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महागठबंधन और एनडीए के दावे, सर्वे और सट्टा बाजार

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 03 नवम्बर, 2015 03:10 PM
  • 03 नवम्बर, 2015 03:10 PM
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सभी सर्वे अलग अलग बातें करते हैं. किसी एक मुद्दे पर कोई दो सर्वे कॉमन बात नहीं करते. हर सर्वे की अपनी सीमाएं होती होंगी - वजह जो भी हो.

महागठबंधन के नेता लालू-नीतीश दो तिहाई बहुमत का दावा कर रहे हैं. मोदी-शाह की जोड़ी की दावेदारी है कि एनडीए की सरकार बनने जा रही है. चुनावी सर्वे और सट्टा बाजार में उतार चढ़ाव के बीच जस्टिस काटजू की ओर से भी एक बयान आ चुका है.

सबसे आगे लालू

कम से कम एक मामले में महागठबंधन के नेता लालू प्रसाद ने सबको पीछे छोड़ दिया है. चुनावी रैली और जनसभाओं के हिसाब से देखें तो पहले नंबर पर लालू, दूसरे नंबर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तीसरे नंबर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.

27 सितंबर से 2 नवंबर के बीच लालू ने 233 चुनावी सभाएं की, जबकि 26 सितंबर से 2 नवंबर तक नीतीश ने 211 जनसभाओं को संबोधित किया. इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 नवंबर तक सिर्फ 25 पब्लिक मीटिंग को अड्रेस किया.

हर सर्वे कुछ कहता है

लेकिन सभी सर्वे अलग अलग बातें करते हैं. किसी एक मुद्दे पर कोई दो सर्वे कॉमन बात नहीं करते. हर सर्वे की अपनी सीमाएं होती होंगी - वजह जो भी हो.

इंडिया टीवी और सी-वोटर ने अपने सर्वे में लालू-नीतीश गंठबंधन को एनडीए पर बढ़त बनाते हुए दिखाया गया. इंडिया टुडे-सिसरो के सर्वे में बताया गया कि 120 से 130 सीटें जीतकर एनडीए सत्ता हासिल कर सकता है. इस सर्वे में महागठबंधन को 102-110 सीटें मिलने के अनुमान लगाए गए. चुनाव शुरू होने से पहले द इंडियन एक्सप्रेस और जनसत्ता के लिए लोकनीति-सीएसडीएस का सर्वे आया जिसमें एनडीए को महागंठबंधन के मुकाबले कम से कम चार फीसदी की बढ़त मिलती दिखी.

कभी आगे, कभी पीछे

सट्टा बाजार की अपनी मोनोपोली है. मेनस्ट्रीम में उसकी पैठ हो न हो दूर से ही वो अपना मजमा लगा लेता है. जहां अड्डा जमाया वहीं सट्टा बाजार लग गया. अब फुटबाल, क्रिकेट मैच या फिर सियासी दंगल ही क्यों न हो, उससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता.

सट्टा बाजार को लेकर आ रही खबरों पर नजर डालें तो वहां दोनों गठबंधन बारी बारी से आगे और पीछे चल रहे हैं. पहले महागठबंधन को आगे...

महागठबंधन के नेता लालू-नीतीश दो तिहाई बहुमत का दावा कर रहे हैं. मोदी-शाह की जोड़ी की दावेदारी है कि एनडीए की सरकार बनने जा रही है. चुनावी सर्वे और सट्टा बाजार में उतार चढ़ाव के बीच जस्टिस काटजू की ओर से भी एक बयान आ चुका है.

सबसे आगे लालू

कम से कम एक मामले में महागठबंधन के नेता लालू प्रसाद ने सबको पीछे छोड़ दिया है. चुनावी रैली और जनसभाओं के हिसाब से देखें तो पहले नंबर पर लालू, दूसरे नंबर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तीसरे नंबर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.

27 सितंबर से 2 नवंबर के बीच लालू ने 233 चुनावी सभाएं की, जबकि 26 सितंबर से 2 नवंबर तक नीतीश ने 211 जनसभाओं को संबोधित किया. इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 नवंबर तक सिर्फ 25 पब्लिक मीटिंग को अड्रेस किया.

हर सर्वे कुछ कहता है

लेकिन सभी सर्वे अलग अलग बातें करते हैं. किसी एक मुद्दे पर कोई दो सर्वे कॉमन बात नहीं करते. हर सर्वे की अपनी सीमाएं होती होंगी - वजह जो भी हो.

इंडिया टीवी और सी-वोटर ने अपने सर्वे में लालू-नीतीश गंठबंधन को एनडीए पर बढ़त बनाते हुए दिखाया गया. इंडिया टुडे-सिसरो के सर्वे में बताया गया कि 120 से 130 सीटें जीतकर एनडीए सत्ता हासिल कर सकता है. इस सर्वे में महागठबंधन को 102-110 सीटें मिलने के अनुमान लगाए गए. चुनाव शुरू होने से पहले द इंडियन एक्सप्रेस और जनसत्ता के लिए लोकनीति-सीएसडीएस का सर्वे आया जिसमें एनडीए को महागंठबंधन के मुकाबले कम से कम चार फीसदी की बढ़त मिलती दिखी.

कभी आगे, कभी पीछे

सट्टा बाजार की अपनी मोनोपोली है. मेनस्ट्रीम में उसकी पैठ हो न हो दूर से ही वो अपना मजमा लगा लेता है. जहां अड्डा जमाया वहीं सट्टा बाजार लग गया. अब फुटबाल, क्रिकेट मैच या फिर सियासी दंगल ही क्यों न हो, उससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता.

सट्टा बाजार को लेकर आ रही खबरों पर नजर डालें तो वहां दोनों गठबंधन बारी बारी से आगे और पीछे चल रहे हैं. पहले महागठबंधन को आगे बताया गया था. अब कहा जा रहा है कि एनडीए ने महागठबंधन को पीछे छोड़ दिया है.

ताजातरीन अपडेट बताते हैं कि सटोरियों ने एनडीए के अधिकतम 126 सीटें जीतने की संभावना जताई है. इसमें बीजेपी के हिस्से में 96 सीटों पर जीत हासिल करने की संभावना जताई गई है.

बिहार की 243 सीटों में से बीजेपी 160 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि 83 सीटें उसने गठबंधन के साथियों के लिए छोड़ रखी है. इसी तरह महागठबंधन में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस क्रमश: 101, 101 और 41 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं.

काटजू के कयास

काटजू के बयान, आकलन और स्वयं संज्ञान में लेकर सुनाए गए सामाजिक और सियासी फैसले सट्टा बाजार से कम रोचक नहीं होते. ट्वीट और फेसबुक पोस्ट के साथ साथ अपने ब्लॉग सत्यम् ब्रूयात के जरिए काटजू की बातें अक्सर सुर्खियों में पाई जाती हैं. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष काटजू अपने फेसबुक फैसले में लिखते हैं, "नीतीश-लालू का महागठबंधन बिहार चुनाव में कम से कम दो तिहाई बहुमत से जीतेगा."

लगे हाथ, काटजू ने एक टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी जड़ दी है, "इस व्यक्ति में लोगों, खासकर भोले-भाले युवाओं को मूर्ख बनाने के अतिरिक्त कोई योग्यता नहीं है, जो इनके जादुई नारे विकास के झांसे में आ गए हैं."

दिवाली तक सियासी सट्टेबाजी के ये दौर चलते रहना जरूरी भी है. आखिर मनोरंजन का कोई न कोई साधन समाज में मौजूद रहना तो चाहिए. "है कि नहीं?"

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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