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जम्मू-कश्मीर में चीन भी दे रहा दखल, महबूबा बोलीं - मुल्क साथ दे तभी जीतेंगे जंग

    • आईचौक
    • Updated: 15 जुलाई, 2017 06:20 PM
  • 15 जुलाई, 2017 06:20 PM
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चीन ने हाल ही में कश्मीर मामले में सकारात्मक मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पहल की थी. भारत ने कश्मीर का मसला द्विपक्षीय बताकर चीन के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया. सामरिक दृष्टि से महबूबा का बयान काफी अहम है.

अब तक यही माना जाता रहा है कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. अब इसमें एक नया किरदार चीन भी शामिल हो गया है.

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में माहौल खराब करने में बाहरी ताकतों का हाथ बताया है और उसमें खास तौर पर चीन का नाम लिया है. महबूबा के इस बयान का सामरिक महत्व है जिसे बदली हुई परिस्थितियों समझने की जरूरत है. पिछले दिनों चीन ने कश्मीर पर मध्यस्थता की पहल की थी जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया.

कश्मीर में चीन का दखल

जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को चिट्ठी लिखी है. बुखारी की चिट्ठी का मकसद जम्मू कश्मीर में अमन कायम करने की एक कोशिश है. बुखारी ने नवाज से गुजारिश की है कि वो हुर्रियत नेताओं से बात करें और उन्हें समझायें. बुखारी ने एक चिट्ठी केंद्र सरकार को भी लिखी है और घाटी में शांति स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाने की अपील की है.

बुखारी की ही तरह हर कोई मानता रहा है कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों को पाकिस्तान की फौज और खुफिया एजेंसी आईएसआई शह देती रही है, लेकिन चीन भी इसमें शामिल हो चुका है ये पता नहीं था. हाल ही में चीन ने कश्मीर मामले में मध्यस्थता की भी पहल की थी.

चीन पर निशाना...

बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग चल रही थी और उसके प्रवक्ता सिक्किम पर भारत के रवैये को लेकर अपने मुल्क का रुख बता रहे थे. तभी एक पाकिस्तानी पत्रकार ने कश्मीर को लेकर सवाल पूछा. इस पर प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है और चीन इस मामले में सकारात्मक मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार है. भारत ने कश्मीर का मसला द्विपक्षीय बताकर चीन के प्रस्ताव को पूरी तरह...

अब तक यही माना जाता रहा है कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. अब इसमें एक नया किरदार चीन भी शामिल हो गया है.

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में माहौल खराब करने में बाहरी ताकतों का हाथ बताया है और उसमें खास तौर पर चीन का नाम लिया है. महबूबा के इस बयान का सामरिक महत्व है जिसे बदली हुई परिस्थितियों समझने की जरूरत है. पिछले दिनों चीन ने कश्मीर पर मध्यस्थता की पहल की थी जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया.

कश्मीर में चीन का दखल

जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को चिट्ठी लिखी है. बुखारी की चिट्ठी का मकसद जम्मू कश्मीर में अमन कायम करने की एक कोशिश है. बुखारी ने नवाज से गुजारिश की है कि वो हुर्रियत नेताओं से बात करें और उन्हें समझायें. बुखारी ने एक चिट्ठी केंद्र सरकार को भी लिखी है और घाटी में शांति स्थापित करने के लिए जरूरी कदम उठाने की अपील की है.

बुखारी की ही तरह हर कोई मानता रहा है कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों को पाकिस्तान की फौज और खुफिया एजेंसी आईएसआई शह देती रही है, लेकिन चीन भी इसमें शामिल हो चुका है ये पता नहीं था. हाल ही में चीन ने कश्मीर मामले में मध्यस्थता की भी पहल की थी.

चीन पर निशाना...

बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग चल रही थी और उसके प्रवक्ता सिक्किम पर भारत के रवैये को लेकर अपने मुल्क का रुख बता रहे थे. तभी एक पाकिस्तानी पत्रकार ने कश्मीर को लेकर सवाल पूछा. इस पर प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है और चीन इस मामले में सकारात्मक मध्यस्थ की भूमिका निभाने को तैयार है. भारत ने कश्मीर का मसला द्विपक्षीय बताकर चीन के प्रस्ताव को पूरी तरह ठुकरा दिया.

अब महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में माहौल खराब करने के लिए साफ तौर पर चीन का नाम लिया है. महबूबा ने कहा, "ये जो लड़ाई हो रही है जिसमें बाहर की ताकतें शामिल हैं, अब तो बीच में चीन ने भी इसमें हाथ डालना शुरू किया है." अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले के बाद राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के लिए महबूबा दिल्ली पहुंची थीं. महबूबा ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से इस सिलसिले में मुलाकात की.

महबूबा का नया अंदाज

अमरनाथ यात्रियों पर हमले के बाद महबूबा मुफ्ती का बिलकुल नया अंदाज देखने को मिला है. हमले के बाद जिस तत्परता के साथ महबूबा ने मारे गये लोगों के रिश्तेदारों और घायलों से मुलाकात की और खुद भी रिएक्ट किया उसे सकारात्मक नजरिये से देखा गया है. खासकर बीजेपी खेमे में महबूबा की परिवपक्वता की काफी तारीफ हुई है. महबूबा ने कश्मीरियत का जिक्र करके खुद के प्रति लोगों का नजरिया बदलने की कोशिश की है और उसमें उन्हें कामयाबी भी मिली है.

वैसे महबूबा के विरोधी उनकी बातों को कानून व्यवस्था की नाकामियां छुपाने का जरिया बता रहे हैं. महबूबा के विरोधी तो उन पर नागपुर से कंट्रोल होने का इल्जाम भी लगा चुके हैं. खास बात ये है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मीटिंग पहली बार जम्मू में होने जा रही है जिसके लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत पहुंच चुके हैं. संघ की इस मीटिंग में बाकी मसलों के साथ साथ जम्मू और कश्मीर के मौजूदा हालात पर भी विशेष चर्चा होनी है.

विरोधियों के हमले से बेपरवाह जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री ने अपील की है, कश्मीर में हम लॉ एंड ऑर्डर की लड़ाई नहीं रहे. जब तक पूरा मुल्क, पॉलिटिकल पार्टी साथ नहीं देते तब तक ये जंग नहीं जीत सकते."

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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