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ये तो 'आप' के अंदर की बात है, कैसे संभालेंगे केजरीवाल

    • आईचौक
    • Updated: 07 सितम्बर, 2016 03:42 PM
  • 07 सितम्बर, 2016 03:42 PM
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फिलहाल खास बात ये है कि एक बार फिर 'आप' के अंदर की चौकड़ी पर सवाल उठे हैं - ठीक वैसे ही जैसे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को निकाले जाने के वक्त रहा.

संदीप कुमार की सीडी मार्केट में आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कार्रवाई तो दिल्ली पुलिस की तरह की, लेकिन उनके साथी आशुतोष ऐसे बचाने लगे जैसे वो खुद कभी सोमनाथ भारती तो कभी जितेंद्र सिंह तोमर के बचाव में देखे गए रहे.

ऐसे में जबकि आप के भीतर पंजाब महिलाओं के शोषण के इल्जाम लग रहे हैं और आशुतोष को महिला आयोग का नोटिस मिल चुका है, केजरीवाल ने साथियों को रोम से ही साफ कर दिया कि डरने की जरूरत नहीं, 10 दिन की मेडिकल लीव के बाद जब वो लौटेंगे तो सब संभाल लेंगे.

खास बात ये है कि एक बार फिर 'आप' के अंदर की चौकड़ी पर सवाल उठे हैं - ठीक वैसे ही जैसे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को निकाले जाने के वक्त रहा.

अन्ना निराश क्यों

अन्ना हजारे काफी निराश हैं - और नाउम्मीद भी. नहीं, मोदी सरकार से नहीं - अरविंद केजरीवाल से. वो भी तब जब अन्ना की असहमति के बावजूद केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाई, बाद में सरकार तो बननी ही थी. लेकिन अन्ना आखिर निराश क्यों हैं? क्योंकि बाद के दिनों में केजरीवाल ने तो उनकी बात कभी मानी ही नहीं.

इसे भी पढ़ें: 'सेटिंग-स्टिंग' में फंसी आम आदमी सरकार

फिर भी आप नेता कर्नल देवेंद्र सहरावत ने अन्ना से मार्गदर्शन मांगा है. केजरीवाल के बाद, सहरावत ने अन्ना को भी एक चिट्ठी लिखी है. अन्ना का कहना है, "मैंने कहा था कि लोगों का चाल-चरित्र जरूर देख लें. किसी पर यूं ही भरोसा करना ठीक नहीं है. केजरीवाल ने मेरी सुनी नहीं. मैं देख रहा हूं कि जो बात कही थी, वही आज हो रहा है. कोई भी पक्ष हो, पार्टी हो, ये देखना जरूरी है कि अपना आदमी चरित्रशील हैं या नहीं है."

आम आदमी पार्टी के विधायक कर्नल सहरावत ने अन्ना को लिखे पत्र में कहा है - 'मेरे इलाके के वोटर असहज सवाल पूछते हैं. मुझे बहुत तकलीफ है कि पार्टी जिस तरह से अपने...

संदीप कुमार की सीडी मार्केट में आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कार्रवाई तो दिल्ली पुलिस की तरह की, लेकिन उनके साथी आशुतोष ऐसे बचाने लगे जैसे वो खुद कभी सोमनाथ भारती तो कभी जितेंद्र सिंह तोमर के बचाव में देखे गए रहे.

ऐसे में जबकि आप के भीतर पंजाब महिलाओं के शोषण के इल्जाम लग रहे हैं और आशुतोष को महिला आयोग का नोटिस मिल चुका है, केजरीवाल ने साथियों को रोम से ही साफ कर दिया कि डरने की जरूरत नहीं, 10 दिन की मेडिकल लीव के बाद जब वो लौटेंगे तो सब संभाल लेंगे.

खास बात ये है कि एक बार फिर 'आप' के अंदर की चौकड़ी पर सवाल उठे हैं - ठीक वैसे ही जैसे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को निकाले जाने के वक्त रहा.

अन्ना निराश क्यों

अन्ना हजारे काफी निराश हैं - और नाउम्मीद भी. नहीं, मोदी सरकार से नहीं - अरविंद केजरीवाल से. वो भी तब जब अन्ना की असहमति के बावजूद केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाई, बाद में सरकार तो बननी ही थी. लेकिन अन्ना आखिर निराश क्यों हैं? क्योंकि बाद के दिनों में केजरीवाल ने तो उनकी बात कभी मानी ही नहीं.

इसे भी पढ़ें: 'सेटिंग-स्टिंग' में फंसी आम आदमी सरकार

फिर भी आप नेता कर्नल देवेंद्र सहरावत ने अन्ना से मार्गदर्शन मांगा है. केजरीवाल के बाद, सहरावत ने अन्ना को भी एक चिट्ठी लिखी है. अन्ना का कहना है, "मैंने कहा था कि लोगों का चाल-चरित्र जरूर देख लें. किसी पर यूं ही भरोसा करना ठीक नहीं है. केजरीवाल ने मेरी सुनी नहीं. मैं देख रहा हूं कि जो बात कही थी, वही आज हो रहा है. कोई भी पक्ष हो, पार्टी हो, ये देखना जरूरी है कि अपना आदमी चरित्रशील हैं या नहीं है."

आम आदमी पार्टी के विधायक कर्नल सहरावत ने अन्ना को लिखे पत्र में कहा है - 'मेरे इलाके के वोटर असहज सवाल पूछते हैं. मुझे बहुत तकलीफ है कि पार्टी जिस तरह से अपने आदर्शों से भटक रही है - मैं भी भटक सा रहा हूं. मेरा मार्गदर्शन करें.' सहरावत की नजर में आप के अंदर की एक चौकड़ी है जो सारे नुकसान की जिम्मेदार है. सहरावत की बातों से लगता है कि ये वही चौकड़ी है जो कभी योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को निकलवाने में एक्टिव रही और उन्होंने तब भी आवाज उठाई थी. सहरावत के निशाने पर फिलहाल आप नेता संजय सिंह, आशुतोष और दिलीप पांडेय हैं.

कहीं देर न हो जाए...

सहरावत का मानना है कि लोगों को बताना चाहिए - हमारा अब भी विश्वास है कि हम राजनीति को बदलेंगे.

घमासान तो होना ही था

हालत ये है कि कर्नल सहरावत और संजय सिंह आमने सामने आ गये हैं. संजय सिंह ने तो उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा तक करने की चेतावनी दी है. ये तो होगा ही, अब जो बीस पड़ेगा बाजी मारेगा. और ये सब तो होना ही था.

केजरीवाल को लिखे पत्र में सहरावत ने कहा था, "मैंने पंजाब में टिकट देने या उसके वादे के एवज में महिलाओं के शोषण की परेशान करने वाली खबरें देखी हैं. मैं धरातल पर स्थिति का पता लगाने के लिए चंडीगढ़ में लोगों से मिल रहा हूं."

सहरावत पर जवाबी हमले में संजय सिंह का कहना है कि ये उनके चरित्र हनन और पंजाब की बेटियों को शर्मिंदा करना है, इसलिए वो इस बेबुनियाद और झूठे आरोप के खिलाफ अदालत जाएंगे.

दलील का दलदल

संदीप कुमार की सीडी पर आशुतोष ने सवाल उठाया था - 'दो बालिग लोगों का रजामंदी से सेक्स करना क्राइम कैसे हो सकता है?' हालांकि, आशुतोष का ये ब्लॉग संदीप पर बलात्कार का आरोप लगने और उन्हें जेल भेजे जाने से पहले लिखा था.

आशुतोष ने सीडी के बहाने इंसानी की मूलभूत जरूरतों को लेकर खूब तर्क पेश किये, ''सेक्स हमारी मूल प्रवृत्ति का हिस्सा है. जैसे हम खाते हैं, पीते हैं और सांस लेते हैं, ठीक उसी तरह से सेक्स भी प्राकृतिक क्रिया है.''

इसे भी पढ़ें: क्या है संदीप कुमार की सीडी का सबसे विवादित हिस्सा...

अपनी दलील को मजबूत और मसालेदार बनाने के लिए आशुतोष ने गांधी, नेहरू, वाजपेयी और जॉर्ज फर्नांडिस के नाम भी लिये - और लिखा, '‘भारत का इतिहास ऐसे नेताओं और नायकों के उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिन्होंने समाज के बंधनों के इतर जाकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति की.''

''एडविना माउंटबेटन के साथ नेहरू के रिश्ते के बारे में पूरी दुनिया जानती है. नेहरू का आखिरी सांस तक एडविना से लगाव बना रहा. क्या यह पाप था?'' नेहरू पर विस्तार से प्रकाश डालने के बाद आशुतोष ने गांधी की ओर रुख किया, ''गांधीजी के सरला चौधरी से रिश्तों को लेकर कांग्रेस की टॉप लीडरशिप चिंतित थी. खुद गांधीजी ने भी इसे स्वीकार किया था कि सरला उनकी ‘आध्यात्मिक पत्नी’ थीं.''

लेकिन आशुतोष की ये सारी दलीलें मिट्टी में मिल गईं जब सीडी वाली महिला ने संदीप पर रेप का केस कर दिया - और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. फिर क्या था, आम आदमी पार्टी ने भी पल्ला झाड़ लिया.

केजरीवाल के मंत्री कपिल मिश्रा ने आशुतोष के खिलाफ हल्ला बोल दिया - डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को भी मोर्चा संभालना पड़ा, कहा - ये उनके निजी विचार हो सकते हैं.

कपिल मिश्रा बोले, ''बापू के साथ तुलना करने का कोई तराजू नहीं है. गंदगी ढंकना और सफाई करना दो अलग बातें हैं.''

आशुतोष की बातें तुषार गांधी को भी नागवार गुजरीं, ''आशुतोष का नैतिक स्तर काफी गिर चुका है. वे बापू के ब्रह्मचर्य और बलिदान को समझ नहीं सके.''

अब महिला आयोग ने आशुतोष को नोटिस थमाया है तो आरटीआई एक्टिविस्ट सुबध जैन ने आशुतोष को मेंटल चेक अप कराने की मांग की है. महिला आयोग के नोटिस पर आशुतोष ने ट्वीट कर पूछा है कि क्या एक ब्लॉग लिखने के लिए उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा?

अन्ना की बातें अब आप के लिए खास मायने नहीं रखतीं और न ही उनके उम्मीद रखने या नहीं रखने से खुद केजरीवाल को भी खास फर्क पड़ता होगा. वैसे देखें तो सहरावत की उम्मीद आप के लिए ज्यादा मायने रखती है. आखिर सहरावत यही तो कह रहे हैं कि अब भी देर नहीं हुई है और लोगों को भरोसा दिलाया जा सकता है कि आप का जन्म ही राजनीति को बलदने के लिए हुआ?

अहम बात ये नहीं कि अन्ना आप को लेकर क्या सोचते हैं, लेकिन सहरावत को क्या लगता है ये महत्वपूर्ण जरूर है. अन्ना आपको बाहर से देख रहे हैं और सहरावत अंदर से. जो मसला सहरावत उठा रहे हैं जाहिर है केजरीवाल भी उससे जरूर वाकिफ होंगे. केजरीवाल की व्यावहारिक मजबूरियां अपनी जगह हो सकती हैं, लेकिन सहरावत ने जो बात छेड़ी है वो आप के लिए सबसे बड़ी बात है.

योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की कमी भी केजरीवाल को जरूर खलती होगी. हो सकता है इस विवाद के बाद सहरावत का भी वही हाल हो, लेकिन आप को इसका भारी नुकसान होगा क्योंकि ये आवाज आप के अंदर से उठी है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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