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ऐसे कलाकार चाहें तो पाकिस्तान चले जाएं!

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 04 अक्टूबर, 2016 05:17 PM
  • 04 अक्टूबर, 2016 05:17 PM
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पाकिस्तान भारतीय मनोरंजन की एक बड़ी मंडी है. ऐसे कलाकारों को पाकिस्तान में पैसों की दुकान सजानी होती है लिहाजा वहां आकाओं को खुश रखने के लिए उनका गुणगान करना इनकी जरूरत है.

उरी हमले के बाद मनसे द्वारा पाकिस्तानी कलाकारों को भारत छोड़ने के फरमान के बाद शुरू हुआ विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है. हर दिन एक के बाद दूसरा बयान आ जाता है. वह चाहे किसी भी कौम की तरफ से हो, सवाल उठता है कि जो पाकिस्तानी हमलावर हमारे सैनिकों को मारते है, हमारे निहत्थे लोगों को मारते हैं, उनके लिए इन कलाकारों के दिल मै अचानक इतना प्रेम क्यों उमड़ आता है?

दरअसल, बात ये है कि इन्हें कतई भी भारत - मातृभूमि से प्रेम नहीं रहा. बल्कि इनका प्रेम बाज़ारवाद और भौतिकवाद है. गौरतलब है की पाकिस्तान भारतीय मनोरंजन की एक बड़ी मंडी है. पाकिस्तान में इन्हें पैसों की दुकान सजानी होती है लिहाजा उनका गुणगान करना ही पड़ेगा. ये केवल पैसे के कलाकार हैं. इन्हें पैसों की खनक में भारत माता नहीं दिखाई देती, न ही माँ-बहनों-बच्चों का रोना सुनाई देता है. ये महज अपने को मिडिया की सुर्खियों में बनाए रखना चाहते हैं? जो भी हो लेकिन देश में अब यह सब नहीं चलना चाहिये. जिन्हें पाकिस्तान से प्रेम है वे भारत छोड़कर पाकिस्तान जा सकते हैं.

इसे भी पढ़ें: जानिए तुतलाते मियांदाद ने क्यों उगला भारत के खिलाफ जहर

क्या इन कलाकारों ने किसी अपने को पाकिस्तान प्रयोजित इस आतंकवाद में खोया है? अगर ऐसा होता तो ऐसे शब्द शायद ही उनके जुबान पर आते. भारत में कलाकारों का हमेशा ही एक वर्ग पाकिस्तानी कलाकारों का हिमायती रहा है. पाकिस्तानी कलाकार यहां पैसा कमाने आते हैं लेकिन उनका दिल पाकिस्तान में ही रहता है. लेकिन हमारे कलाकार भारत में रहते हुए भी अपने दिल को पाकिस्तान में गिरवी रख देते हैं.

उरी हमले के बाद मनसे द्वारा पाकिस्तानी कलाकारों को भारत छोड़ने के फरमान के बाद शुरू हुआ विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है. हर दिन एक के बाद दूसरा बयान आ जाता है. वह चाहे किसी भी कौम की तरफ से हो, सवाल उठता है कि जो पाकिस्तानी हमलावर हमारे सैनिकों को मारते है, हमारे निहत्थे लोगों को मारते हैं, उनके लिए इन कलाकारों के दिल मै अचानक इतना प्रेम क्यों उमड़ आता है?

दरअसल, बात ये है कि इन्हें कतई भी भारत - मातृभूमि से प्रेम नहीं रहा. बल्कि इनका प्रेम बाज़ारवाद और भौतिकवाद है. गौरतलब है की पाकिस्तान भारतीय मनोरंजन की एक बड़ी मंडी है. पाकिस्तान में इन्हें पैसों की दुकान सजानी होती है लिहाजा उनका गुणगान करना ही पड़ेगा. ये केवल पैसे के कलाकार हैं. इन्हें पैसों की खनक में भारत माता नहीं दिखाई देती, न ही माँ-बहनों-बच्चों का रोना सुनाई देता है. ये महज अपने को मिडिया की सुर्खियों में बनाए रखना चाहते हैं? जो भी हो लेकिन देश में अब यह सब नहीं चलना चाहिये. जिन्हें पाकिस्तान से प्रेम है वे भारत छोड़कर पाकिस्तान जा सकते हैं.

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क्या इन कलाकारों ने किसी अपने को पाकिस्तान प्रयोजित इस आतंकवाद में खोया है? अगर ऐसा होता तो ऐसे शब्द शायद ही उनके जुबान पर आते. भारत में कलाकारों का हमेशा ही एक वर्ग पाकिस्तानी कलाकारों का हिमायती रहा है. पाकिस्तानी कलाकार यहां पैसा कमाने आते हैं लेकिन उनका दिल पाकिस्तान में ही रहता है. लेकिन हमारे कलाकार भारत में रहते हुए भी अपने दिल को पाकिस्तान में गिरवी रख देते हैं.

 ओम पुरी ने एक टीवी शो में चर्चा के दौरान कहा कि सैनिकों को किसने बोला था हथियार लेकर सीमा पर जाएं.

ताजे विवाद में नया नाम ओम पुरी का जुड़ गया है. ओम पुरी ने एक चैनल पर पाकिस्तानी एक्टर के भारत में काम करने को लेकर कहा “लोग चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान भी इजरायल और फिलस्तीन जैसा बन जाए. हिंदूस्तान में 22 करोड़ मुसलमान भाई रहते हैं. इनके रिश्तेदार वहां रहते हैं और पाकिस्तान वालों के रिश्तेदार यहां रहते हैं. तुम उन्हें क्यों भड़काना चाहते हो.”

इसके बाद हद तो तब हो गई जब उन्होंने कारगिल में शहीद हुए विजयंत थापर के पिता से कहा : “क्या हमने फोर्स किया था उसे सेना में भर्ती होने के लिए.” माननीय कलाकारों क्या आपने कभी उन बहिनो का दर्द साँझा किया, कभी किसी शहीद के घर को देखा है? निकलो बाहर इस प्रतिबिंबी दुनिया से और आ जाओ वास्तविक दुनिया में, तब पता चलेगा की भारत क्या है. ये सैनिक परिवारों ऐसी कठिनाइयों से गुजरने के बाद भी चट्टान की तरह देश के साथ खड़े रहते हैं.

इसे भी पढ़ें: पूरी कायनात ही इस समय पाकिस्तान के खिलाफ साजिश रच रही है

सलमान खान की मैं तहे दिल से इज्जत करता हूँ. लेकिन कलाकार देश से ऊपर नहीं हैं. जब देश है तभी कलाकार है, देश नहीं तो कलाकार नहीं. वह चाहे पाकिस्तानी हो या भारतीय. देश बड़ा है. इस बात को सभी को समझना होगा कि देश से ऊपर कोई नहीं हैं, न मजहब न कलाकार. जिन जवानों को हमने खोया है वे हमारे लिए हीरो थे, और हीरो रहेंगे.

शायद इन लोगों को नाना पाटेकर की भाषा भी समझ में नहीं आयी. उन्होंने कहा था कि देश के अलावा मैं किसी को नहीं जानता और ना जानना चाहूंगा. असली हीरो हमारे जवान हैं. कलाकार देश के सामने खटमल की तरह हैं, हमारी कोई कीमत नहीं है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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