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कश्मीर में पाकिस्तान कहां से आ गया...

    • खुशदीप सहगल
    • Updated: 23 सितम्बर, 2016 07:08 PM
  • 23 सितम्बर, 2016 07:08 PM
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जिस कश्मीर मुद्दे को बड़े बड़े तीसमारखां नहीं सुलझा सके, उसे एक समझदार राजनयिक ने कैसे चुटकियों में सुलझा दिया. आप खुद ही जान लीजिए -

भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की कड़वाहट चरम पर है. उरी आर्मी बेस पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान जिस तरह दुनिया भर में बेनकाब हुआ है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. अब उसे 'आतंकवाद के आइवी लीग के मेजबान' की तरह देखा जा रहा है.

नवाज शरीफ ने यूएन महासभा में अपने भाषण का 80 फीसदी हिस्सा कश्मीर पर केंद्रित रखा, लेकिन दुनिया के किसी भी और देश ने उस पर कान नहीं धरा. हकीकत ये है कि भारत भलमनसाहत दिखाते हुए जब भी पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, पाकिस्तान किसी न किसी बहाने कश्मीर को बीच में ले आता है. 69 साल से यही कहानी चली आ रही है.

इसे भी पढ़ें: जब बिलावल ने दिग्विजय सिंह को भैया बोला

लेकिन जिस कश्मीर मुद्दे को बड़े बड़े तीसमारखां नहीं सुलझा सके, उसे एक समझदार राजनयिक ने कैसे चुटकियों में सुलझा दिया. आप खुद ही जान लीजिए - संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक चल रही थी. भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों को भी बैठक को संबोधित करना था. पहले भारतीय प्रतिनिधि ने बोलना शुरू किया -

"मैं अपने देश का नज़रिया रखने से पहले ऋषि कश्यप का ज़िक्र करना चाहूंगा. वही ऋषि कश्यप जिनके नाम पर कश्मीर का नाम पड़ा. ऋषि कश्यप ने एक चट्टान पर तीर मारा तो वहां से निर्मल जल का झरना फूट पड़ा. दूध की तरह जल देखकर ऋषि महाराज का नहाने का मन कर आया. उन्होंने चट्टान पर कपड़े उतार कर रखे और झरने में कूद गए. स्नान से अच्छी तरह तृप्त होने के बाद ऋषि बाहर आए, तो ये क्या? उनके कपड़े ही गायब! दरअसल एक पाकिस्तानी ने उनके कपड़े चुरा लिए थे."

भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की कड़वाहट चरम पर है. उरी आर्मी बेस पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान जिस तरह दुनिया भर में बेनकाब हुआ है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. अब उसे 'आतंकवाद के आइवी लीग के मेजबान' की तरह देखा जा रहा है.

नवाज शरीफ ने यूएन महासभा में अपने भाषण का 80 फीसदी हिस्सा कश्मीर पर केंद्रित रखा, लेकिन दुनिया के किसी भी और देश ने उस पर कान नहीं धरा. हकीकत ये है कि भारत भलमनसाहत दिखाते हुए जब भी पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, पाकिस्तान किसी न किसी बहाने कश्मीर को बीच में ले आता है. 69 साल से यही कहानी चली आ रही है.

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लेकिन जिस कश्मीर मुद्दे को बड़े बड़े तीसमारखां नहीं सुलझा सके, उसे एक समझदार राजनयिक ने कैसे चुटकियों में सुलझा दिया. आप खुद ही जान लीजिए - संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक चल रही थी. भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों को भी बैठक को संबोधित करना था. पहले भारतीय प्रतिनिधि ने बोलना शुरू किया -

"मैं अपने देश का नज़रिया रखने से पहले ऋषि कश्यप का ज़िक्र करना चाहूंगा. वही ऋषि कश्यप जिनके नाम पर कश्मीर का नाम पड़ा. ऋषि कश्यप ने एक चट्टान पर तीर मारा तो वहां से निर्मल जल का झरना फूट पड़ा. दूध की तरह जल देखकर ऋषि महाराज का नहाने का मन कर आया. उन्होंने चट्टान पर कपड़े उतार कर रखे और झरने में कूद गए. स्नान से अच्छी तरह तृप्त होने के बाद ऋषि बाहर आए, तो ये क्या? उनके कपड़े ही गायब! दरअसल एक पाकिस्तानी ने उनके कपड़े चुरा लिए थे."

"क... क... कश्मीर..."

भारतीय प्रतिनिधि के मुंह से जैसे ही पाकिस्तान का नाम सुना, आदत के मुताबिक पाकिस्तानी प्रतिनिधि टोकने के लिए झट अपनी सीट से खड़ा हो गया और फुंकारते हुए बोला...

"ये क्या बेहूदा झूठे आरोप लगा रहे हैं? वहां पाकिस्तानी कहां से आ गए." भारतीय प्रतिनिधि ने मुस्कुराते हुए कहा -

"यही तो मैं अपने काबिल दोस्त को समझाना चाहता हूं. पाकिस्तान कश्मीर में कहां से आ गया. लेकिन न तो ये समझने को तैयार हैं और न ही कई दशकों से इनकी हुकूमत."

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भारतीय प्रतिनिधि की बात सुनकर संयुक्त राष्ट्र के बाकी सभी सदस्य मु्स्कुराने लगे और पाकिस्तानी प्रतिनिधि को मायूस होकर अपनी सीट पर बैठना पड़ा...

हो गया चुटकियों में कश्मीर मुद्दे का हल...

लेकिन ये क्या इतना अच्छा सपना देखते हुए मेरी नींद क्यों खुल गई...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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