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इसे मजाक मत समझिए, पहले जैसा नहीं रहा हमारा मौसम विभाग

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 17 नवम्बर, 2015 03:35 PM
  • 17 नवम्बर, 2015 03:35 PM
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दक्षिण भारत के प्रमुख नॉर्थईस्ट मानसून का मौसम विभाग ने सटीक आंकलन कर चेतावनी दी थी कि इस मानसून से लंबी अवधि की तेज मूसलाधार बारिश होगी. इसके बावजूद चेन्नई के म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने समय रहते हुए भी शहर की सीवेज व्यवस्था को दुरुस्त करने के कदम नहीं उठाए.

क्या आपको पता है कि देश के मौसम विभाग पर एक चुटकुला है. अगर मौसम विभाग कहता था कि उत्तर भारत में तेज बारिश होने की संभावना है तो मान लिया जाता था कि सूखा पड़ने वाला है. वह भविष्यवाणी कर दे कि मध्य भारत में तेज हवा के साथ लू का प्रकोप रहेगा तो होता इसका उलटा था. बहरहाल, पिछले एक दशक में मौसम विभाग का समय और उसकी टेक्नोलॉजी बदल चुकी है. दक्षिण भारत के प्रमुख नॉर्थईस्ट मानसून का मौसम विभाग ने सटीक आंकलन कर दावा किया था कि अरब सागर में उठ रहे ऊफान का सीधा असर इस मानसून पर पड़ेगा. इस ऊफान के चलते बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना और तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में पिछले 2 हफ्तों से तेज हवा के साथ मूसलाधार बारिश हो रही है.

आमतौर पर नॉर्थईस्ट मानसून देश के दक्षिणी तटों पर 20 अक्टूबर तक दस्तक देता है और देश के इस हिस्से को सर्वाधिक बारिश (30 फीसदी) इसी मानसून से देखने को मिलती है. वहीं तमिलनाडू को कुल 48 फीसदी बारिश इस मानसून से मिलती है. देश के मौसम विभाग ने 16 अक्टूबर को जारी अपनी चेतावनी में साफ कहा था कि अरब सागर के ऊफान से बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बन गया है और इसके चलते देश का नॉर्थईस्ट मानसून एक हफ्ते की देरी से दस्तक देगा. हालांकि इस देरी के बावजूद मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की थी कि इस डिस्टरबेंस के चलते यह मानसून लंबी अवधि तक मूसलाधार बारिश देगा. अब मौसम विभाग का काम तो यहीं खत्म हो जाता और बाकी विभागों का काम यहां से शुरू होता है. लेकिन अफसोस, न तो इन राज्यों में कोई सरकार चेती, न केन्द्र सरकार ने इस चेतावनी को समझा और अलर्ट को सीरियसली लिया और नतीजा हमारे सामने है.

पिछले दस दिनों से हो रही भारी बारिश से बेहाल...

क्या आपको पता है कि देश के मौसम विभाग पर एक चुटकुला है. अगर मौसम विभाग कहता था कि उत्तर भारत में तेज बारिश होने की संभावना है तो मान लिया जाता था कि सूखा पड़ने वाला है. वह भविष्यवाणी कर दे कि मध्य भारत में तेज हवा के साथ लू का प्रकोप रहेगा तो होता इसका उलटा था. बहरहाल, पिछले एक दशक में मौसम विभाग का समय और उसकी टेक्नोलॉजी बदल चुकी है. दक्षिण भारत के प्रमुख नॉर्थईस्ट मानसून का मौसम विभाग ने सटीक आंकलन कर दावा किया था कि अरब सागर में उठ रहे ऊफान का सीधा असर इस मानसून पर पड़ेगा. इस ऊफान के चलते बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना और तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में पिछले 2 हफ्तों से तेज हवा के साथ मूसलाधार बारिश हो रही है.

आमतौर पर नॉर्थईस्ट मानसून देश के दक्षिणी तटों पर 20 अक्टूबर तक दस्तक देता है और देश के इस हिस्से को सर्वाधिक बारिश (30 फीसदी) इसी मानसून से देखने को मिलती है. वहीं तमिलनाडू को कुल 48 फीसदी बारिश इस मानसून से मिलती है. देश के मौसम विभाग ने 16 अक्टूबर को जारी अपनी चेतावनी में साफ कहा था कि अरब सागर के ऊफान से बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बन गया है और इसके चलते देश का नॉर्थईस्ट मानसून एक हफ्ते की देरी से दस्तक देगा. हालांकि इस देरी के बावजूद मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की थी कि इस डिस्टरबेंस के चलते यह मानसून लंबी अवधि तक मूसलाधार बारिश देगा. अब मौसम विभाग का काम तो यहीं खत्म हो जाता और बाकी विभागों का काम यहां से शुरू होता है. लेकिन अफसोस, न तो इन राज्यों में कोई सरकार चेती, न केन्द्र सरकार ने इस चेतावनी को समझा और अलर्ट को सीरियसली लिया और नतीजा हमारे सामने है.

पिछले दस दिनों से हो रही भारी बारिश से बेहाल चेन्नई

आठ दिन की देरी के बाद 28 अक्टूबर को नॉर्थईस्ट मानसून ने तमिलनाडू और आंध्रप्रदेश के तटीय इलाकों पर मजबूत दस्तक दी. पहले 24 घंटों में ही इन इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई. इसके बावजूद तमिलनाडू की राजधानी चेन्नई में म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का आंख नहीं खुली और शहर के सीवेज सिस्टम को दुरुस्त नहीं किया गया. इसके चलते चेन्नई और कुड्डालोर सहित तमिलनाडु के कई भागों में नवंबर के पहले 16 दिनों में ही लगभग पूरे महीने की बारिश दर्ज की जा चुकी है. मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 16 नवंबर तक चेन्नई में कुल 1004 मिलीमीटर बारिश दर्ज हो चुकी है, जबिक अबतक के रिकॉर्ड के मुताबिक 1918 में चेन्नई में पूरी नवंबर की रिकॉर्ड 1088 मिलीमीटर बारिश दर्ज की थी.

अब राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम एम के स्टालिन की आंख खुली है. उन्हें उनकी चेन्नई पहली बार इतनी गंदी दिखाई दे रही है. उम्मीद है कि इस बारिश में चेन्नई की गंदगी कुछ सफेद कपड़ों पर भी पड़े जिससे अगली बार मौसम विभाग की चेतावनी आए तो शहर के सीवेज सिस्टम को दुरुस्त करने का काम पूरा कर लिया जाए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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