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आनंदीबेन की रीएंट्री की तैयारी!

    • गोपी मनियार
    • Updated: 02 अक्टूबर, 2017 08:28 PM
  • 02 अक्टूबर, 2017 08:28 PM
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आनंदीबेन ने कहा थी कि- 'मैं इस्तीफ़े के बाद भी कहीं गवर्नर बनकर नही जाऊंगी. और न ही गुजरात की राजनीति को छोडूंगी.'

गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और नरेन्द्र मोदी के क़रीबी माने जाने वाले आनंदीबेन पटेल एक बार फिर गुजरात चुनाव के जरिये सक्रिय राजनीति में दोबारा एंट्री लेंगी. माना जा रहा है कि गुजरात में आज के समय में जिस तरह के नेतृत्व की कमी है उसमें आनंदीबेन अगर बीजेपी चुनाव जीतती है तो दोबारा मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार हो सकती हैं.

बीजेपी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ अमित शाह और आनंदीबेन पटेल के बीच कल देर रात अहमदाबाद में मीटिंग हुई है. आनंदीबेन और अमित शाह के बीच चल रहे अंदरूनी युद्ध के बीच नरेन्द्र मोदी की मध्यस्थता में सुलह करवाने की बात सामने आ रही है.

पीएम की सुलह के बाद बनी बात

दरअसल नरेन्द्र मोदी ने अमित शाह को कहा है कि उन्हें गुजरात चुनाव में आनंदीबेन पटेल को साथ लेकर चलना है. इसके कारण ही ये मीटिंग हुई है. पाटीदारों की नाराज़गी बीजेपी के लिये इन दिनों सब से बड़ा सरदर्द बनी हुई है. ऐसे में अमित शाह भी अब चाहते हैं कि पाटीदार नेता आनंदीबेन पटेल से सुलह कर पाटीदारों के मुद्दों पर बात कर इस मसले को सुलझाया जाये.

आनंदीबेन ओर अमित शाह की दुश्मनी आज कल की नहीं है. ये 20 साल पुरानी दुश्मनी है, जो तब खुलकर सामने आयी जब आनंदीबेन पटेल ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन में पाटीदार पर पुलिस के दमन के बाद अपना इस्तीफ़ा पेश किया था. तब आनंदीबेन चाहती थी कि उनके इस्तीफ़े के बाद नितिन पटेल को मुख्यमंत्री बनाया जाये. लेकिन अमित शाह और आनंदीबेन के झगड़े के चलते अमित शाह ने विजय रुपानी को मुख्यमंत्री पद दे दिया. हालांकि उस वक़्त भी अमित शाह और आनंदीबेन पटेल के बीच झगड़ा इस हद तक हुआ था की ख़ुद नरेन्द्र मोदी को बीच बचाव करना पड़ा था.

आनंदीबेन ने कहा थी कि- 'मैं इस्तीफ़े के बाद भी कहीं गवर्नर बनकर नहीं जाऊंगी. और न ही गुजरात की...

गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और नरेन्द्र मोदी के क़रीबी माने जाने वाले आनंदीबेन पटेल एक बार फिर गुजरात चुनाव के जरिये सक्रिय राजनीति में दोबारा एंट्री लेंगी. माना जा रहा है कि गुजरात में आज के समय में जिस तरह के नेतृत्व की कमी है उसमें आनंदीबेन अगर बीजेपी चुनाव जीतती है तो दोबारा मुख्यमंत्री पद की प्रबल दावेदार हो सकती हैं.

बीजेपी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ अमित शाह और आनंदीबेन पटेल के बीच कल देर रात अहमदाबाद में मीटिंग हुई है. आनंदीबेन और अमित शाह के बीच चल रहे अंदरूनी युद्ध के बीच नरेन्द्र मोदी की मध्यस्थता में सुलह करवाने की बात सामने आ रही है.

पीएम की सुलह के बाद बनी बात

दरअसल नरेन्द्र मोदी ने अमित शाह को कहा है कि उन्हें गुजरात चुनाव में आनंदीबेन पटेल को साथ लेकर चलना है. इसके कारण ही ये मीटिंग हुई है. पाटीदारों की नाराज़गी बीजेपी के लिये इन दिनों सब से बड़ा सरदर्द बनी हुई है. ऐसे में अमित शाह भी अब चाहते हैं कि पाटीदार नेता आनंदीबेन पटेल से सुलह कर पाटीदारों के मुद्दों पर बात कर इस मसले को सुलझाया जाये.

आनंदीबेन ओर अमित शाह की दुश्मनी आज कल की नहीं है. ये 20 साल पुरानी दुश्मनी है, जो तब खुलकर सामने आयी जब आनंदीबेन पटेल ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन में पाटीदार पर पुलिस के दमन के बाद अपना इस्तीफ़ा पेश किया था. तब आनंदीबेन चाहती थी कि उनके इस्तीफ़े के बाद नितिन पटेल को मुख्यमंत्री बनाया जाये. लेकिन अमित शाह और आनंदीबेन के झगड़े के चलते अमित शाह ने विजय रुपानी को मुख्यमंत्री पद दे दिया. हालांकि उस वक़्त भी अमित शाह और आनंदीबेन पटेल के बीच झगड़ा इस हद तक हुआ था की ख़ुद नरेन्द्र मोदी को बीच बचाव करना पड़ा था.

आनंदीबेन ने कहा थी कि- 'मैं इस्तीफ़े के बाद भी कहीं गवर्नर बनकर नहीं जाऊंगी. और न ही गुजरात की राजनीति को छोडूंगी.' हालांकि आनंदीबेन पटेल के गुजरात की राजनीति में एक बार फिर सक्रिय होने की बात पर तब मोहर लगी थी, जब बीजेपी ने अपने 75 साल के ऊपर के नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में रखने के नियम में बदलाव किये थे. बीजेपी ने कुछ वक़्त पहले ये फैसला लिया था की अगर नेता की अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ है तो उसे बीजेपी 75 की उम्र के बावजुद टिकट देगी. तब ही ये माना जा रहा था की आनंदीबेन एक बार फिर गुजरात में चुनाव लड़ेगी.

आज अमित शाह और आनंदीबेन पटेल के बीच हुई मीटिंग कहीं ना कहीं ये इशारा कर रही है कि एक बार फिर गुजरात चुनाव में आनंदीबेन अहम भुमिका में लोगों को दिखेंगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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