहुत बड़ी शक्ति का रूप हैं. भारत के सामान्य मानव की लोकतान्त्रिक शक्ति का उत्तम उदाहरण आपातकाल में प्रस्तुत हुआ है और लोकतान्त्रिक शक्ति का वो परिचय बार-बार देश को याद कराते रहना चाहिए. लोगों की शक्ति का एहसास करते रहना चाहिए और लोगों की शक्ति को बल मिले, इस प्रकार की हमारी हर प्रकार से प्रवृत्ति रहनी चाहिए और लोगों को जोड़ना चाहिए."

पिछले साल लालकृष्ण आडवाणी ने देश में फिर से इमरजेंसी लागू होने की आशंका जताई थी. इस बार तो अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में इमरजेंसी लागू हो जाने की घोषणा ही कर डाली.

याद तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इमरजेंसी का किया, लेकिन उनके मन में कहीं अरविंद केजरीवाल की बात नहीं नजर आई.

मन की बात

इमरजेंसी को याद करते हुए मोदी ने अपने मन की बात में कहा, "उस भयंकर काली घटना पर अनेक किताबें लिखी गई हैं. अनेक चर्चाएं भी हुई हैं, लेकिन आज जब मैं 26 जून को आपसे बात कर रहा हूं, तब इस बात को हम न भूलें कि हमारी ताकत लोकतंत्र है, हमारी ताक़त लोक-शक्ति है, हमारी ताकत एक-एक नागरिक है. इस प्रतिबद्धता को हमें आगे बढ़ाना है, और ताकतवर बनाना है और भारत के लोगों की ये ताकत है कि उन्होंने लोकतंत्र को जी के दिखाया है.

इसे भी पढ़ें: दिल्ली सरकार Vs केंद्र: तू डाल डाल, मैं पात पात...

मोदी बोले, "अखबारों पर ताले लगे हों, रेडियो एक ही भाषा बोलता हो, लेकिन दूसरी तरफ देश की जनता मौका पड़ते ही लोकतांत्रिक शक्तियों का परिचय करवा दे. ये बातें किसी देश के लिए बहुत बड़ी शक्ति का रूप हैं. भारत के सामान्य मानव की लोकतान्त्रिक शक्ति का उत्तम उदाहरण आपातकाल में प्रस्तुत हुआ है और लोकतान्त्रिक शक्ति का वो परिचय बार-बार देश को याद कराते रहना चाहिए. लोगों की शक्ति का एहसास करते रहना चाहिए और लोगों की शक्ति को बल मिले, इस प्रकार की हमारी हर प्रकार से प्रवृत्ति रहनी चाहिए और लोगों को जोड़ना चाहिए."

मिलते हैं ब्रेक के बाद...

इमरजेंसी को याद करने का कांग्रेस का अपना तरीका होगा - लेकिन मोदी का ये अपना तरीका था - और केजरीवाल का अपना अलहदा.

चंदे की बात

जिक्र की जरूरत नहीं, जगजाहिर है - कैसे बातों बातों में केजरीवाल मोदी को टारगेट कर लेते हैं. आम आदमी पार्टी के मंत्री को फर्जी डिग्री के आरोप में गिरफ्तार किया जाता हो या फिर एक विधायक पर महिला से बदसलूकी के इल्जाम हों, केजरीवाल के निशाने पर सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी होते हैं.

हाल फिलहाल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जब संसदीय सचिव बनाये गये 21 विधायकों को लाभ के पद वाली व्यवस्था से छूट ने का बिल खारिज कर दिया तो केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पर इल्जाम लगाया लगाया कि वो दिल्ली सरकार को काम ही नहीं करने देना चाहते.

इसे भी पढ़ें: दिनेश मोहनिया की गिरफ्तारी से आपातकाल का क्या कनेक्शन?

बाकी बातें अलग हैं - 25 जून को तो केजरीवाल ने दिल्ली में इमरजेंसी लागू होने की ही घोषणा कर दी.

केजरीवाल की ये पैंतरेबाजी क्या सिर्फ राजनीति का हिस्सा है? केजरीवाल पर इल्जाम लगता है कि वो लोगों का ध्यान बंटाने के लिए ये तरकीबें अपनाते हैं.

केजरीवाल के खिलाफ काउंटर अटैक में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू कहते हैं, "केजरीवाल और उनके सहयोगी हर समय ड्रामा करके कुछ न कुछ करते रहते हैं. उनको काम नहीं है क्या? दिल्ली के लोगों ने जनता की सेवा के लिए बड़ा जनादेश देकर आप को अवसर सौंपा है लेकिन वे अवसर को गंवाकर ड्रामा कर रहे हैं."

अमर उजाला ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है - 'पीएम पर हमला बोलते हैं केजरीवाल तो AAP के खाते में बढ़ने लगती है रकम'

रिपोर्ट में लिखा है, "जून माह के चंदे की सूची पर नजर दौड़ाएं तो 17 जून को इस माह का सबसे कम चंदा मात्र दस हजार रुपये ही आप की झोली में आए. वहीं, टैंकर घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सहित नौ पर एफआईआर की खबर के साथ एसीबी चीफ का यह बयान आया कि टैंकर घोटाले में केजरीवाल से भी पूछताछ हो सकती है. इस पर चंदे का ग्राफ 18 जून को 3.50 लाख रुपये पहुंच गया."

उसके अलावा इस रिपोर्ट में ऐसे कुछ और इंटरेस्टिंग आंकड़े शामिल किये गये हैं.

1. 21 जून को जब एसीबी ने टैंकर घोटाले में केजरीवाल का नाम शामिल कर लिया, तो यह राशि इस दिन माह की सर्वाधिक 5.18 लाख रुपये पहुंच गई.

2. इस विवाद में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला तो 22 जून को चंदे की रकम 3.17 लाख और 23 जून को 1.75 लाख रुपये हो गयी.

3. 19 मई को जब केजरीवाल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का मसौदा रखा, तो एक ही दिन में 16 लाख से अधिक चंदा इकट्ठा हुआ.

मोदी अटैक का चौतरफा फायदा प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाने का केजरीवाल को एक बड़ा फायदा ये होता है कि समर्थकों में उनके प्रति सहानुभूति बनी रहती है. केजरीवाल ने पंजाब के साथ साथ गोवा और गुजरात में भी विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है - और मोदी पर अटैक दिल्ली के साथ साथ तीनों ही राज्यों में उन्हें चर्चा में बनाये रखता है. मोदी पर अटैक करके केजरीवाल खुद को उस लेवल पर खड़ा रखने की कोशिश करते हैं जिसे राहुल गांधी, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी मेंटेन करते हैं. मोदी अटैक का सबसे बड़ा फायदा तो चंदा है जो हर मौके पर उछाल लेता है.

तो 'टारगेट मोदी' केजरीवाल के चंदा मांगने का कोड वर्ड है जिसे आम आदमी पार्टी के सपोर्टर सीधे सीधे समझ जाते हैं और समर्थन में चंदा उड़ेल देते हैं. बढ़िया है. अब न डिनर करने की जरूरत है न चंदे के लिए अपील की - एक निशाने से डबल फायदा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲