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क्या नीतीश और तेजस्वी के पास लालू के लिए भी कोई सलाह है ?

    • आईचौक
    • Updated: 02 मार्च, 2017 09:48 PM
  • 02 मार्च, 2017 09:48 PM
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पूर्णियां की घटना में बिहार सरकार के उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान घिर गये हैं. पहले तो उन्होंने पल्ला झाड़ने की कोशिश की लेकिन वीडियो के वायरल होने पर उन्हें माफी मांगने को मजबूर होना पड़ा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर पर जूते बरसाये जाने पर बिहार में बवाल थम नहीं रहा. मंत्री के माफी मांग लेने के बावजूद बीजेपी उनकी बर्खास्तगी पर अड़ी हुई है - जिसके चलते विधानसभा के दोनों सदन नहीं चल पाये.

पूर्णियां में क्या हुआ

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और फिर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम पर जूते उछालने का जो सिलसिला शुरू हुआ उसकी झलक गाहे बगाहे किसी न किसी नेता की सभा में देखने को मिल जाती है. ऐसे विरोध के शिकार अरविंद केजरीवाल से लेकर राहुल गांधी तक होते रहे हैं, लेकिन बिहार की घटना थोड़ी अलग है. बुश और चिदंबरम पर जूते उछालने वाले पत्रकार रहे तो दूसरी घटनाओं में भीड़ में शामिल कोई शख्स.

मंत्री ने लोगों को भड़काया

पूर्णियां की घटना में बिहार सरकार के उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान घिर गये हैं. पहले तो उन्होंने पल्ला झाड़ने की कोशिश की लेकिन वीडियो के वायरल होने पर उन्हें माफी मांगने को मजबूर होना पड़ा.

वाकया 22 फरवरी का है जब मंत्री मस्तान कांग्रेस के जन वेदना सम्मेलन में हिस्सा ले रहे थे. नोटबंदी से लोगों को होने वाली तकलीफों की चर्चा करते करते मंत्री अब्दुल जलील इतने गुस्से में आ गये कि प्रधानमंत्री को 'डकैत' तक बता डाला. बात इतनी होती तो शायद मामला इतना तूल न पकड़ता. मस्तान ने वहां मौजूद लोगों से कहा कि ऐसे प्रधानमंत्री को जूते मारने चाहिये. नेता के मुहं से बात निकली नहीं कि कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी की एक तस्वरी लेकर मंच पर चढ़ गया - और फिर जूते-चप्पल चलाये जाने लगे.

डिप्टी सीएम भी खफा

मंत्री मस्तान की इस हरकत से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ साथ डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी खासे खफा है. नीतीश कुमार ने मंत्री...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर पर जूते बरसाये जाने पर बिहार में बवाल थम नहीं रहा. मंत्री के माफी मांग लेने के बावजूद बीजेपी उनकी बर्खास्तगी पर अड़ी हुई है - जिसके चलते विधानसभा के दोनों सदन नहीं चल पाये.

पूर्णियां में क्या हुआ

अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और फिर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम पर जूते उछालने का जो सिलसिला शुरू हुआ उसकी झलक गाहे बगाहे किसी न किसी नेता की सभा में देखने को मिल जाती है. ऐसे विरोध के शिकार अरविंद केजरीवाल से लेकर राहुल गांधी तक होते रहे हैं, लेकिन बिहार की घटना थोड़ी अलग है. बुश और चिदंबरम पर जूते उछालने वाले पत्रकार रहे तो दूसरी घटनाओं में भीड़ में शामिल कोई शख्स.

मंत्री ने लोगों को भड़काया

पूर्णियां की घटना में बिहार सरकार के उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री अब्दुल जलील मस्तान घिर गये हैं. पहले तो उन्होंने पल्ला झाड़ने की कोशिश की लेकिन वीडियो के वायरल होने पर उन्हें माफी मांगने को मजबूर होना पड़ा.

वाकया 22 फरवरी का है जब मंत्री मस्तान कांग्रेस के जन वेदना सम्मेलन में हिस्सा ले रहे थे. नोटबंदी से लोगों को होने वाली तकलीफों की चर्चा करते करते मंत्री अब्दुल जलील इतने गुस्से में आ गये कि प्रधानमंत्री को 'डकैत' तक बता डाला. बात इतनी होती तो शायद मामला इतना तूल न पकड़ता. मस्तान ने वहां मौजूद लोगों से कहा कि ऐसे प्रधानमंत्री को जूते मारने चाहिये. नेता के मुहं से बात निकली नहीं कि कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी की एक तस्वरी लेकर मंच पर चढ़ गया - और फिर जूते-चप्पल चलाये जाने लगे.

डिप्टी सीएम भी खफा

मंत्री मस्तान की इस हरकत से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ साथ डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी खासे खफा है. नीतीश कुमार ने मंत्री के बयान को गलत बताया है.

महागठबंधन के नेता लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बेटे और मौजूदा उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि जिम्मेदार पद पर बैठे नेता को ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. साथ ही तेजस्वी ने मस्तान को संयम बरतने की सलाह दी है.

लालू के लिए भी कोई सलाह?

अब सवाल उठता है कि क्या डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अपने पिता लालू प्रसाद को भी ऐसी भाषा न बोलने की सलाह देंगे? या उन्हें किसी जिम्मेदार पद पर न होने की वजह से छूट मिल जाएगी. वैसे तेजस्वी सत्ताधारी महागठबंधन के नेता और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष को जिम्मेदार मानते हैं कि नहीं ये नहीं मालूम.

28 फरवरी को वाराणसी में पिंडरा की सभा में और उससे पहले रायबरेली की रैली में लालू प्रसाद ने प्रधानमंत्री मोदी को जो कुछ कहा वो पहले से ही वायरल है.

पिंडरा में लालू ने मोदी को जीभर कोसने के बाद दिल खोल कर गाली भी दी. रायबरेली में भी लालू ने हाथ चमका कर पूरी अदा के साथ मोदी को जो कहा उसका वीडियो खोजना चाहें तो तेजस्वी को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी - अगर अभी तक उन्हें लालू प्रसाद का भाषण सुनने को नहीं मिल पाया हो.

वैसे प्रधानमंत्री को तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 'कायर' और 'मनोरोगी' तक बता चुके हैं - और उसके बाद इस मामले से कोर्ट से भी छूट चुके हैं. बिहार चुनाव में नीतीश के डीएनए पर मोदी के बयान को लेकर जो कुछ हुआ वो तो शायद ही किसी को भूले. जहां तक मौजूदा यूपी चुनाव का सवाल है तो वो भी बिहार की तरह ही छिछले स्तर पर आरोप प्रत्यारोप से पटा पड़ा है.

क्या तेजस्वी दिखाएंगे साहस?

बाकी बातें अपनी जगह, अगर तेजस्वी यादव मंत्री मस्तान की ही तरह लालू प्रसाद के मामले में पेश आते हैं तो निश्चित रूप से उनके बिहार के मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी मजबूत समझी जा सकती है. वैसे नीतीश कुमार को चिंतित होने की शायद ही जरूरत पड़े.

वैसे उम्मीद और इंतजार दोनों करना चाहिये - संभव है जल्द ही तेजस्वी के पास लालू प्रसाद के लिए भी अपने मंत्री जैसी ही कोई सलाह हो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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