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हुकूमत के हलक़ में अटका रोहिंग्या मुसलमानों पर हलफ़नामा

    • संजय शर्मा
    • Updated: 15 सितम्बर, 2017 09:31 PM
  • 15 सितम्बर, 2017 09:31 PM
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पसोपेश में पड़ी सरकार बंग्लादेशी घुसपैठियों की तरह रोहिंग्या मुसलमानों पर भी सीधा हलफनामा न दे सकी. इसमें भी दो कदम आगे और तीन कदम पीछे...

म्यांमार से घुसपैठ कर देश मे अड़े पड़े रोहिंग्या मुसलमानों पर मोदी सरकार की सख्त कार्रवाई का हलफनामा भी हलक में ही अटक गया. सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुंच कर सरकार ने कदम खींच लिए. अधूरा हलफनामा पक्षकारों तक पहुंचाकर सरकार को अहसास हुआ कि काफी कसर रह गई है. कई कानूनी दांव पेंच तो किताबों से निकल के हलफनामे तक पहुंचे ही नहीं.

एक तो शाम ढले गृह मंत्रालय का हलकारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. उसने सोचा रजिस्ट्री से लौट कर पक्षकारों को हलफनामे की प्रति देने के बजाय रास्ते से ही काम निपटाता चलूं. बस चूक यहीं हुई. पक्षकारों ने मीडिया को लीक कर दिया. और चीख चीख कर हलफनामा तो मानो चौराहे पर खड़ा हो गया.

बैकफुट पर सरकार

इसी बीच सरकार के आला कानूनी अधिकारियों को अपने ही हलफनामे की खामियां मुंह चिढ़ाने लगीं. कल को अदालत में किरकिरी हो इससे बचने के लिए चुपचाप हलफनामा कोर्ट की सीढ़ियां चढ़ने से पहले ही उल्टे पैरों लौट आया. लेकिन तब तक तो ख़बर आम हो चुकी थी. सिर्फ देर ही नहीं रात भी काफी हो चुकी थी. अंधेरा आसमान पर ही नहीं गृह मंत्रालय की कानूनी टीम की आंखों के आगे भी गहरा गया.

अब डिप्टी गवर्नमेंट एडवोकेट ने फटाफट सफाई की चिट्ठी पक्षकारों को लिखी और बताया कि जो हलफनामा भेजा गया वो अधूरा है. हलफनामे के फाइनल ड्राफ्ट का तो अभी फाइनल हो ही रहा है. यानी पसोपेश में पड़ी सरकार बंग्लादेशी घुसपैठियों की तरह रोहिंग्या मुसलमानों पर भी सीधा हलफनामा न दे सकी. इसमें भी दो कदम आगे और तीन कदम पीछे...

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एक तो शाम ढले गृह मंत्रालय का हलकारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. उसने सोचा रजिस्ट्री से लौट कर पक्षकारों को हलफनामे की प्रति देने के बजाय रास्ते से ही काम निपटाता चलूं. बस चूक यहीं हुई. पक्षकारों ने मीडिया को लीक कर दिया. और चीख चीख कर हलफनामा तो मानो चौराहे पर खड़ा हो गया.

बैकफुट पर सरकार

इसी बीच सरकार के आला कानूनी अधिकारियों को अपने ही हलफनामे की खामियां मुंह चिढ़ाने लगीं. कल को अदालत में किरकिरी हो इससे बचने के लिए चुपचाप हलफनामा कोर्ट की सीढ़ियां चढ़ने से पहले ही उल्टे पैरों लौट आया. लेकिन तब तक तो ख़बर आम हो चुकी थी. सिर्फ देर ही नहीं रात भी काफी हो चुकी थी. अंधेरा आसमान पर ही नहीं गृह मंत्रालय की कानूनी टीम की आंखों के आगे भी गहरा गया.

अब डिप्टी गवर्नमेंट एडवोकेट ने फटाफट सफाई की चिट्ठी पक्षकारों को लिखी और बताया कि जो हलफनामा भेजा गया वो अधूरा है. हलफनामे के फाइनल ड्राफ्ट का तो अभी फाइनल हो ही रहा है. यानी पसोपेश में पड़ी सरकार बंग्लादेशी घुसपैठियों की तरह रोहिंग्या मुसलमानों पर भी सीधा हलफनामा न दे सकी. इसमें भी दो कदम आगे और तीन कदम पीछे...

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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