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दो चरणों में तीर निशाने पर लगाने की कोशिश में भाजपा

    • रीमा पाराशर
    • Updated: 27 फरवरी, 2017 03:41 PM
  • 27 फरवरी, 2017 03:41 PM
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यूपी में अगले तीन चरणों में 25 जिलों की 141 सीटों पर मतदान होना है. भाजपा की उम्मीद भी इन्ही तीन चरणों में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर उत्तरप्रदेश में सरकार बनाने की है.

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चार चरणों का मतदान सम्पन्न हो चुका है. पांचवे चरण का मतदान सोमवार को है. पहले पांच चरणों के मतदान में भाजपा सीटों के अंक गणित में फिसलने की खबर आ रही है. इससे चिंतित भाजपा ने बचे दो चरणों के लिए पूरी ताकत लगाने और संघ के सहयोग से रणनीति तय की है.

उत्तरप्रदेश में पहले चरण में 73 सीटों के लिए 11 फरवरी को, 67 सीटों के लिए दूसरे चरण का मतदान 15 फरवरी को, तीसरे चरण के 69 सीटों के लिए मतदान 19 फरवरी को और चौथे चरण की 53 सीटों पर मतदान 23 फरवरी को सम्पन्न हो गया है. उत्तरप्रदेश की 403 सीटों में से 262 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला मतपेटियों में बंद हो चुका है.

बीजेपी की साख दांव पर लगी है

तीन चरणों में 25 जिलों की 141 सीटें दाव पर हैं. भाजपा की उम्मीद भी इन्ही तीन चरणों में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर उत्तरप्रदेश में सरकार बनाने की है. पार्टी भले ही पहले चार चरणों की 262 सीटों में से 175 सीटें जीतने का दावा कर रही है. लेकिन संघ के जमीनी कार्यकर्ताओं ने चार चरणों के चुनावों के बाद जो जमीनी रिपोर्ट एकत्रित कर शीर्ष नेतृत्व को भेजी है वह भाजपा के लिए चिंता का कारण बन गई है.

भाजपा मुख्यालय पहुंची खबर में कहा गया है कि चार चरणों के चुनाव के बाद भाजपा बमुश्किल 75 सीटों के आसपास सिमट सकती है. भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं ने भी भाजपा हाईकमान को भेजी रिपोर्ट में 75 से 80 सीटों का आकलन भेजा है. जमीनी रिपोर्ट से आ रहे फीडबैक ने भाजपा की चिंता को बढ़ा दिया है. इसी कारण से दौड़ में बने रहने और सत्ता पाने के लिए भाजपा ने बचे हुए तीन चरणों के लिए आक्रामक चुनाव अभियान अपनाने, संघ का पूरा सहयोग लेने और प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी की रैलियां बढ़ाने की रणनीति तय की है.

भाजपा पहले चार चरणों के मतदान...

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चार चरणों का मतदान सम्पन्न हो चुका है. पांचवे चरण का मतदान सोमवार को है. पहले पांच चरणों के मतदान में भाजपा सीटों के अंक गणित में फिसलने की खबर आ रही है. इससे चिंतित भाजपा ने बचे दो चरणों के लिए पूरी ताकत लगाने और संघ के सहयोग से रणनीति तय की है.

उत्तरप्रदेश में पहले चरण में 73 सीटों के लिए 11 फरवरी को, 67 सीटों के लिए दूसरे चरण का मतदान 15 फरवरी को, तीसरे चरण के 69 सीटों के लिए मतदान 19 फरवरी को और चौथे चरण की 53 सीटों पर मतदान 23 फरवरी को सम्पन्न हो गया है. उत्तरप्रदेश की 403 सीटों में से 262 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला मतपेटियों में बंद हो चुका है.

बीजेपी की साख दांव पर लगी है

तीन चरणों में 25 जिलों की 141 सीटें दाव पर हैं. भाजपा की उम्मीद भी इन्ही तीन चरणों में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर उत्तरप्रदेश में सरकार बनाने की है. पार्टी भले ही पहले चार चरणों की 262 सीटों में से 175 सीटें जीतने का दावा कर रही है. लेकिन संघ के जमीनी कार्यकर्ताओं ने चार चरणों के चुनावों के बाद जो जमीनी रिपोर्ट एकत्रित कर शीर्ष नेतृत्व को भेजी है वह भाजपा के लिए चिंता का कारण बन गई है.

भाजपा मुख्यालय पहुंची खबर में कहा गया है कि चार चरणों के चुनाव के बाद भाजपा बमुश्किल 75 सीटों के आसपास सिमट सकती है. भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं ने भी भाजपा हाईकमान को भेजी रिपोर्ट में 75 से 80 सीटों का आकलन भेजा है. जमीनी रिपोर्ट से आ रहे फीडबैक ने भाजपा की चिंता को बढ़ा दिया है. इसी कारण से दौड़ में बने रहने और सत्ता पाने के लिए भाजपा ने बचे हुए तीन चरणों के लिए आक्रामक चुनाव अभियान अपनाने, संघ का पूरा सहयोग लेने और प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी की रैलियां बढ़ाने की रणनीति तय की है.

भाजपा पहले चार चरणों के मतदान प्रतिशत से भी बहुत उत्साहित नहीं है. आलम ये है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी को ट्विट कर लोगों से घर से निकलकर मतदान करने की अपील करनी पड़ी है. भाजपा के रणनीतिकारों का आकलन है कि बचे हुए तीन चरणों में बंपर मतदान के साथ ही मोदी की रैलियों के दम पर भाजपा की सीटों की फसल लहलहा सकती है.

मोदी के भरोसे भाजपाबचे हुए तीन चरणो में जिन ज़िलों में मतदान होने जा रहे हैं वो पूर्वाचंल और उत्तरपूर्व में आते हैं. 2012 के चुनाव में इन क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था. 2012 के चुनाव में उत्तरपूर्व की 61 सीटों में से समाजवादी पार्टी को 32, भाजपा को 10, बसपा को 9 और कांग्रेस को 7 सीटें मिली थी. वहीं पूर्वाचंल की 81 सीटों में से समाजवादी पार्टी को 52 सीटें, भाजपा को 6, बीएसपी को 13 और कांग्रेस को 4 सीटें मिली थी.

भाजपा की कोशिश इन 25 जिलों में पासा पलटने की है. साथ ही यहां से 80 से ज्यादा सीटें जीतने की है. प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी खुद वाराणसी से सांसद हैं. मोदी के भरोसे भाजपा पूर्वाचंल में एकतरफा सीटें जीतने की कोशिश में है. लेकिन भाजपा के लिए सिर्फ मोदी के नाम पर परचम फहराना आसान नहीं होगा. भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ भी गोरखपुर से आते हैं और मोदी के बाद योगी आदित्यनाथ की भी इन बचे हुए चरणों में परीक्षा होगी.

मोदी वाराणसी से सांसद हैंभाजपा की रणनीति-

बचे हुए तीन चरणों के लिए प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी की 8 रैलियों का कार्यक्रम है. - मोदी सरकार के 12 केन्द्रीय मंत्रियों के अलावा भाजपा शासित राज्यों के 8 मंत्रियों और 14 राष्ट्रीय पदाधिकारियों का यूपी में कैंप करना.- बचे हुए तीन चरणों के 141 सीटों पर 150 वीडियों वैन का इस्तेमाल करना.- बचे हुए 141 सीटों पर 282 मोटरबाइक सवार चुनाव प्रचारक झोंकना.- संघ के ज़मीनी कार्यकर्ताओं का बूथ मैनेजमेंट और मतदाताओं को घर से निकालकर मतदान तक ले जाने का जिम्मा सौंपना.- संघ का अपने बस्ती, मोहल्ला, नगर स्तर से लेकर प्रांत और क्षेत्र के पदाधिकारियों को भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का निर्देश.- हर विधानसभा में जातिगत समीकरणों के हिसाब से जातिगत नेताओं को भाजपा के पक्ष में घर-घर जाकर माहौल बनाना.- गोरखपुर क्षेत्र में ठाकुर, ब्राम्हण के साथ मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी, राजभर पटेल और लुनिया चौहान पर नज़र केन्द्रित करना.

पांचवें चरण पर एक नजर

पांचवे चरण में बलरामपुर, गोडा, फैजाबाद, अंबेडकर नगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थ नगर, बस्ती, संत कबीर नगर, अमेठी, सुल्तानपुर जिलों की 52 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होगा. 2012 के चुनाव में इन 52 सीटों में से सपा को 37, भाजपा को 5, कांग्रेस को 5 और बसपा को 3 सीटें मिली थी.

योगी आदित्यनाथ के जलवे पर टिकी है उम्मीदछठे चरण पर एक नजर

छठे चरण में महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ, मउ और बलिया जिलों की 49 सीटों पर 4 मार्च को मतदान होगा. 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को 27, भाजपा को 8, बसपा को 8 और कांग्रेस को 4 सीटें मिली थी.

सातवें चरण पर एक नजर

सातवें और अंतिम चरण में गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र, जौनपुर जिले की 40 सीटों पर 8 मार्च को मतदान होना है. 2012 के चुनाव में यहां से समाजवादी पार्टी को 23, भाजपा को 4, कांग्रेस को 3 और बसपा को 5 सीटें मिली थी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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