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भट्ट ने मन की बात कर कॉपीराइट नियम तोड़ा है

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 14 जून, 2015 09:54 AM
  • 14 जून, 2015 09:54 AM
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हाल ही में जब भागवत को जेड प्लस सुरक्षा दी गई तो विपक्ष की ओर से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई. शायद इसलिए कि ये तो सरकार का विवेकाधिकार होता है - जिसे जो जरूरी समझे, दे, या छीन ले.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का भाषण नागपुर से दूरदर्शन पर लाइव दिखाया गया तो कइयों ने नाक-भौं सिकोड़े. टीवी पर नेताओं के साउंडबाइट्स चले और रामचंद्र गुहा ने ट्वीट कर विरोध जताया. ये अनोखा मामला इसलिए भी था क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भी ऐसा नहीं हुआ था. खैर, ये ऐतिहासिक मौका भी इतिहास का हिस्सा बन गया.  हाल ही में जब भागवत को जेड प्लस सुरक्षा दी गई तो विपक्ष की ओर से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई. शायद इसलिए कि ये तो सरकार का विवेकाधिकार होता है - जिसे जो जरूरी समझे, दे, या छीन ले.

फेसबुक पर मन की बातविरोध का स्वर बाहर से नहीं आया, बल्कि अंदर से उठा. विरोध एक ऐसे शख्स ने जताया जो खुद चार साल तक आरएसएस का पूर्णकालिक प्रचारक रह चुका है. उसने आव न देखा ताव, अपने फेसबुक पेज पर मन की बात लिख डाली. फिर बवाल तो होना ही था - बस उसे अंदाजा नहीं था. पहले फेसबुक की उस पोस्ट पर नजर डालते हैं:"मुझे नहीं मालूम कि पं. पू. सरसंघचालक जी को जेड प्लस सुरक्षा क्यों दी और उन्होंने स्वीकार की है या नहीं? आज देश का सुरक्षा कर्मी ही सुरक्षित नहीं है, अभी हाल हमारे 20 से ज्यादा जवान मणिपुर में शहीद हो गए. विकट परिस्थिति में गुरु जी, बाला साहब देवरस जी की रक्षा भगवान ने की थी. स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या सुरक्षा कर्मियों ने की थी. भगवान ने सभी की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले रखी है, फिर कैसा भय, विचार करें क्या यह सुरक्षा व्यवस्था आपको सर्व सामान्य स्वयंसेवक से दूर नहीं कर देगी, क्या यह व्यवस्था स्टेटस सिंबल का प्रतीक नहीं कह लायेगी? गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूं, लेकिन अपने विचारों को रोक नहीं पाया."

राजस्थान के बीजेपी नेता कैलाश नाथ भट्ट ने अपने फेसबुक पेज पर 8 जून को सुबह 7 बजे ये पोस्ट लिखी.  थी. फेसबुक पोस्ट में भट्ट ने अखबार की कटिंग भी लगाई और संघ प्रमुख मोहन भागवत को जेड प्लुस सुरक्षा पर कई सवाल उठाए. जाहिर है पोस्ट काफी चर्चित रही. खूब लाइक मिले और शेयर भी...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का भाषण नागपुर से दूरदर्शन पर लाइव दिखाया गया तो कइयों ने नाक-भौं सिकोड़े. टीवी पर नेताओं के साउंडबाइट्स चले और रामचंद्र गुहा ने ट्वीट कर विरोध जताया. ये अनोखा मामला इसलिए भी था क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भी ऐसा नहीं हुआ था. खैर, ये ऐतिहासिक मौका भी इतिहास का हिस्सा बन गया.  हाल ही में जब भागवत को जेड प्लस सुरक्षा दी गई तो विपक्ष की ओर से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई. शायद इसलिए कि ये तो सरकार का विवेकाधिकार होता है - जिसे जो जरूरी समझे, दे, या छीन ले.

फेसबुक पर मन की बातविरोध का स्वर बाहर से नहीं आया, बल्कि अंदर से उठा. विरोध एक ऐसे शख्स ने जताया जो खुद चार साल तक आरएसएस का पूर्णकालिक प्रचारक रह चुका है. उसने आव न देखा ताव, अपने फेसबुक पेज पर मन की बात लिख डाली. फिर बवाल तो होना ही था - बस उसे अंदाजा नहीं था. पहले फेसबुक की उस पोस्ट पर नजर डालते हैं:"मुझे नहीं मालूम कि पं. पू. सरसंघचालक जी को जेड प्लस सुरक्षा क्यों दी और उन्होंने स्वीकार की है या नहीं? आज देश का सुरक्षा कर्मी ही सुरक्षित नहीं है, अभी हाल हमारे 20 से ज्यादा जवान मणिपुर में शहीद हो गए. विकट परिस्थिति में गुरु जी, बाला साहब देवरस जी की रक्षा भगवान ने की थी. स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या सुरक्षा कर्मियों ने की थी. भगवान ने सभी की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले रखी है, फिर कैसा भय, विचार करें क्या यह सुरक्षा व्यवस्था आपको सर्व सामान्य स्वयंसेवक से दूर नहीं कर देगी, क्या यह व्यवस्था स्टेटस सिंबल का प्रतीक नहीं कह लायेगी? गलती के लिए क्षमा प्रार्थी हूं, लेकिन अपने विचारों को रोक नहीं पाया."

राजस्थान के बीजेपी नेता कैलाश नाथ भट्ट ने अपने फेसबुक पेज पर 8 जून को सुबह 7 बजे ये पोस्ट लिखी.  थी. फेसबुक पोस्ट में भट्ट ने अखबार की कटिंग भी लगाई और संघ प्रमुख मोहन भागवत को जेड प्लुस सुरक्षा पर कई सवाल उठाए. जाहिर है पोस्ट काफी चर्चित रही. खूब लाइक मिले और शेयर भी किया गया. ये बात सीनियर नेताओं को रास नहीं आई. जब राजस्थान बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने पोस्ट पर आपत्ति जताई तो भट्ट ने माफी भी मांग ली. शर्मा ने कमेंट में लिखा कि यह गम्भीर मामला है और हमें सुरक्षा एजेंसियों के कामकाज में दखल नहीं देना चाहिए.

फेसबुक पोस्ट में भट्ट ने कहा कि वो खुद को रोक नहीं पाए. जो मन में आया वो लिख दिया. बस लिख दिया. मन की बात.

कॉपीराइट का मामला तो बनता है मन की बात कौन करता है? मन की बात कौन कर सकता है?  मन की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं. मन की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही कर सकते हैं.क्या कोई और मन की बात नहीं कर सकता? बिलकुल नहीं. ये तो कॉपीराइट का मामला होगा. कोई और करेगा तो उसके खिलाफ कॉपीराइट का मामला तो बनेगा ही.भट्ट पेशे से वकील हैं. निश्चित रूप से कॉपीराइट कानूनों के बारे में उन्हें बेहतर पता होगा. मुमकिन है उन्हें इसके कानूनी पेचीदगियों के बारे में पता हो - और व्यावहारिक पहलुओं पर उनका ध्यान नहीं गया हो.

फेसबुक पर ही इस्तीफा भीभट्ट शायद भूल गए कि इतिहास गवाह है जब बलराज मधोक, गोविंदाचार्य, कल्याण सिंह और उमा भारती ने भी किसी न किसी मौके पर मन की बात की थी - और बात बिगड़ गई. इति श्री भागवत कथा के बाद भट्ट को इस्तीफा देना पड़ा. इस्तीफा भी भट्ट ने फेसबुक पर पोस्ट किया. हां, मन की बात वाली पोस्ट उन्होंने जरूर डिलीट कर दी.

 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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