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कहां छुपे बैठे थे ये 'एंटी-नेशनल' अब तक?

    • कनिका मिश्रा
    • Updated: 16 फरवरी, 2016 01:19 PM
  • 16 फरवरी, 2016 01:19 PM
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आरएसएस वाले जिस तरह से सरकार, और मोदी के खिलाफ बोलने वालों को एंटी-नेशनल बोल रहे हैं, उस से तो यही लगता है की वो राष्ट्र की परिभाषा ही भूल गए हैं. राष्ट्र किसी भी व्यक्ति से बड़ा होता है और हमारा लोकतंत्र हमें विरोध का पूरा अधिकार देता है.

कमाल है, ये एंटी-नेशनल अभी तक कहाँ छुपे थे, मोदी आये और देश के कौने कौने से एंटी-नेशनल निकालने लग गए. जे एन यू, जो पूरी दुनिया में एक अलग पहचान रखता है और अपने प्रगतिवादी सोच के लिए जाना जाता है, आज उस पर ये इलज़ाम लगाये जा रहे हैं कि वो हाफ़िज़ सईद के पैसे पर पलता है. ये मैं नहीं, रूलिंग पार्टी बीजेपी की कोई साध्वी बोल रही है. खैर, साध्वी की क्या बात करें, हमारे गृह- मंत्री तक देश को ये बताने में देर नहीं करते कि जेएनयू की नारेबाजी के पीछे हाफ़िज़ सईद का हाथ है और सबूत के तौर पर एक नकली ट्वीट उछाल देते हैं, ये दूसरी बात है कि बाद में वो ट्वीट हमारी अंतर्राष्ट्रीय शर्म का कारण बनता है. खुद हाफ़िज़ सईद भी आ कर बोलता है कि राजनाथ सिंह जी, मुझे तो आप इस मामले से दूर ही रखो. ये किस तरह की मुहिम है? ये क्या षड्यंत्र है? क्या किसी विडियो में कन्हैया कुमार भारत विरोधी नारे लगाते दिखा? यदि नहीं, तो उसे किस बिनाह पर गिरफ्तार किया गया है? और एक विडियो जिसमें ABVP के लोग साफ़ साफ़ भारत विरोधी नारे लगाते दिख रहे हैं, उन्हें क्लीन चिट देने में बस्सी जी ने इतनी जल्दी क्यों की? अगर कन्हैया कुमार को केवल शक के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है और उस पर राष्ट्र- दोह जैसी गंभीर धाराएं लगाई जा सकती हैं तो क्या ABVP वाले पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाये जा सकते थे? शायद ये बस्सी जी के बस की बात नहीं है तभी तो कोर्ट के परिसर में गुंडागर्दी होती रही और पुलिस मूक दर्शक बनी रही.

ठीक है, नारे लगे, नारे लगाने वाले दोषी भी हैं, लेकिन सवाल ये है कि नारे लगाए किसने? ये भी तो हो सकता है कि ये JN को बदनाम करने का षड्यंत्र हो, जिस तरह इस अलग-थलग घटना को पूरे JN संस्थान से जोड़ा गया है और ट्विटर पर उसे शटडाउन करने का ट्रेंड चलाया जा रहा है, उस से तो यही लगता है.

आरएसएस वाले जिस तरह से सरकार, और मोदी के खिलाफ बोलने वालों को एंटी-नेशनल बोल रहे हैं, उस से तो यही लगता है की वो राष्ट्र की परिभाषा ही भूल गए हैं. राष्ट्र किसी भी व्यक्ति से बड़ा होता है और हमारा लोकतंत्र हमें...

कमाल है, ये एंटी-नेशनल अभी तक कहाँ छुपे थे, मोदी आये और देश के कौने कौने से एंटी-नेशनल निकालने लग गए. जे एन यू, जो पूरी दुनिया में एक अलग पहचान रखता है और अपने प्रगतिवादी सोच के लिए जाना जाता है, आज उस पर ये इलज़ाम लगाये जा रहे हैं कि वो हाफ़िज़ सईद के पैसे पर पलता है. ये मैं नहीं, रूलिंग पार्टी बीजेपी की कोई साध्वी बोल रही है. खैर, साध्वी की क्या बात करें, हमारे गृह- मंत्री तक देश को ये बताने में देर नहीं करते कि जेएनयू की नारेबाजी के पीछे हाफ़िज़ सईद का हाथ है और सबूत के तौर पर एक नकली ट्वीट उछाल देते हैं, ये दूसरी बात है कि बाद में वो ट्वीट हमारी अंतर्राष्ट्रीय शर्म का कारण बनता है. खुद हाफ़िज़ सईद भी आ कर बोलता है कि राजनाथ सिंह जी, मुझे तो आप इस मामले से दूर ही रखो. ये किस तरह की मुहिम है? ये क्या षड्यंत्र है? क्या किसी विडियो में कन्हैया कुमार भारत विरोधी नारे लगाते दिखा? यदि नहीं, तो उसे किस बिनाह पर गिरफ्तार किया गया है? और एक विडियो जिसमें ABVP के लोग साफ़ साफ़ भारत विरोधी नारे लगाते दिख रहे हैं, उन्हें क्लीन चिट देने में बस्सी जी ने इतनी जल्दी क्यों की? अगर कन्हैया कुमार को केवल शक के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है और उस पर राष्ट्र- दोह जैसी गंभीर धाराएं लगाई जा सकती हैं तो क्या ABVP वाले पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाये जा सकते थे? शायद ये बस्सी जी के बस की बात नहीं है तभी तो कोर्ट के परिसर में गुंडागर्दी होती रही और पुलिस मूक दर्शक बनी रही.

ठीक है, नारे लगे, नारे लगाने वाले दोषी भी हैं, लेकिन सवाल ये है कि नारे लगाए किसने? ये भी तो हो सकता है कि ये JN को बदनाम करने का षड्यंत्र हो, जिस तरह इस अलग-थलग घटना को पूरे JN संस्थान से जोड़ा गया है और ट्विटर पर उसे शटडाउन करने का ट्रेंड चलाया जा रहा है, उस से तो यही लगता है.

आरएसएस वाले जिस तरह से सरकार, और मोदी के खिलाफ बोलने वालों को एंटी-नेशनल बोल रहे हैं, उस से तो यही लगता है की वो राष्ट्र की परिभाषा ही भूल गए हैं. राष्ट्र किसी भी व्यक्ति से बड़ा होता है और हमारा लोकतंत्र हमें विरोध का पूरा अधिकार देता है. गुजरात मॉडल, विकास और अच्छे दिन के नाम पर पूरे देश में इलेक्शन जीतने के बाद ये लोग इस मुगालते में आ गए हैं कि ये पब्लिक को जो भी बताएँगे, पब्लिक उस पर आँख मूँद कर भरोसा कर लेगी. ऐसा नहीं है मोदी जी, पब्लिक आप को आर्थिक बेहतरी के लिए लाई थी , आरएसएस का एजेंडा लागू करने के लिए नहीं.

अब एक प्रार्थना, उन लोगों से जो हर स्टेटस पर आ कर कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी का विरोध करने वालों को एंटी-नेशनल कह रहे हैं और गाली गलोज़ कर रहे हैं, कृपया हमारे मुंह में शब्द ना ठूंसे, हमें पता है आप को बचपन से इसकी ट्रेनिंग मिली है. सराकर की नीतियों और मोदी का विरोध करने से मैं या कोई और एंटी-नेशनल नहीं हो जाता. एंटी-नेशनल वो है जो देश को तोड़े, देश को धर्म औत जाति के नाम पर बांटे, जो बीफ खाने के लिए लोगों को जान से मार दे, जो देश को पूँजी-पतियों के हाथों लुटता देखे और खामोश रहे, जो जीवन-रक्षक आवश्यक दवाइयों को आम आदमी की पहुंच से दूर होता देखने के बाद भी बस सरकार के गुण गाता रहे, जो 26 जनवरी को ब्लैक डे मनाएं, जो तिरंगे को गेरुआ बनाने की बात करे और जो गोडसे के मंदिर बनाए, वो ही है एंटी-नेशनल.

हर बात पर हाँ हाँ में सिर हिलाने वालों और बिना सोचे समझे एक व्यक्ति की जय-जयकार करने वालों, दरअसल तुम ही हो असली एंटी-नेशनल.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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