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तलवार की धार से कम नहीं है महबूबा मुफ्ती के लिए अनंतनाग उपचुनाव

    • अश्विनी कुमार
    • Updated: 20 जून, 2016 07:51 PM
  • 20 जून, 2016 07:51 PM
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अभी तक महबूबा मुफ्ती तीन बार चुनाव जीत चुकी हैं लेकिन अनंतनाग के मौजूदा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस यह कहने से नहीं चूक रहे कि महबूबा की जीत का मतलब होगा कश्मीर घाटी में RSS की एंट्री..

अनंतनाग विधान सभा सीट के लिए चुनाव 22 जून को होना है और यहां राजनीति अपने चरम पर है. खासकर, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के लिए तो मानो ये गले ही हड्डी बन गया है. कांग्रेस यह कहने से नहीं चूक रही कि अगर पीडीपी की अध्यक्षा और मुख्यमंत्री महबूबा जीत हासिल करती हैं तो ये कश्मीर घाटी में RSS की एंट्री होगी.

कांग्रेस ने तो ये तक कह दिया कि महबूबा मुफ्ती की जीत के बाद कश्मीर का संचालन नागपुर से होगा. इसलिए महबूबा मुफ्ती को हराने का मतलब RSS को कश्मीर से बाहर रखना होगा.

कई जानकारों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार बनने के बाद कश्मीर घाटी में पीडीपी का ग्राफ काफी डॉउन हुआ है. लेकिन कभी RSS के नेता रहे और फिलहाल कश्मीर के नौशेरा विधान सभा सीट से बीजेपी के विधायक रविंदर रैणा का कहना है कि 2014 लोक सभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सारे देश को कांग्रेस मुक्त कर दिया था. अब कश्मीर घाटी में भी बची-खुची कांग्रेस का भी सफाया होनेवाला है. इसलिए कांग्रेस के नेता इस तरह के बयान दे रहे हैं. बीजेपी का मानना है की गठबंधन सरकार की उम्मीदवार और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती उपचुनाव में जीत हासिल करेंगी.

 अनंतनाग 'टेस्ट' में पास होंगी महबूबा?

गौरतलब है की महबूबा मुफ्ती ने 1996 में साउथ कश्मीर से ही अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. अभी तक वह तीन बार चुनाव जीत चुकी हैं लेकिन मौजूदा चुनाव महबूबा मुफ्ती के लिए तलवार की धार पर चलने के बराबर है.

कांग्रेस उम्मीदवार, हिलाल शाह कहते हैं, 'पीडीपी ने 2014 विधानसभा चुनावों में कश्मीर के लोगो को उकसाया और कहा की बीजेपी मिशन 44 ले कर आई है. अगर...

अनंतनाग विधान सभा सीट के लिए चुनाव 22 जून को होना है और यहां राजनीति अपने चरम पर है. खासकर, जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के लिए तो मानो ये गले ही हड्डी बन गया है. कांग्रेस यह कहने से नहीं चूक रही कि अगर पीडीपी की अध्यक्षा और मुख्यमंत्री महबूबा जीत हासिल करती हैं तो ये कश्मीर घाटी में RSS की एंट्री होगी.

कांग्रेस ने तो ये तक कह दिया कि महबूबा मुफ्ती की जीत के बाद कश्मीर का संचालन नागपुर से होगा. इसलिए महबूबा मुफ्ती को हराने का मतलब RSS को कश्मीर से बाहर रखना होगा.

कई जानकारों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार बनने के बाद कश्मीर घाटी में पीडीपी का ग्राफ काफी डॉउन हुआ है. लेकिन कभी RSS के नेता रहे और फिलहाल कश्मीर के नौशेरा विधान सभा सीट से बीजेपी के विधायक रविंदर रैणा का कहना है कि 2014 लोक सभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सारे देश को कांग्रेस मुक्त कर दिया था. अब कश्मीर घाटी में भी बची-खुची कांग्रेस का भी सफाया होनेवाला है. इसलिए कांग्रेस के नेता इस तरह के बयान दे रहे हैं. बीजेपी का मानना है की गठबंधन सरकार की उम्मीदवार और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती उपचुनाव में जीत हासिल करेंगी.

 अनंतनाग 'टेस्ट' में पास होंगी महबूबा?

गौरतलब है की महबूबा मुफ्ती ने 1996 में साउथ कश्मीर से ही अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. अभी तक वह तीन बार चुनाव जीत चुकी हैं लेकिन मौजूदा चुनाव महबूबा मुफ्ती के लिए तलवार की धार पर चलने के बराबर है.

कांग्रेस उम्मीदवार, हिलाल शाह कहते हैं, 'पीडीपी ने 2014 विधानसभा चुनावों में कश्मीर के लोगो को उकसाया और कहा की बीजेपी मिशन 44 ले कर आई है. अगर जम्मू कश्मीर में बीजेपी सरकार बनाती है तो यहां नागपुर राज करेगा. लोगों ने विश्वास करके पीडीपी को वोट डाला, लेकिन बाद में पीडीपी ने लोगो को धोखा दिया और बीजेपी के साथ ही सरकार बना ली. बता दें कि हिलाल शाह ने 2014 में महबूबा के पिता, मुफ्ती मोहम्मद सईद के खिलाफ चुनाव लड़ा था और वह दूसरे नंबर पर रहे थे.

चुनावों में महबूबा मुफ्ती राज्य में विकास और राजनीतिक स्थायित्व के लिए वोट मांग रही हैं. कांग्रेस और नेशनल कॉफ्रेंस मिलकर महबूबा मुफ्ती को घेरने में लगे हैं. दोनों पार्टियां महबूबा से पूछ रही हैं कि उनके वे वादे कहां गए जब वो सरकार बनने के बाद आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट हटाने, पावर प्रोजेक्टस वापिस दिए जाने और बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा दिलवाले की बात करती थीं.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर कहते है कि कश्मीर में पीडीपी को मजबूत करने का मतलब बीजेपी और RSS को कश्मीर में रूट देना है और इस बार अनंतनाग के लोग ऐसा नहीं होने देंगे. जाहिर है, ऐसे हालात में महबूबा के लिए इस बार चुनाव जीतना उतना आसान नहीं होगा जैसा वह पिछली बार तीन बार जीती थीं. उल्लेखनीय है कि महबूबा मुफ्ती ने अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद 4 अप्रैल को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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