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शिवपाल ने हमेशा के लिए हथियार डाल दिया है या...

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 17 फरवरी, 2017 01:07 PM
  • 17 फरवरी, 2017 01:07 PM
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वैसे तो यू टर्न के लिए मुलायम सिंह यादव को ही जाना जाता है, लेकिन इस बार ये काम किया भाई शिवपाल यादव ने. हालांकि, भाई के यू टर्न की बात सामने आई मुलायम की तरफ से.

जल जाने के बावजूद रस्सी की ऐंठन बने रहने की बात शायद सियासत में लागू नहीं होती. हाशिये पर चले जाने के बाद भी शिवपाल यादव ने डंके की चोट पर ऐलान किया कि वो 11 मार्च के बाद नई पार्टी बनाएंगे. मगर ग्यारह दिन भी नहीं बीते कि उन्होंने पूरी तरह यू टर्न ले लिया और समझाने लगे कि उनके कहने का असली मतलब क्या था.

अब तो सुना जा रहा है कि शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी की अगली सरकार में मंत्री बनने का भी मन बना चुके हैं.

एक और यू टर्न

वैसे तो यू टर्न के लिए मुलायम सिंह यादव को ही जाना जाता है, लेकिन इस बार ये काम किया भाई शिवपाल यादव ने. हालांकि, भाई के यू टर्न की बात सामने आई मुलायम की तरफ से.

जब मुलायम से शिवपाल की नाराजगी और पार्टी बनाने की बात उठी तो वो बोले, "शिवपाल नाराज नहीं है, कौन नाराज है? कोई भी नहीं है... शिवपाल ने गुस्से में अलग पार्टी की बात कही..."

कौन कहता है कि कोई नाराज है...

वक्त की बात होती है. इन्हीं शिवपाल के नाराज होने पर कभी मुलायम सिंह कहा करते थे कि ऐसा हुआ तो पार्टी टूट जाएगी. अब कह रहे हैं कि वो नयी पार्टी नहीं बनाने वाले.

शिवपाल ने तो यहां तक कहा था कि वो उन उम्मीदवारों के लिए भी प्रचार करेंगे टिकट न मिलने पर दूसरी पार्टियों में चले गये. माना गया कि शिवपाल का आशय अंबिका चौधरी, नारद राय और अंसारी बंधुओं से है. इतना ही नहीं बात ये भी उड़ाई गयी कि शिवपाल के कुछ कट्टर समर्थक अखिलेश के हाथों भी टिकट पा चुके हैं और चुनाव नतीजे आने के बाद सब अपना रंग दिखा सकते हैं - और शिवपाल उनके बल पर पावर बैलेंस की कोशिश करेंगे. ऐसी अटकलों को बल मिलने की एक वजह ये भी हो सकती है कि बाप-बेटे में सुलह होने के बाद मुलायम ने अखिलेश को 38 उम्मीदवारों की एक लिस्ट थमायी थी. इस लिस्ट में...

जल जाने के बावजूद रस्सी की ऐंठन बने रहने की बात शायद सियासत में लागू नहीं होती. हाशिये पर चले जाने के बाद भी शिवपाल यादव ने डंके की चोट पर ऐलान किया कि वो 11 मार्च के बाद नई पार्टी बनाएंगे. मगर ग्यारह दिन भी नहीं बीते कि उन्होंने पूरी तरह यू टर्न ले लिया और समझाने लगे कि उनके कहने का असली मतलब क्या था.

अब तो सुना जा रहा है कि शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी की अगली सरकार में मंत्री बनने का भी मन बना चुके हैं.

एक और यू टर्न

वैसे तो यू टर्न के लिए मुलायम सिंह यादव को ही जाना जाता है, लेकिन इस बार ये काम किया भाई शिवपाल यादव ने. हालांकि, भाई के यू टर्न की बात सामने आई मुलायम की तरफ से.

जब मुलायम से शिवपाल की नाराजगी और पार्टी बनाने की बात उठी तो वो बोले, "शिवपाल नाराज नहीं है, कौन नाराज है? कोई भी नहीं है... शिवपाल ने गुस्से में अलग पार्टी की बात कही..."

कौन कहता है कि कोई नाराज है...

वक्त की बात होती है. इन्हीं शिवपाल के नाराज होने पर कभी मुलायम सिंह कहा करते थे कि ऐसा हुआ तो पार्टी टूट जाएगी. अब कह रहे हैं कि वो नयी पार्टी नहीं बनाने वाले.

शिवपाल ने तो यहां तक कहा था कि वो उन उम्मीदवारों के लिए भी प्रचार करेंगे टिकट न मिलने पर दूसरी पार्टियों में चले गये. माना गया कि शिवपाल का आशय अंबिका चौधरी, नारद राय और अंसारी बंधुओं से है. इतना ही नहीं बात ये भी उड़ाई गयी कि शिवपाल के कुछ कट्टर समर्थक अखिलेश के हाथों भी टिकट पा चुके हैं और चुनाव नतीजे आने के बाद सब अपना रंग दिखा सकते हैं - और शिवपाल उनके बल पर पावर बैलेंस की कोशिश करेंगे. ऐसी अटकलों को बल मिलने की एक वजह ये भी हो सकती है कि बाप-बेटे में सुलह होने के बाद मुलायम ने अखिलेश को 38 उम्मीदवारों की एक लिस्ट थमायी थी. इस लिस्ट में पहले शिवपाल की जगह उनके बेटे आदित्य का नाम था. बाद में बदलाव करते हुए उसमें आदित्य की जगह शिवपाल का नाम जोड़ दिया गया. आदित्य फिलहाल यूपी कोआपरेटिव के चेयरमैन हैं. कहते हैं अखिलेश ने उस सूची में से भी कुछ लोगों को टिकट नहीं दिया.

"मेरा पार्टी बनाने से मतलब..."

शिवपाल यादव फिलहाल इटावा की जसवंत नगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं - और गांव गांव घूम घूम कर शिवपाल और आदित्य यादव लोगों से वोट मांग रहे हैं. जसवंत नगर 1985 से मुलायम परिवार का गढ़ रहा है.

'हम तो मंत्री भी बनेंगे'

शिवपाल के बेटे आदित्य से आज तक ने जब 15 फरवरी को बात की तो एक सवाल था - 'क्या 11 के बाद सरकार बनती है तो शिवपाल जी कैबिनेट में होंगे?'

मान-सम्मान की लड़ाई बना चुनाव...

जब जवाब की बारी आई तो आदित्य गेंद सीधे शिवपाल के पाले में डाल दी. आदित्य ने कहा, "ये उनका फैसला है कि वह कैबिनेट में रखते है या नहीं. नई पार्टी को लेकर अभी कोई फैसला नहीं लिया है. यह हमारा घर रहा है और घर से अलग रहना किसी को पसंद नहीं होता. हम कोशिश कर रहे हैं कि छोटे-छोटे मनमुटाव खत्म हो और लोग बड़ी तस्वीर देखें. बातचीत से बड़े-बड़े हल निकले हैं, इस मनमुटाव का भी हल निकलेगा."

हफिंग्टन पोस्ट ने जब ये सवाल शिवपाल से पूछा तो जोरदार ढंग से हां कहा.

शिवपाल से सवाल था - "अगर समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की सत्ता में आती है और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मंत्री पद की पेशकश करते हैं तो क्या आपको मंजूर होगा?"

शिवपाल का जवाब था - "निश्चित तौर पर मैं स्वीकार करूंगा."

जसवंत नगर सीट पर भी यूपी चुनाव के तीसरे चरण में 19 फरवरी को वोटिंग होनी है. क्या अखिलेश के सामने शिवपाल वाकई हथियार डाल चुके हैं? या अपने चुनाव तक खामोशी अख्तियार किये हुए हैं जो किसी संभावित तूफान का संकेत है? ऐसा तो नहीं कि शिवपाल एक और यू टर्न ले लेंगे? इंतजार कीजिए आखिर वक्त बीतते देर कितनी लगती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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