• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

शुरू हो ही गयी पंजाबी बनाम बाहरी की जंग

    • आईचौक
    • Updated: 28 सितम्बर, 2016 08:36 PM
  • 28 सितम्बर, 2016 08:36 PM
offline
पर्दे के पीछे किसी डील का हिस्सा हो तो बात अलग है, लेकिन ऊपरी तौर पर लगता है कि कैप्टन को सिद्धू का पंजाबियत दाव जम गया है.

टीम आवाज-ए-पंजाब का खाका पेश करने के साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू ने एक सिक्सर भी जड़ा था - 'पंजाबियत' का. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उसे लपक तो लिया लेकिन बाउंड्री के बाहर जाकर. अब वो उसी गेंद से बॉलिंग करने की कोशिश में हैं. कैप्टन को लगता है कि क्रीज में जम जाने के बावजूद वो केजरीवाल को आउट कर सकते हैं.

'बाहरी सीएम बर्दाश्त नहीं'

अब ये पर्दे के पीछे किसी डील का हिस्सा हो तो बात अलग है, लेकिन ऊपरी तौर पर लगता है कि कैप्टन को सिद्धू का पंजाबियत दाव जम गया है. कैप्टन समझ चुके हैं कि पंजाबियत के ब्रह्मास्त्र से ही वो हरियाणवी केजरीवाल को हाशिये पर पहुंचा सकते हैं.

इसे भी पढ़ें: क्या केजरीवाल होंगे पंजाब में 'आप' के सीएम कैंडिडेट

इसी हफ्ते एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैप्टन ने अपना इरादा भी जाहिर कर दिया, "इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि केजरीवाल चीजों को कैसे पेश करते हैं. मैं हमेशा एक गैर-पंजाबी के पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का विरोध करूंगा."

पंजाब में दिल्ली फॉर्मूला...

कैप्टन लोगों को समझाना भी चाहते हैं कि वे केजरीवाल के बहकावे में न आयें, "केजरीवाल आज कह रहे हैं कि वह बादल प्रकाश सिंह बादल और उनके पुत्र सुखवीर बादल को जेल भेज देंगे, जो मैंने 2002 में ही कर दिया था."

लगे हाथ कैप्टन ये भी समझा रहे हैं कि केजरीवाल 'बादल परिवार के विरोध में भड़की भावनाओं का फायदा उठाना चाहते हैं लेकिन वो ऐसा होने नहीं देंगे' -...

टीम आवाज-ए-पंजाब का खाका पेश करने के साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू ने एक सिक्सर भी जड़ा था - 'पंजाबियत' का. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उसे लपक तो लिया लेकिन बाउंड्री के बाहर जाकर. अब वो उसी गेंद से बॉलिंग करने की कोशिश में हैं. कैप्टन को लगता है कि क्रीज में जम जाने के बावजूद वो केजरीवाल को आउट कर सकते हैं.

'बाहरी सीएम बर्दाश्त नहीं'

अब ये पर्दे के पीछे किसी डील का हिस्सा हो तो बात अलग है, लेकिन ऊपरी तौर पर लगता है कि कैप्टन को सिद्धू का पंजाबियत दाव जम गया है. कैप्टन समझ चुके हैं कि पंजाबियत के ब्रह्मास्त्र से ही वो हरियाणवी केजरीवाल को हाशिये पर पहुंचा सकते हैं.

इसे भी पढ़ें: क्या केजरीवाल होंगे पंजाब में 'आप' के सीएम कैंडिडेट

इसी हफ्ते एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैप्टन ने अपना इरादा भी जाहिर कर दिया, "इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि केजरीवाल चीजों को कैसे पेश करते हैं. मैं हमेशा एक गैर-पंजाबी के पंजाब का मुख्यमंत्री बनने का विरोध करूंगा."

पंजाब में दिल्ली फॉर्मूला...

कैप्टन लोगों को समझाना भी चाहते हैं कि वे केजरीवाल के बहकावे में न आयें, "केजरीवाल आज कह रहे हैं कि वह बादल प्रकाश सिंह बादल और उनके पुत्र सुखवीर बादल को जेल भेज देंगे, जो मैंने 2002 में ही कर दिया था."

लगे हाथ कैप्टन ये भी समझा रहे हैं कि केजरीवाल 'बादल परिवार के विरोध में भड़की भावनाओं का फायदा उठाना चाहते हैं लेकिन वो ऐसा होने नहीं देंगे' - और वो जानते हैं 'ये सब कैसे होगा - क्योंकि ऐसा वो कर चुके हैं.'

सिद्धू की डील?

केजरीवाल की पार्टी के नेताओं का इल्जाम है कि सिद्धू कांग्रेस और आप से एक साथ बेहतर बारगेन की कोशिश में हैं. वैसे सिद्धू के फोरम की ओर से भी इस बात के संकेत दिये जा चुके हैं कि वो न तो पार्टी बनाएंगे और न ही बीजेपी के साथ खड़े होंगे, लेकिन वो आप या कांग्रेस से हाथ मिला सकते हैं. कैप्टन अमरिंदर भी पहले ही बता चुके हैं कि सिद्धू के डीएनए में कांग्रेस है - और अब भी सिद्धू के पास कांग्रेस की तरफ से खुला ऑफर है.

लगता है सिद्धू ने काफी सोच समझ कर पंजाबियत का पासा फेंका है. अगर सियासी संभावनाओं की बात करें तो सिद्धू कांग्रेस के साथ जाकर आप के खिलाफ पार्टी को और मजबूती दे सकते हैं - और अगर आप उन्हें सीएम की कुर्सी ऑफर करे तो बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस के खिलाफ भी जंग लड़ने को तैयार हो जाएंगे. केजरीवाल की कमजोर कड़ी उनका गैर पंजाबी न होना ही है इसीलिए उन्होंने सुच्चा सिंह छोटेपुर को खड़ा किया था - लेकिन उन्हें पार्टी से निकालना पड़ा. फिलहाल केजरीवाल ने गुरप्रीत घुग्गी को पंजाब में आप का संयोजक बना रखा है - लेकिन विरोधी उन्हें मुखौटा साबित करने में लगे हैं.

इसे भी पढ़ें: केजरीवाल के खिलाफ कितना कारगर है सिद्धू का 'पंजाबियत' दांव?

ऐसे में फिर से कयास लग रहे हैं कि क्या सिद्धू और आप की डील सीएम कैंडिडेट के रूप में तब्दील हो पाएगी? अगर ऐसा नहीं हुआ तो केजरीवाल को कोई ऐसा पंजाबी चेहरा उतारना होगा जो कैप्टन और बादलों को टक्कर दे सके. वरना, बिहार अब भी सबसे ताजा मिसाल है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲