• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

ये शुभ है कि फारूक के बयान पर कोई हंगामा नहीं हुआ...

    • आईचौक
    • Updated: 28 नवम्बर, 2015 05:46 PM
  • 28 नवम्बर, 2015 05:46 PM
offline
PoK को लेकर फारूक अब्दुल्ला का विवादास्पद बयान प्रमुख अखबारों के चौथे-पांचवे पेज की खबर बनी. किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन फिर भी ये तो तय है कि 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के दायरे से बाहर चले गए फारूक...

सोशल मीडिया और चौबीसो घंटे घूम रहे कैमरों के बीच कहीं कोई 'असहिष्णु' बयान बिना स्कैन हुए बच कर निकल जाए तो इसे शुभ ही समझना चाहिए. मीडिया से बात करते हुए फारूक ने कश्मीर को लेकर विवादास्पद बयान दिया लेकिन कहीं कोई बड़ी प्रतिक्रिया नजर नहीं आई. यह संकेत अच्छा तो है लेकिन फारूक अपनी बात कहते-कहते कहीं न कहीं 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के दायरे से बाहर भी चले गए. किसी मुद्दे पर भारत के स्टैंड के लिहाज से यह बिल्कुल शुभ नहीं.

अभी कुछ दिनों पहले एक कार्यक्रम में आमिर खान ने जब कहा कि पिछले कुछ महीनों में भारत में माहौल बदला है और एक समय उनकी पत्नी किरण राव डरी हुई महसूस कर रही थी, तो जबर्दस्त हंगामा मचा. सोशल मीडिया से लेकर चौक-चौराहों पर लोग आमिर खान को कोसते नजर आए. लेकिन जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह इस मामले में भाग्यशाली निकले.

क्या कहा फारूक अब्दुल्ला ने

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि PoK हमेशा पाकिस्तान का हिस्सा रहेगा जबकि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है. साथ ही फारूक ने यह भी कहा कि हम न जाने कितने वर्षों से यह कहते आ रहे हैं कि कश्मीर भारत का हिस्सा है लेकिन इसके अलावा हमने क्या किया. क्या हम पीओके को भारत में मिलाने में कामयाब रहे? यह लेख लिखे जाने के बीच फारूक का नया बयान मीडिया में आ चुका है जिसमें वह कहते हैं पूरी भारतीय सेना मिलकर भी आतंकियों और उग्रवादियों से लोगों को बचा नहीं सकती. इस नए बयान पर कैसी प्रतिक्रिया आती है, यह देखने वाली बात है. लेकिन फिलहाल बात PoK को पाकिस्तान का हिस्सा बताने वाले बयान की.

फारूक का बयान 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के दायरे से बाहर क्यों

भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद पुराना है. हालांकि यह भी सच है कि भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर कभी बहुत एग्रेसिव स्टैंड नहीं लिया. लेकिन इसके बावजूद लगातार इस बात को दोहराया जाता रहा है कि कश्मीर...

सोशल मीडिया और चौबीसो घंटे घूम रहे कैमरों के बीच कहीं कोई 'असहिष्णु' बयान बिना स्कैन हुए बच कर निकल जाए तो इसे शुभ ही समझना चाहिए. मीडिया से बात करते हुए फारूक ने कश्मीर को लेकर विवादास्पद बयान दिया लेकिन कहीं कोई बड़ी प्रतिक्रिया नजर नहीं आई. यह संकेत अच्छा तो है लेकिन फारूक अपनी बात कहते-कहते कहीं न कहीं 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के दायरे से बाहर भी चले गए. किसी मुद्दे पर भारत के स्टैंड के लिहाज से यह बिल्कुल शुभ नहीं.

अभी कुछ दिनों पहले एक कार्यक्रम में आमिर खान ने जब कहा कि पिछले कुछ महीनों में भारत में माहौल बदला है और एक समय उनकी पत्नी किरण राव डरी हुई महसूस कर रही थी, तो जबर्दस्त हंगामा मचा. सोशल मीडिया से लेकर चौक-चौराहों पर लोग आमिर खान को कोसते नजर आए. लेकिन जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह इस मामले में भाग्यशाली निकले.

क्या कहा फारूक अब्दुल्ला ने

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि PoK हमेशा पाकिस्तान का हिस्सा रहेगा जबकि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है. साथ ही फारूक ने यह भी कहा कि हम न जाने कितने वर्षों से यह कहते आ रहे हैं कि कश्मीर भारत का हिस्सा है लेकिन इसके अलावा हमने क्या किया. क्या हम पीओके को भारत में मिलाने में कामयाब रहे? यह लेख लिखे जाने के बीच फारूक का नया बयान मीडिया में आ चुका है जिसमें वह कहते हैं पूरी भारतीय सेना मिलकर भी आतंकियों और उग्रवादियों से लोगों को बचा नहीं सकती. इस नए बयान पर कैसी प्रतिक्रिया आती है, यह देखने वाली बात है. लेकिन फिलहाल बात PoK को पाकिस्तान का हिस्सा बताने वाले बयान की.

फारूक का बयान 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के दायरे से बाहर क्यों

भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद पुराना है. हालांकि यह भी सच है कि भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर कभी बहुत एग्रेसिव स्टैंड नहीं लिया. लेकिन इसके बावजूद लगातार इस बात को दोहराया जाता रहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. यहां तक की देश की दोनों सदनों ने भी 22 फरवरी, 1994 को ध्वनिमत से पारित एक प्रस्ताव में पीओके पर अपना हक जताते हुए कहा था कि ये भारत का अटूट अंग है. पाकिस्तान को कश्मीर के उस भाग को छोड़ना होगा.

भारत का यह 20 साल पुराना संकल्प अब भी अधूरा है. कई सरकारें आईं और गईं लेकिन पीओके को लेकर क्या कोशिश हुई, इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं है. फिर भी, फारूक को भारत की संसद की ओर से पारित प्रस्ताव का ख्याल तो रखना ही चाहिए था.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲