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किसकी संगत का किस पर हुआ असर!

    • करुणेश कैथल
    • Updated: 31 दिसम्बर, 2015 01:52 PM
  • 31 दिसम्बर, 2015 01:52 PM
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बिहार में अचानक हत्‍या और लूट का सिलसिला शुरू होने से सवाल खड़े हो गए हैं कि क्‍या ये लालू के राज में रहे जंगलराज का पार्ट-2 है. यदि ऐसा है तो इसकी वजह कहीं नीतीश पर संगत का असर तो नहीं?

‘‘संगत से गुण होत है-संगत से गुण जात’’!! बिहार के चुनाव में लालू-नीतीश की जोड़ी रंग लाई. जदयू-राजद गठबंधन ने जनता का भरोसा जीता और भरपूर बहुमत के साथ सर्वाधिक सीटें लाकर सरकार बनाने में सफल रहे. हालांकि कौन मंत्री बनेगा और कौन संत्री इस पर काफी मत्थापच्ची भी हुई लेकिन बिहार के सिस्टम को और दुरूस्त करने को आतुर नीतीश-लालू की जोड़ी ने अपना मंत्रिमंडल सफलतापूर्वक तैयार कर विपक्ष को एक बार फिर जोरदार तमाचा मारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.

इन तमाम जोर आजमाइश के बीच एक मुद्दा जनता और विपक्ष के बीच भी गोते लगा रहा था. यह मुद्दा था बिहार में ‘‘जंगलराज पार्ट-2’’ आएगा या सुशासन का राज कायम रहेगा. क्या बिहार में एक बार फिर विकास की नदियां बहेंगी. जब-जब सवाल उठा कि बिहार में ‘‘जंगलराज पार्ट-2’’ शुरू होने जा रहा है, तब-तब जनता ने जवाब दिया कि एक के बाद एक हार का सामना कर चुके लालू अब बदल चुके हैं और नीतीश अपने गुण में सबको रंग देंगे

सरकार बनने के बाद बिहार में सिलसिला शुरू हुआ विपक्ष के वार का और पक्ष के जवाब का. जहां एक ओर विपक्ष ने लालू के बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने पर तंज कसा, तेजस्वी यादव ने भी मीडिया के समक्ष आकर विपक्ष को ऐसा जवाब दिया कि बिहार के नौजवानों में एक बार फिर जोश की लहर सी दौड़ गई. इसके बाद एक के बाद एक अपने द्वारा लिए गए अहम फैसलों से तेजस्वी ने खुब चैक्के-छक्के लगाए. बिहारवासियों में एक भरोसा अपने वोट के सफल होने का हुआ.

अब एक दौर आया जब विपक्ष के पाले में गेंद आई है. बिहार में हाल ही में हुए ताबड़तोड़ हत्याएं और लूटपाट की वारदातों पर राजनीतिक रोटी सेंकने का. हालांकि जब विपक्ष ने इस मामले में बिहार सरकार से सवाल पूछने शुरू किए तो किसी की हिम्मत नहीं हुई कि इसका जवाब दे सकें. जनता के मुंह से आह के अलावा कुछ नहीं निकल रहा है, उन्हें तो पता है कि वोट तो हमने ही दिया था. अब विपक्ष ने फिर से अलाप रागना...

‘‘संगत से गुण होत है-संगत से गुण जात’’!! बिहार के चुनाव में लालू-नीतीश की जोड़ी रंग लाई. जदयू-राजद गठबंधन ने जनता का भरोसा जीता और भरपूर बहुमत के साथ सर्वाधिक सीटें लाकर सरकार बनाने में सफल रहे. हालांकि कौन मंत्री बनेगा और कौन संत्री इस पर काफी मत्थापच्ची भी हुई लेकिन बिहार के सिस्टम को और दुरूस्त करने को आतुर नीतीश-लालू की जोड़ी ने अपना मंत्रिमंडल सफलतापूर्वक तैयार कर विपक्ष को एक बार फिर जोरदार तमाचा मारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी.

इन तमाम जोर आजमाइश के बीच एक मुद्दा जनता और विपक्ष के बीच भी गोते लगा रहा था. यह मुद्दा था बिहार में ‘‘जंगलराज पार्ट-2’’ आएगा या सुशासन का राज कायम रहेगा. क्या बिहार में एक बार फिर विकास की नदियां बहेंगी. जब-जब सवाल उठा कि बिहार में ‘‘जंगलराज पार्ट-2’’ शुरू होने जा रहा है, तब-तब जनता ने जवाब दिया कि एक के बाद एक हार का सामना कर चुके लालू अब बदल चुके हैं और नीतीश अपने गुण में सबको रंग देंगे

सरकार बनने के बाद बिहार में सिलसिला शुरू हुआ विपक्ष के वार का और पक्ष के जवाब का. जहां एक ओर विपक्ष ने लालू के बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने पर तंज कसा, तेजस्वी यादव ने भी मीडिया के समक्ष आकर विपक्ष को ऐसा जवाब दिया कि बिहार के नौजवानों में एक बार फिर जोश की लहर सी दौड़ गई. इसके बाद एक के बाद एक अपने द्वारा लिए गए अहम फैसलों से तेजस्वी ने खुब चैक्के-छक्के लगाए. बिहारवासियों में एक भरोसा अपने वोट के सफल होने का हुआ.

अब एक दौर आया जब विपक्ष के पाले में गेंद आई है. बिहार में हाल ही में हुए ताबड़तोड़ हत्याएं और लूटपाट की वारदातों पर राजनीतिक रोटी सेंकने का. हालांकि जब विपक्ष ने इस मामले में बिहार सरकार से सवाल पूछने शुरू किए तो किसी की हिम्मत नहीं हुई कि इसका जवाब दे सकें. जनता के मुंह से आह के अलावा कुछ नहीं निकल रहा है, उन्हें तो पता है कि वोट तो हमने ही दिया था. अब विपक्ष ने फिर से अलाप रागना शुरू कर दिया है और इन वारदातों को ‘‘जंगलराज पार्ट-2’’ के कास्टिंग का नाम दे दिया है.

इसी कड़ी में यह भी देखा गया कि सुशासन बाबू के शब्द से नवाजे जा चुके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रशासन को खरी खोटी सुनाई और जल्द से जल्द इन मामलों में कार्रवाई करने से लेकर संवेदनशील जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने जैसी हिदायतें दीं. साथ ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

अब समझ में यह नहीं आ रहा है कि जिस सुशासन बाबू ने दुरूस्त कानून व्यवस्था और विकास के नाम पर बहुमत हासिल किया है, राजद के जोड़ीदार बनने के बाद उनकी कोई सुन नहीं रहा या अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को राजद के सत्ता में आ जाने के बाद से डर नहीं लग रहा. हालांकि यह विश्लेषण और जांच का विषय है. लेकिन जनता के लिए यह समझना जरूरी हो गया है कि लालू की संगत का असर नीतीश पर हुआ या नीतीश अपनी संगत में लालू गुट को ला पाने में असफल साबित हो चुके हैं, क्योंकि कहीं न कहीं संगति का असर तो एक-दूसरे पर दिखना ही चाहिए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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