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'फांसी की सजा पाने वाले 94 फीसदी मुस्लिम और दलित! क्‍या न्‍याय व्‍यवस्‍था दोषी है?'

    • आईचौक
    • Updated: 28 जुलाई, 2016 09:35 PM
  • 28 जुलाई, 2016 09:35 PM
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अपनी फेसबुक पोस्‍ट पर यही सवाल करना छत्‍तीसगढ़ के आईएएस एलेक्स पॉल मेमन को महंगा पड़ गया. छत्‍तीसगढ़ सरकार ने उन्‍हें कारण बताओ नोटिस थमा दिया है.

क्‍या सच कहना या सवाल करना गुनाह होता है? शायद होता है, यदि आप सरकारी अफसर हैं तो. कुछ अनुशासन ऐसे हैं जो अफसरों को ऐसा करने से रोकते हैं. छत्‍तीसगढ़ के एक आईएएस अफसर इसी अनुशासन की सीमा को लांघ गए. और अब कार्रवाई का सामना कर रहे हैं.

कभी नक्‍सलियों द्वारा अगवा किए गए आईएएस अफसर एलेक्‍स पॉल मेमन फिर चर्चा में हैं. इस बार अपनी फेसबुक पोस्‍ट के कारण. जिसमें उन्‍होंने फांसी की सजा का इंतजार कर रहे अपराधियों की धर्म और जाति का उल्‍लेख करते हुए न्‍याय व्‍यवस्‍था पर सवाल खड़ा किया है.

मेनन की फेसबुक पोस्ट- "फांसी की सजा पाने 94 फीसदी अपराधी दलित और मुसलमान होते हैं. क्‍या हमारी न्‍यायिक सिस्‍टम पक्षपात करता है? मैं सिर्फ पूछ रहा हूं."

इस फेसबुक पोस्‍ट को लेकर काफी प्रतिक्रिया हुई. छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्‍हें कारण बताओ नोटिस जारी किया. उनसे पूछा जा रहा हैं कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से सोशल साईट कि न्यायिक व्यवस्था को पक्षपातपूर्ण कहने के लिए उनके पास क्या कोई ठोस वजह है? कारण बताओ नोटिस दिया जा चुका है. छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन डिपार्टमेंट ने इसका जवाब देने के लिए मेनन को एक महीने का समय दिया है.

 छत्तीसगढ़ के न्यायपालिका के खिलाफ फेसबुक पर लिखने वाले आइएएस एलेक्स...

क्‍या सच कहना या सवाल करना गुनाह होता है? शायद होता है, यदि आप सरकारी अफसर हैं तो. कुछ अनुशासन ऐसे हैं जो अफसरों को ऐसा करने से रोकते हैं. छत्‍तीसगढ़ के एक आईएएस अफसर इसी अनुशासन की सीमा को लांघ गए. और अब कार्रवाई का सामना कर रहे हैं.

कभी नक्‍सलियों द्वारा अगवा किए गए आईएएस अफसर एलेक्‍स पॉल मेमन फिर चर्चा में हैं. इस बार अपनी फेसबुक पोस्‍ट के कारण. जिसमें उन्‍होंने फांसी की सजा का इंतजार कर रहे अपराधियों की धर्म और जाति का उल्‍लेख करते हुए न्‍याय व्‍यवस्‍था पर सवाल खड़ा किया है.

मेनन की फेसबुक पोस्ट- "फांसी की सजा पाने 94 फीसदी अपराधी दलित और मुसलमान होते हैं. क्‍या हमारी न्‍यायिक सिस्‍टम पक्षपात करता है? मैं सिर्फ पूछ रहा हूं."

इस फेसबुक पोस्‍ट को लेकर काफी प्रतिक्रिया हुई. छत्तीसगढ़ सरकार ने उन्‍हें कारण बताओ नोटिस जारी किया. उनसे पूछा जा रहा हैं कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से सोशल साईट कि न्यायिक व्यवस्था को पक्षपातपूर्ण कहने के लिए उनके पास क्या कोई ठोस वजह है? कारण बताओ नोटिस दिया जा चुका है. छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन डिपार्टमेंट ने इसका जवाब देने के लिए मेनन को एक महीने का समय दिया है.

 छत्तीसगढ़ के न्यायपालिका के खिलाफ फेसबुक पर लिखने वाले आइएएस एलेक्स मेनन

मेनन सोशल मीडिया पर जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया का समर्थन करने के बाद भी विवादों में आये थे. बलरामपुर कलेक्टर रहते हुए एलेक्स की टिप्पणी का स्थानीय विधायक बृहस्पति सिंह ने विरोध किया था. इस मामले में विधानसभा में हंगामे के बाद सरकार ने एलेक्स को कलेक्टर के पद से हटाकर मंत्रालय में भेज दिया था.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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